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विजयनगर साम्राज्य का पतन, एक दुखांत वृतांत है। क्या महान विजयनगर साम्राज्य अपने शासकों की उनही गलतियों के कारण ध्वस्त हुआ जो हश्र कदाचित बार बार मुहम्मद गोरी को जीवन दान देने के कारण पृथ्वीराज चौहान ने भुगता था? हमें ज्ञात है कि विजयनगर साम्राज्य की मुसलमान आक्रान्ताओं द्वारा शासित बहमनी राज्य से सीमाएं मिलती थी। अनेक बार बहमनी के सुलतान विजयनगर की तलवारों की चमक के आगे घुटने टेकते नजर आए थे, कितनी ही बार यह अवसर सामने आया था कि इन मुसलमान शासकों का समूल अंत किया जा सकता था लेकिन ‘कमजोर पर दया’, ‘गिड़गिड़ाते को क्षमा’ और ‘भागते हुए को अभय’ देते देते भारत के गौरवशाली हिन्दू राजवंशों ने अपने पतन की भूमिका स्वयं लिखी थी। युद्ध राजनैतिक होते हैं लेकिन क्यों केवल हिन्दू राजाओं ने ही इस सूत्र का प्रतिपालन किया, बहमनी के मुसलमान सुलतानो ने तो हमेशा अपनी राजनीति को मजहब के साथ ही जोड़ कर देखा और समझा।
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