RSS नहीं चाहती कि बच्चे विज्ञान पढ़े और सवाल पूछे

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Күн бұрын

Пікірлер: 786
@radheshyamchandouliya6097
@radheshyamchandouliya6097 Жыл бұрын
वैज्ञानवादी बनों, मानवतावादी, किसी धर्म की जरूरत नहीं होती। जो मानव, अपने आप को मानववादी (मानव) बना लें तो, व्यक्ति को किसी में कोई ( हिन्दू, मुस्लिम, सिंख, ईसाई अन्य धर्म) या (ब्राह्मण, श्रतिय, चिश्ती या अन्य जाति) नहीं दिखाई देगी। उसके लिए सब समान है सभी मानव हैं। मानवतावादी ही धर्म है। कर्म ही पूजा है। जयभारत जय विज्ञान
@RR-oo2wf
@RR-oo2wf Жыл бұрын
धन्यवाद सर , साहस दिखा के सत्य बोलने के लिए
@subodhransal1138
@subodhransal1138 Жыл бұрын
Halleluiya praise the lord ❤
@manoharmorbajibaraskar3030
@manoharmorbajibaraskar3030 Жыл бұрын
❤lL😂😂😂
@SuperShambhoo
@SuperShambhoo Жыл бұрын
पत्थर रेत बन जाता है रेत पत्थर बन जाती है यह ब्रम्हांड के विशेष नियमों से अवस्था परिवर्तन का क्रम है.... एवोल्यूशन शब्द ही गलत... है....
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय ! भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@ramprasad7837
@ramprasad7837 Жыл бұрын
महान वैज्ञानिक डार्विन का विकासवाद का सिद्धांत उपेक्षित हुआ मनुवाद ब्राम्हणवाद का पाखंड अन्धविश्वास वाद के समक्ष। जय विज्ञान, जय संविधान, जय भारत
@abhaysharma1127
@abhaysharma1127 Жыл бұрын
डाक्टर रघुनंदन जी ने बिल्कुल सही कहा, पर RSS or BJP वाले तो अपनी धुन में लगे हैं, उनके अनुसार वही सब गुण संप्पन हैं।
@rameshvekaria2533
@rameshvekaria2533 Жыл бұрын
To kya aap muslimlig Or amim me science me mante hai,?
@dontTalkBullshit
@dontTalkBullshit Жыл бұрын
Abe bewakoof repetitive syllabus ko hataya hai
@tulshiramambhore7206
@tulshiramambhore7206 Жыл бұрын
Right
@SuperShambhoo
@SuperShambhoo Жыл бұрын
डार्विन की थ्योरी फेल हो चुकी है पता नहीं क्या???😛 वेदों के महा विज्ञान की ओर जाना पड़ेगा....👋👋 वेद परंपरा की पंचाग्नी विद्या.. कर्म फल का और पुनर्जन्म का सिद्धांत पढ़िए.. हमारा वस्त्र मनुष्य का शरीर है कुत्ते का वस्त्र कुत्ते का शरीर है...दोनों के भीतर बैठे हुए जीवात्मा को समान सुख और दुख की अनुभूति होती है... कर्म के अनुसार शरीर बदलता है... कुत्ते जैसा कार्य करने पर कुत्ते का ही शरीर मिलेगा!!!🤔🙏 मृत्यु नहीं ... होती अवस्था परिवर्तन होता है... पानी की मृत्यु नहीं होती भाप बन जाता है ...🤔🙏भाप की मृत्यु नहीं होती पानी बन जाती....🤔🙏 वेदों के महा विज्ञान की ओर जाएं समस्त ब्रह्मांड की एकरूपता भी समझ में आ जाएगी भटकने की आवश्यकता नहीं... जय सियाराम
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय AbhaySharmaji ! भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@surendratanwar7426
@surendratanwar7426 Жыл бұрын
हेड लाइन में कुछ बदलाव करना चाहिए कि RSS नहीं चाहता कि दूसरों के बच्चे विज्ञान पढ़ें।
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय SurendraTanwarji ! भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@vinodkumarambedkar5044
@vinodkumarambedkar5044 Жыл бұрын
मनुवादी हमेशा स्वयं को स्थापित करने के लिए इस तरह की कल्पित सोच हम परलाद रहे हैं देश और समाज का कितना नुकसान इस मनुवादी सोच से हो रहा है इसकी चिंता नहीं,
@sachidanandyadava2652
@sachidanandyadava2652 Жыл бұрын
डा. रघुनन्दन सर को उक्त विश्लेषण के लिए हृदय से साधुवाद।।
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय Sachidanandyadavaji ! भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@sachidanandyadava2652
@sachidanandyadava2652 Жыл бұрын
@@avadhutjoshi796 श्रद्धेय, जब कोई सरकार लोकतंत्र के अनुरूप चले तब उसके नागरिकों कि सुनवाई होती है और जब वही सरकार एकतंत्रवाद (जैसा कि वर्तमान में साफ़ साफ़ दिख रहा है) का जामा ओढ़ ले तो चाहे आप 1400 या 14000 पत्राचार करें उसके लिए कोई मायने नहीं रखता!! जन्तर-मन्तर के आज की वर्तमान हालात से जरा अंदाजा लगाने की कोशिश कीजिए!! ये वही विश्वविख्यात महिला खिलाड़ी हैं जिन्हें कभी यह देश और यही सत्ताधीश अपनी पलकों पर बिठाया और आज उनकी स्थिति पर एक तरस भरी निगाह डालना भी उस सत्ताधीश को गँवारा नहीं है जिसका स्वयं का दिया नारा "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" भी तार तार हो रहा है!!
