श्रीरामचरितमानस कथा | भाग - सत्ताईस, मनु शतरूपा प्रसङ्ग - बालकाण्ड | निग्रहाचार्य | Nigrahacharya

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Swami Nigrahacharya (Shri Bhagavatananda Guru)

Swami Nigrahacharya (Shri Bhagavatananda Guru)

Күн бұрын

Пікірлер: 26
@SwamiNigrahacharya
@SwamiNigrahacharya 3 күн бұрын
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@hariomjha9829
@hariomjha9829 2 күн бұрын
जय श्रीमन्नारायण 🙏
@buransh117
@buransh117 3 күн бұрын
जय श्रीमन्नारायण। नित्य वन्दनीय स्वनामधन्य निग्रहाचार्य श्री भागवतानंद गुरु चरणेभ्य नमः। श्री राम जय जय राम जय राम श्री हनुमान जय जय हनुमान। हर हर महादेव नमः चण्डिकाये
@ananddhamgaudiyaashram
@ananddhamgaudiyaashram 3 күн бұрын
Jai Shree ManNarayan Nigrah charya Ji Maharaj 🙏🙏🌹🌹🙏🌹🙏🙏🌹🌹🙏🌹🙏🙏🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏🌹🌹🙏🌹🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
@PrakharMishra_0
@PrakharMishra_0 3 күн бұрын
हर हर महादेव 🙏 श्रीमन् महामहिम विद्यामार्तंड स्वामी निग्रहाचार्य श्री श्रीभागवतानंद गुरु जी महाराज के चरणों में मेरा कोटिश: प्रणाम🙏 निग्रहाचार्य धर्माज्ञा लोके लोके प्रवर्धताम् 🚩
@ManojSharma-c6y1q
@ManojSharma-c6y1q 3 күн бұрын
❤ sitaram ❤
@SanjayPandey-el2hj
@SanjayPandey-el2hj 3 күн бұрын
जय मॉं भगवती जय हो सत्य सनातन धर्म की जय हो श्री निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरु महाराज जी की जय 🌹🙏🌷🏵️🌹🌺🪷🌷🌹🪷🌷🏵️🙏🌺🏵️🌻
@OmHari291
@OmHari291 3 күн бұрын
जो अनन्य रामभक्त न हो, वैष्णव न हो, वैष्णव चिन्हों से युक्त न हो, श्रीराम जिसके इष्ट न हों, जिसकी वैष्णवी दीक्षा न हुई हो, जिसके गुरु वैष्णव न हों, गुरु परम्परा से जिसे रामकथा नहीं मिली, जिसने दीर्घकाल तक संतों की सेवा न की हो, जिसमें अहंकार, क्रोध, निंदा, वाचालता आदि दोष प्रधानता से विद्यमान हो, जिसमें स्वयं को श्रीराम का दास/सेवक नहीं अपितु श्रीराम ही मानने का दम्भ हो - उसे व्यासपीठ से श्रीरामचरितमानस कथा का अधिकार ही नहीं है। ऐसे अनाधिकारी का नाममहिमा, रामपरत्वादि प्रसंगों के आते ही अपच हो जाना, पेट ख़राब हो जाना व मुखकांति मलिन हो जाना स्वाभाविक ही है जिसके उपचार हेतु अर्थवाद ढूंढना, भांति-भांति के कुतर्क प्रस्तुत करना व उन दोहों/श्लोकों का अप्रत्यक्ष खण्डन करना, आधा-अधूरा कहकर निकल जाना आदि औषधियों का उपयोग भी स्वाभाविक ही है। परन्तु इससे श्रीरामचरितमानस का सिद्धांत नहीं बदल जायेगा, दोष तो वक्ता को ही लगेगा। गोस्वामीजी और रामचरितमानस का नाम लेकर भगवान के नाम-रूप-लीला-धाम को मिथ्या कहना - इससे अधिक दुष्टता व मूढ़ता का प्रदर्शन और क्या हो सकता है! आश्चर्य नहीं, कलियुग का प्रताप है। भगवान श्रीराम सद्बुद्धि प्रदान करें।
@rameshmishra3180
