Sangat Ep.58 | Nandkishore Acharya on Gandhi, Agyeya, Muktibodh, Saptak & Bikaner | Anjum Sharma

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Hindwi

Hindwi

Күн бұрын

Пікірлер: 64
@Anil-m8l
@Anil-m8l 17 күн бұрын
नन्द किशोर आचार्य जी की बातें सत्य के काफ़ी करीब हैं l ईमानदारी का स्पर्श है इनकी बातों में l
@vikramadityajha8924
@vikramadityajha8924 26 күн бұрын
बातचीत का पहला भाग उन लोगों के लिए बहुत कठिन था जो हिन्दी साहित्य में रुचि रखते हैं, लेकिन बुनियादी ज्ञान नहीं रखते हैं।
@mridulagarg1075
@mridulagarg1075 Ай бұрын
आचार्य जी व्यक्तिगत हिंसा क्या कम महत्वपूर्ण है। हमने खूब भुगता है। आपने भी भोगा होगा।
@neeharikasinha5260
@neeharikasinha5260 22 сағат бұрын
व्यक्तिगत मानसिक भ्रांतियों को फैला कर, किसी और को अपने व्यक्तिगत स्वार्थ हेतु इस्तेमाल करने वाले भ्रमजाल उत्पन्न करते हैं।
@kanhaiyanagwas4341
@kanhaiyanagwas4341 11 ай бұрын
आपने आध्यात्मिकता और उनके स्वरूप पर बहुत ही अच्छा विचार प्रस्तुत किया ।आपका आलोचनात्मक भाव आपको एक जुझारू और प्रगतिशील बनाता है ।आपका अनुभवपरक दृष्टि हम जैसे साहित्य पढ़ने वालों के लिए महत्वपूर्ण है। ❤❤❤ Thanks to Whole Sangat Team
@vikramadityajha8924
@vikramadityajha8924 26 күн бұрын
सकारात्मक भाग अलग-अलग लेखकों की टिप्पणी है जो श्रोता को अधिक खोज करने और अपने स्तर पर निर्णय लेने का अवसर देती है। इसलिए हम किसी की टिप्पणी को अंतिम मान लेते हैं।
@ramkumar-ei3fo
@ramkumar-ei3fo 4 ай бұрын
नन्द किशोर आचार्य हमारे युग के मनीषी हैं, अन्य पुस्तकों के अलावा "अहिंसा विश्वकोश"उनके द्वारा हम लोगों को एक धरोहर है.
@manojghildiyal6854
@manojghildiyal6854 7 ай бұрын
आचार्य जी सादर प्रणाम ज्ञान के साथ साथ आपने अपने पक्ष को बिना पक्षपात व लाग-लपेट के स्पष्ट प्रश्नों के उतर तो दिए ही साथ ही ज्ञानवर्धक बातें करी।
@ajaykumarzero
@ajaykumarzero 11 ай бұрын
अनुभूति पर बहुत अच्छी बातचीत। जिस तरह से अनुभूति पर इन्होंने चर्चा की है वह मार्क्स की बहुत मजबूत आलोचना लगती है।
@swapnilsrivastava4625
@swapnilsrivastava4625 11 ай бұрын
इस इंटरव्यू देख सुन कर मुझे अदभुत अनुभूति हुई । जिस अनुभूति को हम भुला चुके थे ,वह याद आई
@rituverma8888
@rituverma8888 Жыл бұрын
अपने समय के मौलिक चिंतक विचारक कवि लेखक को सुनना अद्भुत। अंजुम आपने बहुत कुछ नया सुनवाया।
@गिरिजाकुलश्रेष्ठ
@गिरिजाकुलश्रेष्ठ 11 ай бұрын
प्रेम अनुभूति है ऐन्द्रिकता महज एक साधन.. प्रयोगवाद सहित पूरा साक्षात्कार कई परतें खोलता हुआ , अंजुम जी के सवालों की तह में
@pranavmishra8578
@pranavmishra8578 Жыл бұрын