@mathsforme177
@mathsforme177 Жыл бұрын
धन्यवाद, रघुनंदन सर जी
@newsdrishtipat
@newsdrishtipat Жыл бұрын
श्री रघुनंदन जी के साथ आपका भी बहुत बहुत साधुवाद!
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय ! भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@swayamnyaynirgude3720
@swayamnyaynirgude3720 Жыл бұрын
INDIA ko bohot jarurat hai esse rational logo ki 🙏👍🇮🇳
@faiyazurrahman1668
@faiyazurrahman1668 Жыл бұрын
After watching the complete interview, found it worthy and knowledgeable.
@Ash01010
@Ash01010 Жыл бұрын
😂🤣
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय Faiyazurrahmanji ! भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@RAJENDRAPRASAD-or1ze
@RAJENDRAPRASAD-or1ze Жыл бұрын
​@@avadhutjoshi796 qqqqqqq
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
@@RAJENDRAPRASAD-or1ze ???????????????????
@OneBio.Education
@OneBio.Education Жыл бұрын
संघ चाहती है की लोगों को ये पढ़ाया जाए की , मुंह से कौन पैदा हुआ, कंधे से कौन पैदा हुआ, पेट से कौन .....
@naturepatel
@naturepatel Жыл бұрын
Wo sirf obc sc st ke bachho ke liye.upper caste ke bachhe science ko padhe videsh jaker padhe.magar obc shudra aur sc st achhut unke anusar siksha na le sirf goperpant ki sikska le aur murkh bana rahe aur raj sirf ye manuvadi karte rahe
@MANISHKUMAR-mu1vv
@MANISHKUMAR-mu1vv Жыл бұрын
​@@naturepatel tum pdo na sangh ne tumhe kab roka hai kush bhi apni nakami ko sangh pe mat thopo tum batao kitni physics biology chemistry maths ki book tumne pdi hai apne logo ko bhi pdao kisne roka hai free education shuru karo apne area me baccho ko science pdao social media me sangh sangh karne se kya hoga sangh ki bahut si school chal rahi tum bhi kholo apni school kush karo bhai apne logo ke liy sangh BJP ke khilaaf nafrat kush nhi hoga wo jo bhi kar rahe badi mehnat se kar rahe hai
@naturepatel
@naturepatel Жыл бұрын
@@MANISHKUMAR-mu1vv badi mehnat .hmm janta ka tax badi mehnat se le raha hai .sarkar ka kam hai school khol jayeda se jayeda.scientific tampra rakhna aur school me syllabus hatana nahi dalna.hum tuition padha sakte hai school kholne ke liye paisa chahiye jo sarkar karegei.iske pahle ki sarkar ne bahut se sarkari school.khole hai band nahi kiye hai.mirch kyun lag rahi hai sach hi to bola ja raha hai
@snehanayak9791
@snehanayak9791 Жыл бұрын
Ab hindu andhbhakt kaha gaye dikh nai rahe hai, jai shree ram likhne wale kaha gaye, bro Sri ke tumhare Waze se desh kya banne ja raha hai
@rig_it_safe
@rig_it_safe Жыл бұрын
Kya kuch samjh nahi aaya
@manumahli6033
@manumahli6033 Жыл бұрын
दूसरे दूसरे देशों के वैज्ञानिक कहां से कहां चले गए । उन्होंने तो अनेक नए नए वैज्ञानिक आविष्कार कर लिए हैं । जिन्हें हम अपने दैनिक जीवन में उपयोग भी करते हैं । लेकिन भारत अपने पुरातन युग में पड़े हुए हैं । यह तो बहुत ही अफसोस की बात है।
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय Manumahli6033 ! भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@MohammadFarook-gz6sq
@MohammadFarook-gz6sq Жыл бұрын
आरएसएस बीजेपी वाले सर्वशिक्षा अभियान को गुप्त षड़यंत्र के तहत सरकारी स्कूलों से हटकर निजी स्कूलों में अपनी मनुवादी सामंती व्यवस्था को श्रेष्ठ बता कर पढ़ाएंगे ! और गरीबों पिछड़ों को फिर से शूद्र और अपना सेवक बनकर मनुस्मृति को आधुनिक संविधान में स्थापित करने का प्रयास करेंगे!
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय MohammadFarookji ! भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@xyz98396
@xyz98396 Жыл бұрын
साहस शील हृदय में भर जीवन को विज्ञानमयी कर। धन्यवाद आपको। धन्यवाद न्यूज़क्लिक
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय Sarjunarainji ! भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@TarksheelManav
@TarksheelManav Жыл бұрын
दुर्भाग्य है देश का ,
@basantprasadsgarden8365
@basantprasadsgarden8365 Жыл бұрын
बिना ज्ञान का विश्वगुरु क्या गोबर / मूत्र/ जातिप्रथा से बनेगा भारत!
@swapniltupere1443
@swapniltupere1443 Жыл бұрын
Asha Tupere bhut bdhiya sir apko ap ya ham me se kuch log apne ego ki vjh se agli pidhiyo ka nuksan kr rhe hy unko pngu bna rhe hy sb kuch tba krne pr tule hy fir ham or apke jyse kuch achche log milkr kuch nhi kr skte andhe bhre hokr dek nhi skte socho kuch to krna pdega
@duniyadaritv
@duniyadaritv Жыл бұрын
आपकी बात सही है और बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारियां दी हैं और भविष्य में होने वाले वैज्ञानिक नुकसान से आगाह किया है। धन्यवाद
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय ! भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@Kamalkamal-nn9ig
@Kamalkamal-nn9ig Жыл бұрын
बहुत बढ़िया बहुत ही शानदार सच्चाई पेश की है बिलकुल सही 💯 % सही विश्लेषण पेश किया सर थैंक्स सलाम 🙏
@nilimakeram1121
@nilimakeram1121 Жыл бұрын
सही बोले सर .
