Demonatization पर cag की कोई रिपोर्ट आई थी क्या? उसे भाजपा ने पब्लिक के सामने पेश किया था क्या? कई सालोँ तक बीजेपी नोटों की गिनती तक नहीं बता पाई थी। और cag राय ने पूरी तरह बीजेपी की टीम जैसे काम किया था।
@sudhirsinha926316 күн бұрын
आपकी बातों से ऐसा लगता है कि आप निष्पक्ष पत्रकारिता का दामन छोड़ने का निर्णय ले चुके हैं 😊😊😊 आपको ज्ञात होना चाहिए कि " सूचना का अधिकार अधिनियम "2005 में लागू हो चुका है.. 😅😅😅 आपने परोक्ष रूप से .. दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा का प्रचार और आम आदमी पार्टी का विरोध करने में कोई कमी नहीं छोड़ी... 😅😅😅
@sudhirsinha926316 күн бұрын
ऐसा लगता है कि..आपको केजरीवाल से कोई खास कष्ट है.. कम से कम उनका नाम शालीनता से लेने की कोशिश कर लेते.. आप निष्पक्ष पत्रकारिता के झंडाबरदार हैं... किसी भी विवादित मामले में पक्षकार नहीं बनना चाहिए..!!न्यायपालिका की भी अपनी सीमाएं हैं.. सामान्य परिस्थितियों में .. एक बहुमत प्राप्त सरकार की. विधानसभा की कार्यवाही के सम्बन्ध में..कोई आदेश या निर्देश जारी करने का कोई अधिकार, न्यायालय को प्राप्त नहीं है.. ! ! जहाँ तक CAG की रिपोर्ट की विश्वसनीयता का प्रश्न है.. संवैधानिक संस्थाओं में .. संघी घुसपैठ ने लगभग सभी संस्थानों को संदिग्ध बना दिया है.. अगर ऐन चुनाव के पहले दिल्ली विधानसभा में CAG report प्रस्तुत कर सार्वजनिक कर दिया जाए.. तो गोदी मीडिया 24×7 सिर्फ केजरीवाल सरकार के भ्रष्टाचार का अखंड प्रलाप ही करती रहेगी.. ऐसे में दोषी न होते हुए भी.. केजरीवाल सरकार को इसका खामियाजा विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है.. बाद में चाहे पूर्व CAG विनोद राय के तर्ज पर.. वर्तमान CAG भी माफ़ी क्यों न मांग लें.. क्या फर्क पड़ जाएगा ❓❓ अन्ना हजारे पर आपका निष्कर्ष सही है मगर आपने उस आंदोलन के मुख्य संचालक RSS का जिक्र तक नहीं किया तथा आंदोलन की मुख्य लाभार्थी भाजपा पर भी कोई टिप्पणी नहीं ❓ CAG report में प्रतिवर्ष अधिकांश सरकारी व्यय पर आपत्ति ... (भ्रष्टाचार की आशंका) व्यक्त की जाती है.. उन पर कोई प्रभावी कार्रवाई क्यों नहीं की जाती❓❓ सिर्फ राजनीतिक इस्तेमाल की विषयवस्तु बनकर रह गई है CAG reports.
@prithvirajacademy17 күн бұрын
बीजेपी से अच्छा ही है
@dlsvlogs504415 күн бұрын
छत्तीसगढ़ी में बोलूं तो मीठ लबरा पत्रकार
@shyamshardul59117 күн бұрын
By watching your post one can clearly feel your leaning toward the congress party. Dr Manmohan Singh was no doubt a good economist but he was not a good prime minister. Our real hero was the prime minister p v Narsimha Rao who was the architect of abolition of licence and perit raj. When Dr Manmohan Singh took oath as prime minister from Bajpai ji the economic condition of the country was sound The GDP growth rate was around 8% but the hype of shining India has played a measured role in ouster of NDA government. The first term of Dr Manmohan Singh was remarkable with the GDP of average 8.5% but his second term was riddled with scams scandals. Here my point is not economic development but it is concerned with the hypocrisy of the congress party. It has a history of misleading the people. The congress party always wants to showcase India as a developed and prosperous country. But during it regime poverty and destitution can be easily seen in Delhi itself. So congress chalked out plans to camouflage poverty and unemployment by establishing NCR . NCR falls many states around New Delhi. In this area industrialists were provided with cheap land subsidized loans and tax exemption. This region during the course of time flourished as the industrial hub of the country. Even now its development soaps are still continuing to be dished away while the hinterland of the country is still langvshing in the darkness of underdevelopment. I surprised to see the stand of congress party which once wanted to eradicate poverty and destitution from New Delhi but in ongoing election its stand for so called poor people and it wants the jhuggi jhopdi should not be demolished and its main agenda is if The BJP come to power it would ply buldozer on slums. So now this grand old party is taking a 360 degree tum to save its existence.
@chitrakumarprajapati789516 күн бұрын
हमत हो तो कभी बीजेपी के भ्रष्टाचार पर प्रलश डालिये। सारे पत्रकार बीजेपी के एजेंट की तरह काम करते है