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'बतियां दौरावत' के आज के आख्यान में हम दोपहर के सारंग के प्रकारों की तस्वीर खींचने की कोशिश करेंगे।वृंदावनी सारंग, शुद्ध सारंग, मधमाद सारंग, गौड सारंग.
वृन्दावनी सारंग दोपहर का, मध्याहन का राग है.. परंतु दिन के मध्यकाल की प्रखर धूप का अनुभव इस राग में नहीं मिलता। शायद यह मध्याह्न जाडे की रितु की है, जब दोपहर की धूप कुछ वांछनीय महसूस होती है। यह धूप नर्म, गुनगुनी है, प्रखर, दाहक नहीं है। दोपहर के भरपेट भोजन के बाद पान चबाता हुआ मानो यह राग गांव की बीचवाली गली के बरगद या पीपल के वृक्ष की छाँव में पाँव पसारकर बैठ गया है। आते-जाते पथिक, जाने पहचाने पास पडोसियों की खबर लेने वाला, उनके सुखदुख में शामिल होनेवाला, खुशमिजाज, अबोध, मासूम इन्सान।
जहां वृंदावनी सारंग की धूप नर्म, गुनगुनी और वांछनीय प्रतीत होती है, वहींपर राग शुद्ध सारंग में दोपहर की कड़ी धूप का अनुभव मिलता है। शायद यह राग गर्मी के महीनों की, बैसाख की झुलसाने वाली धूप का एहसास दिलाता है। शुष्क, रेगिस्तान वाली दोपहर में गर्म, धूलभरी हवा की लू चलने से बार बार प्यास बुझाने के लिए पानी पी पी कर जब भूख मर जाय, खाना अच्छा न लगे, ऐसी शरीर और मन की तलब, छटपटाहट और कभी न बुझनेवाली प्यास।
मधमाद सारंग मध्य दोपहर का अनुभव दिलानेवाला राग है। परंतु यह दोपहर ना तो जाड़े की है, और न हि ग्रीष्मकालीन .... गर्मी के मौसम के आखिर में जब आनेवाली बारिश की वजह से हवा में उमस भर जाय, तब की दोपहर। हवा बिलकुल नहीं चल रही, पेड के पत्ते तक नहीं हिल रहे है, पसीने की वजह से जैसे साँस तक थम रही हो, ऐसी बेबसी ! इस राग के स्वर हैं 'मेघ' राग के स्वरों से बिलकुल मेलजोल रखनेवाले... इसीलिए इस राग की भावस्थिती भी मेघ राग की भावस्थिती के निकटवर्ती
गौड सार राग है छोटे बच्चोंकी गर्मियों की छुट्टियोंवाली दोपहर का एहसास दिलानेवाला । बच्चोंकों जब सख़्त सूचना दी जा चुकी है, कि बाहरवाली कड़ी धूप में खेलने नहीं जाना है, छाँव में, बल्कि घर ही के अंदर खेलना है। परंतु घर में सब बड़े-बूढे दोपहर को सो रहे होते हैं, इसलिए बहुत शोर भी नहीं करना है। बच्चों को तो क्या धूप, क्या छाँव... आँगन में वे या तो पेडोंपर चढ़ेंगे, कच्चे आम, अमरूद या इमली खाएंगे, या फिर घरके बरामदे में बड़े से झूले पर मिल बैठ कर अंताक्षरी खेलेंगे, गाएंगे... ऐसा ही है गौड़- सारंग -- छोटी छोटी बातों का आनंद लूटनेवाला, लुत्फ़ उठानेवाला ... बच्चों का पसंदीदा - आइस्क्रीम नहीं बरफ का गोला !
Credits:
Written and Presented by : Dr. Ashwini Bhide Deshpande
Creative Ideation: Amol Mategaonkar
Sound Recording & Mixing: Amol Mategaonkar
video Recording, Color Grading: Kannan Reddy
Video Editing: Amol Mategaonkar
Special thanks: Raja Deshpande, Akanksha Mategaonkar
Location Courtesy: Meenal Mategaonkar, Amol Mategaonkar
Opening Title Photo Credit: Varsha Panwar