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय Nilimakeramji ! भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@ManishKumar-sm4vr
@ManishKumar-sm4vr Жыл бұрын
कितने दुख की बात है, हम जानकर भी अनजान है,,,क्यों,,, क्योंकि हमारे नेता ही चाहते हैं,,, 😞 हम परम्परावादी ही बने रहें,,,
@shivshankarkushwaha357
@shivshankarkushwaha357 Жыл бұрын
RSS. Aur. BJP. 500.sal.des.ko.piche.le.jana.chahati.hai.karan.log.burbak.rahe.taki.vote.ka.khela.chalta.rahe
@naturepatel
@naturepatel Жыл бұрын
Bjp aur rss manusmriti ke anusar desh chalana chahti hai jiske anusar obc sc st padhe nahi sirf upper caste ke bachhe padhe aur obc sc st murkh rahe taki inko fir se gulam banaya ja sake .thanks to Bhim Rao Ambedkar jiski wajah se hum obc sc st padh pa rahe hai
@manishbhagat1142
@manishbhagat1142 Жыл бұрын
@@naturepatel thank you for your consideration and applause for Babasaheb Ambedkar and his efforts towards the bahujans I am glad to hear this from an OBC category 🙏🙏🙏
@naturepatel
@naturepatel Жыл бұрын
@@manishbhagat1142 only give thanks to Baba saheb.obc are socially and economically backward class.they don't know the importance of Baba saheb Jyoti ba fule periyar.and rss know very well how to use obc through hindutva.lets hope positive.slowly slowly they know the rss agenda
@manishbhagat1142
@manishbhagat1142 Жыл бұрын
@@naturepatel It depends on the awakened ones who don't educate the obcs about their history and real heroes the awakened obcs must educate others about their history and contribution of babasaheb to the obc and it's the only way to tackle the hindutva and Brahminism
@mukeshkumarsharma2576
@mukeshkumarsharma2576 Жыл бұрын
❤ salute sir, brilliant discussion,we should respect science, Nature and learn more and more
@hanumanprashadsharma5833
@hanumanprashadsharma5833 Жыл бұрын
टटंटक टटंटक कंकं कंकं
@MSJohn-gq6ug
@MSJohn-gq6ug Жыл бұрын
​@@hanumanprashadsharma5833jnob😅😅
@tulshiramambhore7206
@tulshiramambhore7206 Жыл бұрын
Good
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय MukeshKumarSharmaji ! भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@SuperShambhoo
@SuperShambhoo Жыл бұрын
डार्विन की थ्योरी फेल हो चुकी है...😛 एवोल्यूशन शब्द ही गलत है... ब्रम्हांड के विशेष नियमों से पत्थर रेत बन जाता है ...रेत पत्थर बन जाती है ...यह अवस्था परिवर्तन का क्रम है.. सृष्टि बनती है.. बिगड़ती है... ब्रह्म का एक दिन सृष्टि की आयु है.. अनेकों ब्रह्मा हैं... पूरा सूक्ष्म गणित है.. जाकर पढ़िए...पता नहीं क्या???😛 वेदों के महा विज्ञान की ओर जाना पड़ेगा....👋👋 वेद परंपरा की पंचाग्नी विद्या.. कर्म फल का और पुनर्जन्म का सिद्धांत पढ़िए.. हमारा वस्त्र मनुष्य का शरीर है ..कुत्ते का वस्त्र कुत्ते का शरीर है...दोनों के भीतर बैठे हुए जीवात्मा को समान सुख और दुख की अनुभूति होती है... कर्म के अनुसार शरीर बदलता है... कुत्ते जैसा कार्य करने पर कुत्ते का ही शरीर मिलेगा!!! शरीर एक इंस्ट्रूमेंट है विचारों और कर्मों से प्राप्त होता है... स्पष्ट है एवोल्यूशन थ्योरी की आवश्यकता ही नहीं 😂 मनुष्य से कुत्ता और कुत्ते से मनुष्य दोनों ओर की गति है...🤔🙏 मृत्यु नहीं ... होती ... गीता पढ़िए ...👋🙏अवस्था परिवर्तन होता है... पानी की मृत्यु नहीं होती भाप बन जाता है ...🤔🙏भाप की मृत्यु नहीं होती पानी बन जाती....🤔🙏 वेदों के महाविज्ञान की ओर जाएं ...समस्त ब्रह्मांड की एकरूपता भी समझ में आ जाएगी... भटकने की आवश्यकता नहीं... जय सियाराम
@veenagaba1685
@veenagaba1685 Жыл бұрын
Excellent words by Dr Raghunandan
@PK-qe2py
@PK-qe2py Жыл бұрын
सभी धर्मो के लोगो ने दुकानें खोली है, हिंदू हो या मुसलमान, घिसता तो बीच में आम इंसान! इन लोगो की ठुकाई जरूरी हैं।
@rpmdy
@rpmdy Жыл бұрын
जब आइजाक न्यूटन law of motion लिख रहे थे, तब कुछ लोग ढ़ोल,गंवार, शूद्र,पशु, नारी लिख रहे थे। ये लोग फिर से उसी दुनिया में जाना चाहते हैं।
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय RPMDY ! 🙏 भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@OmParkash-eo4dk
@OmParkash-eo4dk Жыл бұрын
I am strongly with our ideas. Rt describe.
