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@UmeshPandey-fp6zgАй бұрын
अद्भुत प्रसंग
@priyankagupta8002Ай бұрын
हमारे सारे कर्म अहं की कामना और डर से ही आते हैं। हमारे सारे कर्म अहं से आते हैं इसलिए हमें तो विवेक की ज़रूरत है। -आचार्य प्रशांत
@sangeetbhaktitarapathak7377Ай бұрын
प्रणाम आचार्य जी🙏 r
@utkarshmishra1994Ай бұрын
Pranam aacharya ji ❤❤❤🙏🙏🙏
@HariShankar-ln5kxАй бұрын
भगवत गीता के श्लोलो की वास्तविक व्याख्या आचार्य्यजी के द्वारा
@sheelapandey3736Ай бұрын
आत्म ज्ञान मुक्ति का मार्ग है।अहम खोखला है ये जान लेना ही मुक्ति है
@Sachinsaini-ef3xiАй бұрын
Parnam sir ❤❤❤❤
@veenasharma436Ай бұрын
आत्मज्ञान से सरलता,मैत्री, प्रेम, अहंकार का ज्ञान प्रतिक्रिया पर नियंत्रण,तन,मन कीस्थूल कामना का ज्ञान और मुक्ति की ओर अग्रसर होते हैं।
@NeetuSiyag-jn9nbАй бұрын
गौर से देख लो sb pta chal jayega❤❤🙏🙏🙏🙏
@priyankagupta8002Ай бұрын
सहज कर्म की सुंदरता ये कि उसमें विवेक भी नहीं चाहिए। आत्मा क्या करेगी विवेक का? -आचार्य प्रशांत
@veenasharma436Ай бұрын
सफ़र लंबा ,समय थोडा ❤❤
@priyankagupta8002Ай бұрын
मनुष्य की मूल समस्या कर्म की नहीं ज्ञान की है। -आचार्य प्रशांत
@radhasengar3207Ай бұрын
जिसका कोई कारण नहीं हो सकता वही निष्काम कर्म है । जो कामना ज्ञान से आये वो निष्कामना है
@priyankagupta8002Ай бұрын
सहज कर्म वो जो सीधे आत्मा से उद्भूत होता है। और हर वो कर्म जो अहंकार द्वारा किया जा रहा है -असहज हो गया। -आचार्य प्रशांत
@radhasengar3207Ай бұрын
आत्मा माने वोध की गहराई । सहज कर्म मतलब आत्मा से किया गया कर्म ।
@Anjan-366Ай бұрын
हमारे लिए कबीर जी की एक बात पर्याप्त है, हँस समझ-बूझ बन चरना।
@Anjan-366Ай бұрын
शास्त्र विहित कर्म हो सकता है, अगर शास्त्र से आशय उपनिषद' दर्शन' गीता हैं।
@Pranav-y3cАй бұрын
❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
@akhilendra123Ай бұрын
कर्म कर्ता क्रिया सब अहम है।
@RaviKumar-hd1ynАй бұрын
Dhanyawaad guruji
@apurvasoni4065Ай бұрын
भाव माने वृत्ति।
@apurvasoni4065Ай бұрын
Thought के पीछे tendency होती है।
@sanjaybajaj3817Ай бұрын
कामना ही कारण है।
@kukdiyajagdish2343Ай бұрын
सकाम कर्म वो जिसमें अहम अपने आप को कर्ता जानकर श्रेय और अश्रेय लेता रहता है और दुख पाता रहता है,और निष्काम कर्म वो जो सहज ही उद्भूत होता है।उसमें कर्ता गायब होता है,माने होता ही नहीं,सिर्फ कर्म होता है।
@parimalmaji1391Ай бұрын
Aacharya ji aapka Charan Mein कोटि-कोटि Pranam
@Pranav-y3cАй бұрын
❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
@pinkiyadav4222Ай бұрын
आचार्य जी को सादर प्रणाम 🙏🏼
@Anjan-366Ай бұрын
दूसरों को खिलाने से कितना सुख का अनुभव होता है, ये भी तो सकामना हुई न।
@RenuRai-pg8pfАй бұрын
कामना ही कारण होती हैं प्रणाम आचार्य जी❤❤❤❤
@Manmi-t3bАй бұрын
❤❤❤❤ good morning sir 🌄🌄🌄🌄🌄🌄🙏👍👌👍👌👍
@karamjitkaursidhu6622Ай бұрын
🙏
@Anjan-366Ай бұрын
क्या नहीं हूँ? ये पूँछना पर्याप्त लगता है मुझे, क्या हूँ? पूँछने में बहकने लगता हूँ।
@yogeshchaudhry2576Ай бұрын
❤❤❤❤❤🎉🎉🎉🎉🎉
@shivanikhemka336Ай бұрын
atma he vishudh chetna bodh ki gehrayi gyan se karm khud hi udbhut hota he vichar karna nhi padta me kya kru yhi nishkam karm he
@apurvasoni4065Ай бұрын
वृत्ति का कारण तुम्हारा होना।
@Anjan-366Ай бұрын
आत्मा की बात हो नहीं सकती है तो फ़िर आप सहज कर्म की व्याख्या क्यों कर रहे हैं? अहम बहुत चालाक होता है वो तुंरत खुद को आत्मा मान लेता है, क़ायदे से अहम के कान में आत्मा शब्द पड़ना ही नहीं चाहिए था, बेहतरी पर्याप्त था।
@Anjan-366Ай бұрын
4 दिनों से काफ़ी तनाव में हूँ, 10 वर्षों से एक ही पृश्न परेशान कर रहा है कि करूँ क्या?