अनुभूति पर इतनी विस्तृत चर्चा बहुत शानदार रही। संतुष्टि को लेकर मेरे अपने विचार हैं। साहित्य भी एक प्रामाणिक ज्ञान विधा है इससे विवेक को नया विस्तार मिला है। मैं भी कविताएं लिखता हूं लेकिन खराब ट्रेनिंग की वजह से शायद मैं एक भटका हुआ कवि महसूस करता हूं। कविता में सरोकार क्या है इसकी बहुत अच्छी समझ विकसित हुई। शायद एक बेहतर कवि बन पाऊं। आचार्य जी को मेरा प्रणाम और अंजुम जी को बहुत बधाई।
@aspirant9457
@aspirant9457 Жыл бұрын
30:33 से बीकानेर के बारे में बातचीत शुरू बिकानेर से देखने में बहुत आनंद आया
@omuttam1628
@omuttam1628 Жыл бұрын
बीकानेर बज्जू से प्रणाम आचार्य जी
@ZylusDylus
@ZylusDylus 10 ай бұрын
RIP 🙏🙏. Om shanti
@ArunSheetansh
@ArunSheetansh 11 ай бұрын
अच्छी बाते° हुई
@ghodeswar1
@ghodeswar1 2 ай бұрын
@hindiekkhoj7800
@hindiekkhoj7800 Жыл бұрын
अंजुम जी आज आप अपने उस रूप में नहीं दिखाई दिए जिस तरह अक्सर दूसरे साक्षात्कार में दिखाई देते हैं 😊। कहीं न कहीं आप आज अनुभूति और दर्शन की रहस्यात्मकता में उलझ गए ❤😊। आप भी आज कमज़ोर दिखे। क्योंकि मैं आपके साक्षात्कार लेने की विद्वत्ता का कायल हूं।😊❤
@prabhakarpandey5430
@prabhakarpandey5430 Жыл бұрын
मै आपसे सहमत हूं। 👍
@SangeetaG2011
@SangeetaG2011 Жыл бұрын
सहमत ! और ये एक बेहद खूबसूरत बात है , लाजवाब हो जाना ❤
@-SARVODAY-
@-SARVODAY- 11 ай бұрын
क्योंकि ये एक तरह से मौलिक चर्चा थी। जो किसी बात की पुनरावृत्ति नहीं थी। बहुत गूढ़ बात थी। सब कोई नहीं समझ पाएगा। जो मूल्यों को जानना चाहता है, उस पर शब्दशः चलना चाहता है, जिसने मूल्यों पर प्रयोग किए हों? जो श्वेत और स्याह के मध्य ग्रे एरिया में उलझा रहा हो। उसी के पास प्रतिप्रश्न होंगे।
@ReenaDevi-xh9yw
@ReenaDevi-xh9yw 11 ай бұрын
@aspirant9457
@aspirant9457 Жыл бұрын
बीकानेर से आचार्य की को प्रणाम
@omuttam1628
@omuttam1628 Жыл бұрын
मैं भी बीकानेर से हूं
@dr.balgovindsingh9268
@dr.balgovindsingh9268 Жыл бұрын
प्रेरक और गम्भीर बात चीत चल रही है।संभल कर सुनना पड़ रहा है।
@radheshyamsharma2026
@radheshyamsharma2026 Жыл бұрын
बहुत सुंदर ।
@deepsankhla
@deepsankhla Жыл бұрын
प्राध्यापक बहुत अच्छे हैं।
@Ranjit-x3y
@Ranjit-x3y Жыл бұрын
सही है वही सम्भव है l सम्भव है वही सही है l विचार गंभीर है, हल्का नहीं l ❤❤
@sharadpratap596
@sharadpratap596 Жыл бұрын
Outstanding ❤
@latakhatri2906
@latakhatri2906 Жыл бұрын
बहुत सार्थक 😊
@arunnaithani5299
@arunnaithani5299 Жыл бұрын
आज़म अंजुम।
@dr.a.k.saptarshi524
@dr.a.k.saptarshi524 Жыл бұрын
विचारोत्तेजक प्रस्तुति
@ArunSheetansh
@ArunSheetansh 11 ай бұрын
🎉
@Bluesky2jun2024videosRam
@Bluesky2jun2024videosRam 6 ай бұрын
Bhai hindi interview me hindi शब्दों का प्रयोग करें शक्तिमान में गंगाधर की तरह.
@Ranjit-x3y
@Ranjit-x3y Жыл бұрын
आपने बोला अथवा आपने कहा, आप बोले ?