@navneetdhariwal3344
@navneetdhariwal3344 Жыл бұрын
Thanks for this video 🙏🏻
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय NavneethDhariwalji ! भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@AftabKhan-lg8uc
@AftabKhan-lg8uc Жыл бұрын
Bahut khoob
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय AftabKhanji ! 🙏 भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
@@AftabKhan-lg8uc Thanks a lot. You have correctly mentioned about endless discussion on religion. It is a problem of incorrect mode of discussion or we can also call it limitation. That is why I developed a special system of discussion. I have given its brief idea. I am 100% sure about its success. But it will need huge resources. And only a government can provide it. I am waiting for one such government which will help. Till then Pl support the idea of nationwide discussion and share with maximum. 🙏. Avadhut Joshi
@AftabKhan-lg8uc
@AftabKhan-lg8uc Жыл бұрын
@@avadhutjoshi796 ok
@durgeshkarmakar819
@durgeshkarmakar819 Жыл бұрын
बहुत सुंदर
@KcSingh-md1uc
@KcSingh-md1uc Жыл бұрын
Salute sir, nice explanation in simple words
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय KcSinghji ! भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@chandrikaroy1060
@chandrikaroy1060 Жыл бұрын
Thank you News Click. Very good discussion. It's an eye opener. I want to see more programs on science and nature.
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय ChandrikaRoyji ! भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@sureshmaurya6618
@sureshmaurya6618 Жыл бұрын
बहुत बहुत साधुवाद
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय ! भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@thealok85
@thealok85 Жыл бұрын
Thank you so much Raghunandan Sir...
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय ! भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@hargovindsingh576
@hargovindsingh576 Жыл бұрын
Ek dam Satya...
@shivajirohilla9616
@shivajirohilla9616 Жыл бұрын
Hats. Off. To. U. Sir
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय ShivajiRohillaji ! 🙏 भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@ghanshyamshrivastava3349
@ghanshyamshrivastava3349 Жыл бұрын
अब डार्विन का सिद्धांत रुक क्यों गया है,शेर,शेर रह गया, आदमी, आदमी पर ठहर गया है, लाखों सालों से अब क्यों नहीं बदल रहा है
@fromme6521
@fromme6521 Жыл бұрын
लाखों साल आपने देख लिए क्या?
@swayamnyaynirgude3720
@swayamnyaynirgude3720 Жыл бұрын
Jai bhim sir 🙏
@abhaykanth5577
@abhaykanth5577 Жыл бұрын
Dhanybad.😮
@s.s.b.5456
@s.s.b.5456 Жыл бұрын
Great Sir 🙏🙏🙏🙏🙏
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय ! भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@rajneesh246
@rajneesh246 Жыл бұрын
RSS तभी तो बाबा, गुरु culture ला रहा है, धर्मान्धता फैलाकर सता आसानी से मिल जाती है,
@nceep
@nceep Жыл бұрын
What an important topic you guys are discussing... I am glad I can share it with my son with a content to think pragmatically and expose him to scientific thinking. Really glad. 🙏🙏
@dr.pramodkumar4974
@dr.pramodkumar4974 Жыл бұрын
Bahut sundar sirji.
@savar796
@savar796 Жыл бұрын
Right Sir. You are saying right thing.
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय Savarbarelaji ! भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@SKD1947
@SKD1947 Жыл бұрын
Nice sir ❤
@AmarjeetSingh-vi8sq
@AmarjeetSingh-vi8sq Жыл бұрын
Sare bhagwaan hmare pas.sare pakhand andvishvas hmare pas Fir bhi sabse jyada jute hamne khaye
@RajeshVerma-zs3ob
@RajeshVerma-zs3ob Жыл бұрын
जैन मत में स्याद्वाद सिद्धांत का प्रतिपादन किया गया था, डी रघुनन्दन साहब विद्वान हैं इसमें कोई शक नहीं है, परन्तु सामाजिक सरोकार भी कोई चीज होती है, विज्ञानं भी जरुरी है और कला-संस्कृति भी ज़रूरी है , हम पहले कुछ नहीं थे ये सोच भी गलत है, अंग्रेज ही सब कुछ थे ये मानना भी पूर्णतः गलत है . डी रघुनन्दन साहब क्या हमारी ज्योतिष गणना को झुठला सकते हैं , क्या वे हमारी वास्तु क्षमता को नकार सकते हैं, क्या वे रामायण के आर्ट ऑफ़ लिविंग के संदर्भ को नकार सकते हैं, क्या वे महाभारत में उल्लिखित जीवन की नकारात्मकता को झुठला सकते हैं, तो हम सदा से अवैज्ञानिक थे ये कहना हमारी हीन भावना को प्रदर्शित करती है . जय माँ भारती !
@hilarysingh8191
@hilarysingh8191 Жыл бұрын
I am glad to know from eminent scientist B. Raghunath Nandan keeps good faith in how our scientists search for evolution made us transform nature and why such an important subject became to learn and point out regarding Charles Robert Drawin. Theory remarkable .