@rameshmishra3180 3 күн бұрын
जय श्री सीताराम सरकार
@LalitKanaujiya-q8x
@LalitKanaujiya-q8x 3 күн бұрын
गुरु देव चरण बंदन ❤ जय श्री सीताराम गुरु जी
@nilanjanchka
@nilanjanchka 3 күн бұрын
Maharaj ji ke Charanome pranam Kal apko Bramhachari Maharaj ji ke sath darshan ka saubhagya hua
@panditarun3166
@panditarun3166 3 күн бұрын
Mahraj ji dandvat
@shreyachandravanshi7199
@shreyachandravanshi7199 3 күн бұрын
🌺🌺🌺🙏🙏🙏
@BhumiharbramhinAbhinavRai
@BhumiharbramhinAbhinavRai 3 күн бұрын
Maharaj ji kripya pauranik shree sukta de dijiye
@rameshmishra3180
@rameshmishra3180 3 күн бұрын
सरकार कई बार मन की लालसा कहे रहे कमेंट में आपके श्री मुख से मानस श्रवण की अब सुलभ हमारे ही भाग से आप राम चरित मानस सुना रहे हैं विगत दिवस आप कह रहे थे तुम्हरेहिं भाग राम बन जाहीं
@OmHari291
@OmHari291 3 күн бұрын
मानस सिद्धांत के विपरीत बिलकुल मनमानी व भ्रामक व्याख्या। मनु शतरूपा जी ने किसी विशेष रामतीर्थ (जो मुख्य रूप से श्रीराम से सम्बद्ध हो जैसे - अयोध्या, चित्रकूट, प्रमोदवन इत्यादि) में जाकर तप नहीं किया। "बासुदेव पद पंकरुह दंपति मन अति लाग" न कि "राम पद पंकरुह दंपति मन अति लाग", साथ हीं, सुमिरहिं ब्रह्म सच्चिदानंदा (न कि राम नाम सुमिरन)। इसी प्रकार तप में विशेष राममन्त्र का प्रयोग नहीं किया (बल्कि वासुदेव/द्वादशाक्षर मंत्र का)। उस समय विशेष रूप से रामायण का नित्य श्रवण नहीं किया बल्कि पुराणों का किया (सत समाज नित सुनहि पुराना)। वरदान मांगते समय भी उन्होंने कभी नहीं कहा कि हमें "श्रीसीतारामजी हीं दर्शन दें"। विधिहरिहर के बहुत बार आने पर भी तथा गगन गिरा से भी राम रूप में दर्शन देने नहीं कहा। यदि वे पहले से ही एकमात्र श्रीराम दर्शन की चाह में ही तप करने आये होते तो सर्वप्रथम रामतीर्थ में जाते, रामायण श्रवण करते, राममन्त्र का जप करते, श्रीरामचरणों में ध्यान लगाते (पर यहां तो सुमिरहिं ब्रह्म सच्चिदानंदा), सीताराम रूप में दर्शन का वर मांगते। पर इनमें से तो मनुजी ने एक भी नहीं किया। उनकी तो सिर्फ एक ही चाह थीं - उर अभिलाष निरंतर होई। देखिअ नयन "परम प्रभु" सोई॥ अगुन अखंड अनंत अनादी। जेहि चिंतहिं परमारथबादी॥ नेति नेति जेहि बेद निरूपा। निजानंद निरुपाधि अनूपा॥ संभु बिरंचि बिष्नु भगवाना। उपजहिं जासु अंस तें नाना॥ तप के फलीभूत होने पर उनकी यह अभिलाषा पूर्ण हुई और उन्हें उन "परम प्रभु" का दर्शन हो गया, जिनकी "मृतक जिआवनि गिरा" है, जिनके समान और कोई नहीं है - आपु सरिस खोजौं कहँ जाई, निरुपम न उपमा आन "राम समान रामु निगम कहै"। अब मानस का यह सिद्धांत आपको पच नहीं रहा है तो यह आपकी निजी समस्या है। इसके चक्कर में आपने पूरी ही मनमानी व्याख्या कर डाली, गोस्वामीजी ने जैसा लिखा है वैसा नहीं बताया। और ज़ब मानस का सिद्धांत/मत आपको पचता ही नहीं