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lyrics
आयो म सरन म तेरी हनुमान सालासर के॥
सियाराम के कारज सारे, लंका में आप पधारे,
सीता का शोक निवारे, तन गोद मुद्रिका डारी॥1॥
तुने अक्षय कुंवर को मारा, फिर बाग जाय उजाड़,
फिर फिर के लंका जारा, घर विभीषण का उबारा॥2॥
लक्ष्मणजी को मूर्छा आई, तुम जा संजीवन लाए,
लक्ष्मण को घोट पिलाई, मैं मेघनाद की मारी॥3॥
रावण का वंश खपाया, तुने अमर नाम जब पाया,
देवों का दुखड़ा मिटाया, भार भूमि का उतारया॥4॥
गणेश कहे सुण देवा, नित करूँ तुम्हारी सेवा,
दर्शन की कृपा कीज्यो, मोहे राम नाम पद लिज्यों॥5॥
॥ समाप्त॥