@SuperShambhoo
@SuperShambhoo Жыл бұрын
डार्विन की थ्योरी फेल हो चुकी है...😛 एवोल्यूशन शब्द ही गलत है... यदि एवॉल्यूशन को माना भी जाए तो वह तात्कालिक घटना नहीं है...प्रोसेस है... ब्रम्हांड के विशेष नियमों से पत्थर रेत बन जाता है ...रेत पत्थर बन जाती है ...यह अवस्था परिवर्तन का क्रम है.. यह चलता रहता है....सृष्टि बनती है.. बिगड़ती है... ब्रह्मा का एक दिन ... इस सृष्टि की आयु है.. अनेकों ब्रह्मा हैं... पूरा सूक्ष्म गणित है.. जाकर पढ़िए... बिना पढ़े समझ नहीं आता .. वेदों में प्रकाश की गति भी निकाली गई है ...पढ़ना चाहिए... समय की.. संसार की सबसे सूक्ष्म इकाई...वैदिक परंपरा ने दी है पता करना चाहिए!!!!.हम विज्ञान विज्ञान चिल्लाते हैं...😛 क्या हमें पता है कि... विज्ञान किस तरह सिद्ध करता है???? विज्ञान प्रत्यक्ष प्रमाण और अनुमान प्रमाण से सिद्ध करता है... जो कि न्याय दर्शन दर्शन की प्रणाली का अंग है... न्याय दर्शन और आगे तक जाकर सिद्ध करता है... इसलिए विज्ञान ईश्वर को सिद्ध नहीं कर पाता!!!🤔 पर विज्ञान सत्यवादी है.. सत्य कहता है... इसलिए वह कुछ कहता नहीं !!! वह मौन हो जाता है... क्योंकि उसे सिद्ध करना पड़ेगा!!! वह उसकी सीमा नहीं!!!! लेकिन हम सब बकवास करते हैं... 🤔👋 😛 वेदों के महा विज्ञान की ओर जाना पड़ेगा....👋👋 वेद परंपरा की पंचाग्नी विद्या.. कर्म फल का और पुनर्जन्म का सिद्धांत पढ़िए.. हमारा वस्त्र मनुष्य का शरीर है ..कुत्ते का वस्त्र कुत्ते का शरीर है...दोनों के भीतर बैठे हुए जीवात्मा को समान सुख और दुख की अनुभूति होती है... कर्म के अनुसार शरीर बदलता है... कुत्ते जैसा कार्य करने पर कुत्ते का ही शरीर मिलेगा!!! शरीर एक इंस्ट्रूमेंट है विचारों और कर्मों से प्राप्त होता है... स्पष्ट है एवोल्यूशन थ्योरी की आवश्यकता ही नहीं 😂 मनुष्य से कुत्ता और कुत्ते से मनुष्य दोनों ओर की गति है...🤔🙏 मृत्यु नहीं ... होती ... गीता पढ़िए ...👋🙏अवस्था परिवर्तन होता है... पानी की मृत्यु नहीं होती भाप बन जाता है ...🤔🙏भाप की मृत्यु नहीं होती पानी बन जाती....🤔🙏 वेदों के महाविज्ञान की ओर जाएं ...समस्त ब्रह्मांड की एकरूपता भी समझ में आ जाएगी... भटकने की आवश्यकता नहीं... जय सियाराम जय भीम
@radheya141
@radheya141 Жыл бұрын
​@@SuperShambhoo bhaiya Jo hindu sampradaya ka nahi hai uska kya hoga .... kya unhe mukti milegi
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय Hilarysinghji ! भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@SuperShambhoo
@SuperShambhoo Жыл бұрын
@@radheya141 भाई बहुत सुंदर बात पूछी है... सूरज सबके लिए उगता है.... 👋👋👋सूरज कोई संप्रदाय देखकर नहीं उगता... सूरज का उगना एक सत्य है...🤔🙏 सनातन धर्म कोई संघ या संप्रदाय नहीं है...👋 सनातन धर्म एक सत्य की खोज का मार्ग है.. इसलिए सबका है... यह धर्म समस्त जीवो का ..और ब्रह्मांड का चिंतन करता है.. ध्यान से पढ़ने और समझने पर यह ज्ञान होता है...👋 संपूर्ण विश्व को परिवार मानने वाला सनातन धर्म ही... विश्व शांति का कार्य कर सकता है... सनातन धर्म मैं जाति व्यवस्था नहीं वर्ण व्यवस्था थी ...वर्ण व्यवस्था कर्म व्यवस्था है... परंतु इसे तोड़ने के लिए हजारों साल से प्रयास चल रहे हैं... मुगलों के अत्याचार ने फिर अंग्रेजों ने इसे जातियों में बांट कर तोड़ दिया!!!! पर सत्य का कोई धर्म या संप्रदाय नहीं होता यह जानना अत्यंत आवश्यक है....👋👋🙏
@HistorySheeterNabi-Dacoit
@HistorySheeterNabi-Dacoit Жыл бұрын
Thoda samjha do...Kya jiii, Darwin theory of evolution ka sach jan-ne k liye, Bander se Admi k bich me, ex- Bander baten karna, Admi ped par rahna aor Bander k tarah jump karney, Langur ko Ghar bana k rahna wagara, lakhon activities rahna chahiye. Ye jo aged teacher hai, Jo Virus k ankhey ya Dimag bhi dekh liya, kindly thoda batayen, kaun order de k bataya, aaj se har prakar k Bander, Bander rahengey aou jitney Change huye ho wo Admi ho k rahenge, is k upar thoda Gyan pel denge to Dil Bag bag hojayega, Dimag Roshan ho jayega. Saley Gadhon ko pata nahi ki recently "Honeybadger" Odisha me keisey paeda hua. Bakta hai Darwin k Bander mera Abbu tha.
@oshodst
@oshodst Жыл бұрын
Dr रघु नंदन ये जरूरी नहीं की आप darwin का थ्योरी पढ़ाए बालिक यह जरूरी है की विज्ञान की सोच कैसे मारी जा रही है
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय ! 🙏 भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@TheUnknown79
@TheUnknown79 Жыл бұрын
Dhanyabad Raghunandan sir
@abdulrahimankomath8694
@abdulrahimankomath8694 Жыл бұрын
SATYAMEVA JAYATE !