है, उसपर आपकी अनन्य निष्ठा हीं नहीं है, अर्थ का अनर्थ/कुअर्थ ही करना है तो फिर मानस की कथा करते ही क्यों हैं? शास्त्रद्रोह के पाप का भागी क्यों बनते हैं? मानस में चार कल्पों के रामावतार की कथा एक साथ चलती हैं जिनके हेतु परम विचित्र एक ते एका हैं। तीन कल्पों में भगवान विष्णु या उनके पार्षदों को मिले शाप के माध्यम से रामावतार वर्णित है। पुराणों में भी प्रायः इन्हीं कल्पों की कथा प्रसिद्ध है। परन्तु मनु शतरूपा वाले कल्प में नित्य साकेतविहारी सकललोकपति अज अगुण अखंड ब्रह्म के अवतार की कथा है। कल्प कोई भी हो, रामवतार के हेतु भिन्न-भिन्न होते हैं पर अवतार श्रीराम का ही होता है चाहे वह विष्णु भगवान को हेतु बनाकर हो या सीधे श्रीराम ही हेतु बने। अतः जहाँ पर विष्णु भगवान को हेतु बनाकर श्रीरामवतार वर्णित है, उससे कहीं से भी मानस का राम परत्वम सिद्धांत खंडित नहीं होता। इन सभी कल्पों की कथा का एकसाथ घालमेल करके कुतर्को द्वारा मनमानी व्याख्या व मानस में अर्थवाद ढूंढने की बीमारी को क्या हीं कहा जाये!
@golpobondhu8687
@golpobondhu8687 3 күн бұрын
Guruji pranam, Rambhadracharya ne kaha hai "sabse pramanik hindu dharmacharya mai hi hu"
@BhumiharbramhinAbhinavRai
@BhumiharbramhinAbhinavRai 3 күн бұрын
😂
@arnabocean3611
@arnabocean3611 3 күн бұрын
काशी का श्रीमठ हीं रामानन्दी सम्प्रदाय का मूल आचार्यपीठ है। वर्तमान में जगदगुरू रामानंदाचार्य स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य जी महाराज, श्रीमठ के गादी पर विराजमान हैं।
@SanjayPandey-el2hj
@SanjayPandey-el2hj 3 күн бұрын
रामभद्राचार्य आर एस एस और बीजेपी के स्वयंभू संत हैं। मोदीजी से पद्म भूषण सम्मान ग्रहण किया है। रामानंद सम्प्रदाय से है। दूसरे एक रामानुज सम्प्रदाय से दक्षिण के भी पद्म भूषण सम्मान ग्रहण किया है। जहां सोना के श्री रामानुजाचार्य जी की मुर्ति मोदी जी उद्घाटन किया है। इसी तरह एक राम
@nilanjanchka
@nilanjanchka 3 күн бұрын
​​@@SanjayPandey-el2hj Chinna Jeeyar Swami hai jinka bat ap kar rahe hain
@SanjayPandey-el2hj
@SanjayPandey-el2hj 3 күн бұрын
@@nilanjanchka सही कहा आपने। नाम भूल गए थे।
@ananddhamgaudiyaashram
@ananddhamgaudiyaashram 3 күн бұрын
Jai Shree ManNarayan Nigrah charya Ji Maharaj 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹🙏🙏🌹🌹🌹🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🌹🙏🌹🙏🌹🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🌹🙏🌹🙏🙏🙏🙏🌹🙏🙏🙏
Каха и лужа  #непосредственнокаха
00:15
К-Media
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А что бы ты сделал? @LimbLossBoss
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Каха и лужа  #непосредственнокаха
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