@hindiekkhoj7800
@hindiekkhoj7800 Жыл бұрын
कविता जीवन-दृष्टि की अनुभूति केंद्रित तो कही जा सकती है जिसके अर्थ भी जीवन-दृष्टि के अनुरूप ही निकलते हैं। इसीलिए किसी कवि की कविता, किसी आलोचक के लिए एक प्रकार का प्रोपेगंडा दिखाई देती है तो असल में वह आलोचक दूसरे प्रकार के अदृश्य प्रोपेगंडा की वकालत कर रहा होता है। किसी को तुलसीदास जी कविता श्रेष्ठ/असल कविता लगती है किसी को कबीर की श्रेष्ठ/असल कविता कविता लगती है। कोई मुक्तिबोध की कविता को श्रेष्ठ/असल कविता मानता है कोई अज्ञेय की कविता को श्रेष्ठ/असल कविता मानता है ये सब खेल जीवन-दृष्टि की अनुभूतियों का है जिसमें अर्थ भी अंतर्निहित होता है।
@hindiekkhoj7800
@hindiekkhoj7800 Жыл бұрын
'कविता अर्थ केंद्रित नहीं होती बल्कि अनुभूति केंद्रित होती है' इससे तो कविता फिर से रहस्यवाद की ओर लौट जाएगी और रहस्यवाद कविता को अभिजात्य विचार शैली की ओर ले जाता है। तो क्या हम कविता को और ज़्यादा आमजन जीवन से दूर ले जाना चाहते हैं। आचार्य जी बात कुछ जमी नहीं। आपके विचारों से छायावाद और नव-छायावाद की भूमिका उभर रही है।
@hindiekkhoj7800
@hindiekkhoj7800 Жыл бұрын
आचार्य जी का कहना था कि अर्थ खोजना ही नहीं चाहिए, मतलब किसी कविता की अनुभूति संप्रेषित नहीं होगी तो निरी रहस्यात्मकता बनकर रह जाएगी। फिर सवाल बनता है कि क्या कविता कुछ विशिष्ट लोगों के लिए होती है जो आत्म की अनुभूति या अनुभवों की रहस्यात्मकता को महसूस कर सकें। कविता आकादमिक नहीं होती, कविता अभिजात्य नहीं होती और अगर ऐसा है तो यह एकांगी कविता होगी
@hindiekkhoj7800
@hindiekkhoj7800 Жыл бұрын
@@Mr.kishore-26 यह बात उन्होंने बाद में कही है मुक्तिबोध के संदर्भ में पहले वे जो बात कह रहे थे उसका संदर्भ कुछ और था सवाल यह नहीं है कि कोई कवि अपनी कविता के में अंत में अर्थ संप्रेषित कर देता है कविता में अर्थ की संभावना बनी रहनी चाहिए यह उचित है मगर कविता सिर्फ़ अर्थ की संभावनाओं का नाम ही नहीं है अलग-अलग तरीक़े से लोग अपने-अपने अर्थ निकालते रहें यह ही कविता है तो एक कविता तानाशाही की संभावनाओं का अर्थ भी देती है और वंचितों का अर्थ भी देती है। क्या कविता की ये अर्थ संभावनाएं स्वीकार होनी चाहिए। प्रश्न उठता है कि हम कविता क्यों करते हैं ? आनंद के लिए, हक़ के लिए, प्रेम के लिए, ज्ञान के लिए, भूख के लिए या आदि आदि... के लिए। शायद कविता हम समय, समाज, मनुष्य को बेहतर बनाने के लिए रचते हैं और यह उनके हक़ की भी बात करती है, उनके अधिकार की भी बात करती है जिन्हें अपने हक़ अपने अधिकार नहीं पता होते हैं तो यह उनकी बातों को रहस्यात्मकता में नहीं रखेगी आप कविता को सीमित कर रहे हैं उन लोगों तक, जो अर्थ की विभिन्न छाया को खोज सकते हैं लेकिन सवाल यह है कि कविता सिर्फ़ उन लोगों के लिए नहीं है जैसे आलोचक, शिक्षक या छात्र। कविता सभी के लिए है और जब कविता सभी के लिए होगी या उन लोगों के लिए भी है जो इन तीनों वर्ग में नहीं आते तब कविता उनके अनुसार भी लिखी जाएगी। वो अर्थ केंद्रित भी होगी। मुक्तिबोध इसकी को 'सत् चित् आनन्द' नहीं 'सत् चित् वेदना' कहते हैं। ज्ञानात्मक संवेदना और संवेदना ज्ञान
@Mr.kishore-26
@Mr.kishore-26 Жыл бұрын
कविता उस बीज की तरह होती है जो आपने लगाया ज़रूर है मगर वो अनुकूल वातावरण में ही अंकुरित होगा,,, आप उस बीज में से ज़बरदस्ती खरोच के पौधा नहीं निकाल सकते 🙏🏻वैसा ही कविता के साथ भी है, वह हिर्दय की अनुभूति से जुड़ी है जो आगे जा के अपना स्वरूप खुद निर्धारित करती है,और कागज़ पे शब्दों की माला में आपको उसके मूल्य खोजने होंगे।
@hindiekkhoj7800
@hindiekkhoj7800 Жыл бұрын
अंजुम "क्या कविता अर्थ केंद्रित होती है? आचार्य जी‌ "नहीं, अनुभूति केंद्रित होती है। उस अनुभूति से आप अर्थ बरामद करने की कोशिश करते हैं, पर ये आवश्यक नहीं। क्योंकि अनुभूति इतनी जटिल और कह सकते हैं कि तलस्पर्शी और बहुआयामी होती है कि उसे किसी एक आइडिया में रिड्यूस नहीं कर सकते। जब आप अर्थ की बात करते हैं अर्थ को आइडिया कहते हैं। ऐसा नहीं है। कोई भी श्रेष्ठ कविता ऐसा नहीं करेगी कि अर्थ केंद्रित हो। अर्थ हम उसमें तलाश करते हैं क्योंकि हमें इसकी आदत पड़ चुकी है। ऐसा आलोचक और अध्यापक ज़्यादा करते हैं। बात इस विषय पर थी।
@Ranjit-x3y
@Ranjit-x3y Жыл бұрын
कविता अनुभूति केंद्रित होती है, अर्थकेंद्रित नहीं l ऐसा कवि नहीं करते, आलोचक करते हैं और अध्यापक सर्वाधिक अर्थान्वेषी होते हैं क्योंकि उन्हें छात्रों को पढ़ाना होता है l
@deepsankhla
@deepsankhla Жыл бұрын
धूल और सोने में, सोने के पक्ष में होना न्याय है?