@radheyshyam5793
@radheyshyam5793 Жыл бұрын
संघी - भाजपाई देश को अट्ठारहवीं सदी में ले जाने को कटिबद्ध हैं।
@anandbaitha6366
@anandbaitha6366 Жыл бұрын
बिल्कुल सही कहा आपने सर।
@dr.kalpana.singh.19
@dr.kalpana.singh.19 Жыл бұрын
Sateek vishleshan
@yateendrabioguriji206
@yateendrabioguriji206 Жыл бұрын
जिन लोगों ने syllabus बनाया वे शिक्षाविद तो नहीं होंगे और साइंस तो बिलकुल भी नहीं पढ़े होंगे
@satishchandrayadav9165
@satishchandrayadav9165 Жыл бұрын
aaj ke itihas ko mitanewalon jaise buddhiheen bhi nahi honge.
@MANISHKUMAR-mu1vv
@MANISHKUMAR-mu1vv Жыл бұрын
Tum pdao science apne area yaha sarkaar ko kosne se kya hoga sarkaar ko jo karna hai karegi tum itna to kar sakte ho apne area baccho free pda sakte ho yaha sangh ko koshne se kush nhi hoga
@Sunnyblueresonant
@Sunnyblueresonant Жыл бұрын
`vo saaew Brahman hai, Insaan mukh se, Paite se, shoulder se, ye padhaya jayga
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय Yateendrabioguriji ! भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@ss04600
@ss04600 Жыл бұрын
दूसरों की मेहनत से की हुई खोज को गपोड गाथाओं से जोड़ कर अपना बताना कितना आसान होता है
@satendrahansda_
@satendrahansda_ Жыл бұрын
Evolution को पढ़ना चाहिए । चूंकि सभी बच्चे विज्ञान नहीं पढ़ते हायर क्लास में । अतः यह पढ़ना ही चाहिए ।
@manikpatil5235
@manikpatil5235 Жыл бұрын
संघ और जमाते इस्लाम एक ही सिक्के के दो रुख हैं
@Khans199
@Khans199 Жыл бұрын
Fir bhi jama e islami gunda gardi type nhi karte
@rahulnagarkar8237
@rahulnagarkar8237 Жыл бұрын
@@Khans199 सिर्फ जिम्मे को पथ्थरबाजी करता है।
@sachinbhangare4517
@sachinbhangare4517 Жыл бұрын
100% right
@anandprasadsharma5067
@anandprasadsharma5067 Жыл бұрын
Bilkul sahi baat
@anandprasadsharma5067
@anandprasadsharma5067 Жыл бұрын
@@Khans199 dono anpadh jahil aur cruel hote hai
@mohan1997
@mohan1997 Жыл бұрын
The word Darvin sounds like Dravidian for RSS Brahmans. Hence they hate Darvin!
@rationalHuman1897
@rationalHuman1897 Жыл бұрын
What's the problem associated with Dravidian, I need little explanation.
@nishantjaikari2484
@nishantjaikari2484 Жыл бұрын
​@@rationalHuman1897​​ RSS agenda draws heavily on Aryan race and its supremacy , and consider other race inferior including Dravidians.
@1101smartkooldude
@1101smartkooldude Жыл бұрын
@@rationalHuman1897 boss you didn't get his point. the aryans have alway had issues with the real natives of this land who are dravidians just because they want to have absolute powers which dravdians cannot and will never ever allow that to happen in the land of their forefathers.
@snehanayak9791
@snehanayak9791 Жыл бұрын
Ab hindu andhbhakt kaha gaye dikh nai rahe hai, jai shree ram likhne wale kaha gaye, bro Sri ke tumhare Waze se desh kya banne ja raha hai
@Saagar_Sahu
@Saagar_Sahu Жыл бұрын
Madrasi logic
@amitkumarsingh5142
@amitkumarsingh5142 Жыл бұрын
Sangh ke school me sabhi subjects padhaye jate hai . Mai Prayagraj me rhta hu . Yha jwala devi school hai Sangh ko dan me Diya gya. Ye school UP board ka top school me aata hai.
@tilakramgautam97
@tilakramgautam97 Жыл бұрын
Thanks!
@Mr.BR15
@Mr.BR15 Жыл бұрын
Waaah kya baat hai ..
@onlinekalam6076
@onlinekalam6076 Жыл бұрын
BESHAK.
@santoshmeena5428
@santoshmeena5428 Жыл бұрын
Ye to sahi baat h,
@vinodbrid8453
@vinodbrid8453 Жыл бұрын
यही बात तो हिंदू धर्म मे है. हमारे 10 अवतार का सिरियल देखो. 1- माचली, 2- काचुआ 3- सुअर
@chetanpatane7142
@chetanpatane7142 Жыл бұрын
Thanks sir.
@bitanroypatwari2294
@bitanroypatwari2294 Жыл бұрын
Me bhi manta hu apne jo kaha hey thik kahi hey
@RuchiSingh-cj3ii
@RuchiSingh-cj3ii Жыл бұрын
Jago janata thanks jay bhim namo budday jay samvidhan jay vigyan thank you
@air-1857
@air-1857 Жыл бұрын
देश मे जबतक RSS रहेगा तबतक देश आगे नही बढेंगा!
@Anityam
@Anityam Жыл бұрын
Brilliant Talk
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय Anityamji ! 🙏 भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
@jitendravishwakarma3682
@jitendravishwakarma3682 Жыл бұрын
Very great information guru ji 🙏 naman 🙏 ❤
@pramodkamble2129
@pramodkamble2129 Жыл бұрын
Thank you very much News Click team for such rational video. please keep posting such videos. I am teacher in KVS i see on griung how generations are going far away from scientific temprament. I have seen a teacher of science speaks about all these so called pseudoscience in the 11th class. You people are doing great job. you are real patriot. I do discuss such things in class. but when 20 others are taking about pseudoscience my points become fed .but i have decided i will keep telling my students the truth. once again thank you very much to dr. saheb and your team.
