श्रीमद्भागवत गीता का पूरा अर्थ ही आपने उल्टा कर दिया या समझ लिया। श्री कृष्ण जी युद्ध चाहते ही नही थे। वो शांति प्रिय भगवान है। इसलिए तो वो युद्ध से पहले शांती दूत भी बन कर गए थे। वो सतोगुणी भगवान है। वृंदावन में गाय चराते समय उनके पास गाएं और सभी ग्वाल बाल आ कर प्यार पाते थे। और वो कृष्ण जी अर्जुन को युद्ध के लिए प्रेरित करें ऐसा हो ही नही सकता। सच्चाई तो ये है श्री कृष्ण ने गीता का ज्ञान बोला ही नही था। ये बात आपको बहुत अटपटी लगेगी। लेकिन सच्चाई यही है। इसके कई सारे प्रमाण गीता में ही है। श्रीमद्भागवत गीता का ज्ञान इनके पिता काल ब्रह्म ने श्री कृष्ण के शरीर में प्रविष्ट होकर दिया। इसके भी आपको प्रमाण गीता में ही मिल जाएगी। इन्ही यद्धो से परेशान होकर शांति के लिए उन्होंने मथुरा को छोड़कर समुंद्र के ऊपर एक द्वार वाली नगरी द्वारिका का निर्माण करवाया और वहा जा कर रहने लगे। तो क्या वो भगवान युद्ध के लिए अर्जुन को प्रेरित कर सकते हैं कभी नही।
@Mrvk0772 ай бұрын
Think for 1 like ❤❤
@Mrvk0772 ай бұрын
Hello❤
@survivelocator24132 ай бұрын
जय श्री कृष्ण जय श्री राम 🙏.
@Meena.Meena.5502 ай бұрын
🙌😊
@mahantammams1912 ай бұрын
Sir apni Ghar ki malakin hume bahud dard deri kyu ki hum ladakiya hai jaan bhooj kar
@FastspeedofficalАй бұрын
Witing for watching ❤🎉😊
@harivishwakarma30242 ай бұрын
आप जय श्री कृष्ण, जय श्री राम, मंत्र बोलने के लिए कहते हो। क्या श्रीमद्भागवत गीता में ये मंत्र जाप करने के लिए कहा गया है? और यदि श्रीमद्भागवत गीता के अलावा और कही से मंत्र लेकर जाप करते हैं तो वो व्यर्थ है। क्योंकि श्रीमद्भागवत गीता चारों वेदों का सार निष्कर्ष है। और भगवत गीता में सिर्फ एक ॐ मंत्र लिखा है जो ब्रह्म के पाने का है। और उस पूर्ण ब्रह्म के पाने का मंत्र "ओम तत् सत्" कहा गया है। जो सांकेतिक शब्द हैं। ॐ तो सीधा ही ब्रह्म का है और तत् और सत सांकेतिक शब्द है जिसे केवल तत्वदर्शी संत ही बता सकता है और कोई नही। और तत्वदर्शी संत केवल परमात्मा ही होता है। और कोई हो ही नही सकता।
@prashanthsagar61782 ай бұрын
Jai shree krishna 🙏
@MohitKumar-bw2fsАй бұрын
Jay shree ram jai shree krishna ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤ ❤❤❤❤❤❤❤❤❤ ❤❤❤❤❤❤❤❤❤