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"स्वास अन्दर गया तो "सो..….” , बाहर आया तो "हं”
इतना विचार करने मात्र से आदमी निष्पाप होने लगता है । हज़ारो जन्मों के पाप और कर्म बंधन से छुटने लगते है । इसको अजपा गायत्री बोलते हैं । " --- पूज्य बापूजी
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