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय PramodKambaleji ! भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@KK-rq7ik
@KK-rq7ik Жыл бұрын
Rss bjp bhagao Aur Congress Party ko Jitao desh ko bachao💯👍
@jack76thegamer30
@jack76thegamer30 Жыл бұрын
I don't think it is possible, people are totally blind folded by bs of sangh they have finally achieved what they wanted total control over world , and our people as stupid as they were and becoming more stupider if possible get out of this country before even that becomes hard
@venom5685
@venom5685 Жыл бұрын
CHOR DALAL CONGRESSIYO ko BHAGAO aur DESH BACHAO 🤣🤣🤣
@venom5685
@venom5685 Жыл бұрын
CONGRESS MUKT BHARAT, CHATUKAR CHAMCHE MUKT BHARAT.
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय KK-rq7ik ! भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@dineshgodara202
@dineshgodara202 Жыл бұрын
बीजेपी अगर विज्ञान के खिलाफ ही होती तो ब्रह्मोस, तेजस बनने ही ना देती। ये लोगों को भय दिखाकर भीड को साम्यवादी सोच की तरफ मोड़ने की कोशिश मत करो। ncert से darwin की Therory हटाई नही। 9th और 12th में पढ़ाई जाएगी सिर्फ। Darwin Therory पहले मुस्लिमों को समझा दो।
@OMPARKASH-wf1dr
@OMPARKASH-wf1dr Жыл бұрын
💯% true & factually said 👍👍👍 Aisa lgta hai ki RSS/BJP kewal Hindu-Muslim, Unch-Neech JAATIYA BHED-BHAAV aur DHARAMIK NAFRAT ke agende liye chalte hai
@harpreetkour4835
@harpreetkour4835 Жыл бұрын
Bas KZbin par baat karne kuchha nahi hoga Hume milkar harana padega. Modi or BJP free desh banana hoga
@venom5685
@venom5685 Жыл бұрын
CHATUKAR CHAMCHO ke kuch bhi sochne se ya Bakwas karne se sach badalta nahi hai be CHATUKAR CHAMCHE.
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय OMPrakashji ! भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@vks6573
@vks6573 Жыл бұрын
बहुत बढ़िया श्रीमान! इन गधों ने ऐसे ऐसे ढोंग और झूठ गढकर आम जनता को हजारों साल लूटा कि शर्म आती है . इन लोगों ने हर जगह लिखा है कि फलां देवी / देवता का तेज सेंकड़ों हजारों सूर्यों के समान था. सामान्य सी सोचने की बात है कि एक सूर्य के तेज को तो सहा नहीं जाता, फिर इतने सूर्यों के तेज को कैसे सहा जा सकता है? ये तो एक छोटा सा उदाहरण है धर्म की आड़ में फैलाये गए इन नीच लोगों के षडयंत्रों का. आजाद भारत ने जो तरक्की की है, उसकी बड़ी वजह वैज्ञानिक शिक्षा पद्धति और सोच है जिस कुछ महा मूर्ख खत्म करना चाहते हैं.
@malkiatsingh5143
@malkiatsingh5143 Жыл бұрын
ਵਿਦਵਾਨ ਨੂੰ ਸਮਝਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਕਿ ਹਿੰਦੋਸਤਾਨ ਕੋਲ ਇਤਿਹਾਸ ਨਹੀਂ ਮਿਥਿਹਾਸ ਹੈ।
@harmeetkaur6791
@harmeetkaur6791 Жыл бұрын
@14 .. things are very practical and logical
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय HarmeetKaurji ! भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@sk_786
@sk_786 Жыл бұрын
Ye lakh rupye ki baat hai bjp or rss nhi chahati ki sc st or obc k baache aage badhe or hmara saamne kre
@shofikhan-us8jg
@shofikhan-us8jg Жыл бұрын
Sir thanks alot sharing with us, 👍👏👏🇮🇪
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय Shofikhanji ! भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@rajeshvedhyan7540
@rajeshvedhyan7540 Жыл бұрын
पुराण, रहस्यमई कथा-कहानियां आदि प्रश्न उठाने के लिए ही हैं, यदि ये पहेलियां स्वयं मनन कर हल हो जाती तो आत्मविश्वास का उदय होता है, सनातन का यही मार्ग है जो प्रवाह से अनादि है।
@shekharjoshi7292
@shekharjoshi7292 Жыл бұрын
डार्विन का विकास वाद अवतार वाद का ही विस्तार है। जहाँ तक आर एस एस का सवाल है ये बात भी मानने लायक है कि इसका शिक्षा जगत में बहुत महत्व है। अगर इसे सरकार कोर्स से हटाती है तो सनातन धर्म को मानने वाले लोग इसका समर्थन कभी नहीं कर सकते।
@roshanbendle5711
@roshanbendle5711 Жыл бұрын
Bahut sahi samjaya sir aapne thank you sir... Bachho ko padhana mata pita ka kaam h q ki sarkar bachho ko science se dur rakhana chahti h...
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय RoshanBendleji ! भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@muneshkumar-fo3ol
@muneshkumar-fo3ol Жыл бұрын
Sir, you are absolutely right👍
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय Muneshkumarji ! 🙏 भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@NirZhar441
@NirZhar441 Жыл бұрын
Nalanda University Takshila University vikramshila University Buddha knowledge is ahead of all the great Buddha v 👍✅💙
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय Vanitadhokeji ! भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@aajkavichar447
@aajkavichar447 Жыл бұрын
And no Darwin theory used to be taught in Nalanda,Taxshila and all other centres of learning existing in Indian continent ! Iam unable to understand why these liberandus are making hew and cry over this topic.Atleast let the reality come before eyes and society will decide all the things ,if it is in the favour of country or not !But all the sickularist and librandus are in habit of singing in tune of rainiseasonal frog for creating tadpoles!It has been noticed that during the 9 years of BJP ruling not a single constructive matter has been raised.Their issues have always been irrelevant in public eye!I suggest and public expact them to be constructive and should not oppose the govt. Only for opposing!