@deepsankhla
@deepsankhla Жыл бұрын
गांधी सुप्रीम कोर्ट के राम मंदिर फैसले पर सहमत नहीं होते।
@Jhasushant
@Jhasushant Жыл бұрын
आपको समझ नहीं aayegi.
@deepsankhla
@deepsankhla Жыл бұрын
आपके आ रही है, पर्याप्त है।
@hindiekkhoj7800
@hindiekkhoj7800 Жыл бұрын
संगीत में अर्थ भी खोजा जाता है तभी तो संगीत की अलग-अलग श्रेणियां होती हैं। बिना अर्थ का कौन सा संगीत है? किसी को शास्त्रीय संगीत चाहिए तो किसी को पाॅप, क्यों? क्योंकि संगीत के भी अर्थ होते हैं। अब प्रश्न ये बन सकता है कि संगीत के अर्थ ग्रहण का आधार या प्रक्रिया क्या होगी?
@deepsankhla
@deepsankhla Жыл бұрын
गांधी राम मंदिर फैसले पर सहमत नहीं होते।
@omuttam1628
@omuttam1628 Жыл бұрын
आपके फेसबुक पोस्ट देखता रहता हूं दीप साहब
@anthhhess3477
@anthhhess3477 Жыл бұрын
गांधी बाबरी विध्वंस और इस पर राजनीतिक ध्रुवीकरण को स्वीकार नहीं करते पर मंदिरों को तोड़ कर बनाई गई मस्जिदों को उन्होंने गुलामी का चिह्न कहा था।
@mouriran3906
@mouriran3906 Жыл бұрын
आचार्य मशहूर हैं हिन्दी में दर्शन के लिए, दार्शनिक रचनाओं के लिए। लेकिन इनकी बातें बड़ी हल्की लगीं।
@maheshpunetha5522
@maheshpunetha5522 Жыл бұрын
कैसे?
@mouriran3906
@mouriran3906 Жыл бұрын
@@maheshpunetha5522 कल सुना था सर इसलिए ठीक याद नहीं। लेकिन, अनुभूति और सत्य इत्यादि की बातों में थोड़ा हलकापन लगा। कविता में समय कैसे आता है के जवाब भी सरलीकृत थे। कई जगह mannerism का भी जोर दिखा - उदासी इत्यादि। मुमकिन है मेरी धृष्टता हो पर मेरा ईमानदार मत यही है।
@RahulSahay-bb3mz
@RahulSahay-bb3mz Жыл бұрын
बहुत सुंदर और उपयोगी साक्षात्कार ❤
@RahulSahay-bb3mz
@RahulSahay-bb3mz Жыл бұрын
शुक्रिया @हिन्दवी
@ArunSheetansh
@ArunSheetansh 11 ай бұрын
अच्छी बाते° हुई
@ArunSheetansh
@ArunSheetansh 11 ай бұрын
अच्छी बाते° हुई
Tuna 🍣 ​⁠@patrickzeinali ​⁠@ChefRush
00:48
albert_cancook
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Леон киллер и Оля Полякова 😹
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Канал Смеха
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How Periyar fought against Brahminism? | DRAVIDIAN MOVEMENT | INDIAN HISTORY
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Satya Hindi सत्य हिन्दी
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Secularism is a Colonial, Orientalist, Western Project?
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Taimur_Laal
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Tuna 🍣 ​⁠@patrickzeinali ​⁠@ChefRush
00:48
albert_cancook
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