शब्द भाषा की देह में प्राण से होते हैं... बहुत खूब 🌹
@maneetayadav63937 ай бұрын
समृद्ध करने वाला व्याख्यान 😊
@rammooratrahi16427 ай бұрын
सारगर्भित चर्चा
@sahishnusambhawanatalks20297 ай бұрын
❤❤❤❤
@kamleshkumardiwan7 ай бұрын
मीडिया ने जनता को जनता तक नहीं रहने दिया है......डा शोभा जैन जी संक्षेप में बहुत गंभीर और स्पष्ट विमर्श दिया है 🎉🎉 धन्यवाद अभिनंदन 🎉🎉
@rammooratrahi16427 ай бұрын
तन्हा पड़ी किताब... वाह!
@kamleshkumardiwan7 ай бұрын
शब्द भाषा की देह में प्राण के समान होते हैं ...... सही कहा है शोभा जैन जी
@kamleshkumardiwan7 ай бұрын
अपने समय का यथार्थ=समकालीन साहित्य ,हम अतीत को लेकर चलेंगे जब हम वर्तमान में काल चेतना को परिलक्षित करते हैं...... सही कहा है डा शोभा जैन जी 🎉🎉🎉🎉🎉🎉
@kamleshkumardiwan7 ай бұрын
डेक्कन लिटरेचर फेस्टिवल में शब्द संवाद में अपूर्वा जी ने भूमिका में बहुत कुछ अभिव्यक्त कर दिया है, मोनिका सिंह और उनकी टीम को शुभकामनाएं बधाई अभिनंदन। 🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉
@vyangya20047 ай бұрын
बढ़िया
@kamleshkumardiwan7 ай бұрын
शब्द संवाद में डा सुनील देवधर जी से डा शोभा जैन जी से समकालीन साहित्य पर चर्चा का स्वागत है अभिनंदन 🎉🎉🎉
@abdulrm49668 ай бұрын
I am first commenter 🎉
@kamleshkumardiwan7 ай бұрын
समकालीन साहित्य में कविता का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है कविता से लयात्मकता, छंदबद्धता चला गया है सही कहा है डा सुनील केशव देवधर जी ने अभिनंदन माननीय सर हम प्रकाशित हो रहे बड़े नाम वाले लोगों की कविताएं ही पढ़ रहे हैं नए लेखकों की कविताएं गीत और हिंदी ग़ज़ल को भी पढ़ना चाहिए उचित होगा धन्यवाद सर