@hanifmansuri1778
@hanifmansuri1778 Жыл бұрын
Salut to news click
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय HanifMansuriji ! 🙏 भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
@subhajitmondal7118
@subhajitmondal7118 Жыл бұрын
10:57 He was Satya Pal Singh, the minister of state for human resource development, not Satya Pal Malik.
@milijaahmed834
@milijaahmed834 Жыл бұрын
Good clearification, otherwise it's mismatch two different people with similar names with different surname. 😂😂
@dheerukumarpatel7942
@dheerukumarpatel7942 Жыл бұрын
Thanks for clarification
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय SubhajitMondalji ! भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@satyendra.animit
@satyendra.animit Жыл бұрын
सभी धर्मों का आधार सवाल न पूछने पर टिका होता है
@loveUIndia_1
@loveUIndia_1 Жыл бұрын
Very fruitful interview. Thank you
@tulshiramambhore7206
@tulshiramambhore7206 Жыл бұрын
Right congregation very good thanks bhrminvadi oka jumala hei
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय LoveUIndia ! भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@dineshatri2417
@dineshatri2417 Жыл бұрын
सिलेबस में ये बदलाव दुर्भाग्यवश अनपेक्षित हैं।
@vbmaurya1296
@vbmaurya1296 Жыл бұрын
I salute you sir 🙏
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय VBMauryaji ! भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@Pulse4683
@Pulse4683 Жыл бұрын
बीजेपी v कॉंग्रेस v आरएसएस को bhagao बीएसपी लाओ और वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा दे
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय ! 🙏 भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
@KcSingh-md1uc
@KcSingh-md1uc Жыл бұрын
Excellent explanation and very informative
@rutujapatiljaybhawani
@rutujapatiljaybhawani Жыл бұрын
संघ की मानसिकता ही विकृत है..
@ranjitminj7833
@ranjitminj7833 Жыл бұрын
100% right sir. agar dharam granth hi sahi hai to, savi koi pujari, pandit, padri hi bano, doctor, Engeenier kyo bante ho.
@mdbasanajari9904
@mdbasanajari9904 Жыл бұрын
Sahi kaha sirne
@kumarawadhesh7146
@kumarawadhesh7146 Жыл бұрын
100p percent sach hai. RSS ka ye naapaak mansooba kabhi haqiqat me safal nahi hoga 👍👍👍👍👍
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय Kumarawadheshji ! भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@tinkukr2433
@tinkukr2433 Жыл бұрын
Beautiful talk
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय Tinkukr ! 🙏 भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
@AnilKale
@AnilKale Жыл бұрын
ब्रम्हा जी ने सृष्टि को बनाया ऐसा बताया जाता है।
@kiranlata5937
@kiranlata5937 Жыл бұрын
Jabardast bartapaap👍👍
@pushpakumar1791
@pushpakumar1791 Жыл бұрын
Thanks for sharing 🙏
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय Pushpakumarji ! 🙏 भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@ramayanprakash1678
@ramayanprakash1678 Жыл бұрын
Excellent.
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 Жыл бұрын
आदरणीय ! 🙏 भारतीय व्यवस्था में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। भारत विश्वगुरु था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है। आज, विशेष रूप से 2015 से, इतिहास, जाति/धर्म व्यवस्था के संदर्भ में भारत दुनिया में मूर्ख राष्ट्र है।हमारे राष्ट्र को एक बुद्धिमान राष्ट्र बनाने के लिए आज मैं देशव्यापी चर्चा का संक्षिप्त विचार दे रहा हूँ । कोई भी धर्म अपने सामाजिक कानूनों से महान हो सकता है। धर्म की महानता वैज्ञानिक शोधों या युद्ध विजयों या साहित्य या दर्शन पर टिकी नहीं होती। यह सब उस धर्म के सामाजिक कानूनों पर स्थायी रूप से करता है........... धर्म अपने मानवीय सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह महत्वपूर्ण है। और ये मोर्चों पर हिंदू धर्म के बहुत गंभीर संकट हैं। आप डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी जैसे समाज सुधारकों के विचारों के बारे में सोच सकते हैं। इसलिए 1947 में हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता किया। यह हिंदू धर्म की महानता और हिंदू धर्म की सड़ी हुई प्रकृति के बीच एक पवित्र समझौता था।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है। इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें। यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है। यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा। यह कैसे किया जाएगा? 1) मुझे सरकार का निमंत्रण - और इस मोर्चे पर मैं सरकार से नाखुश हूं। 1400 अनुरोध के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 2) मैं अपनी कानूनी स्थिति, अधिकार और सरकार के रुख के बारे में सरकार से स्पष्ट करूंगा. 3) चर्चा का आधार क्या होना चाहिए? क्या यह हिंदुत्व दर्शन या धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित होगा? यह बहुत जरूरी है। मैं 2012 से हमारे राजनेताओं द्वारा बुनियादी बातों पर पूरी तरह से विपरीत रुख देख रहा हूं। इसलिए मैं सरकार से लिखित आधिकारिक संचार में ही विश्वास करूंगा। 4)राष्ट्रव्यापी चर्चा के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाएगा 5) चर्चा के लिए मानसिक तैयारी (सभी नागरिकों की) मैं सभी को शामिल करना चाहता हूं। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जाति और धार्मिक विवादों के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। 6) चर्चा की विशेष प्रणाली का परिचय। 7) वास्तविक राष्ट्रव्यापी चर्चा और पुराने धार्मिक और जाति, इतिहास विवादों पर समाधान आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
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