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⚡ आचार्य प्रशांत कौन हैं?
अध्यात्म की दृष्टि कहेगी कि आचार्य प्रशांत वेदांत मर्मज्ञ हैं, जिन्होंने जनसामान्य में भगवद्गीता, उपनिषदों ऋषियों की बोधवाणी को पुनर्जीवित किया है। उनकी वाणी में आकाश मुखरित होता है।
और सर्वसामान्य की दृष्टि कहेगी कि आचार्य प्रशांत प्रकृति और पशुओं की रक्षा हेतु सक्रिय, युवाओं में प्रकाश तथा ऊर्जा के संचारक, तथा प्रत्येक जीव की भौतिक स्वतंत्रता व आत्यंतिक मुक्ति के लिए संघर्षरत एक ज़मीनी संघर्षकर्ता हैं।
संक्षेप में कहें तो,
आचार्य प्रशांत उस बिंदु का नाम हैं जहाँ धरती आकाश से मिलती है!
आइ.आइ.टी. दिल्ली एवं आइ.आइ.एम अहमदाबाद से शिक्षाप्राप्त आचार्य प्रशांत, एक पूर्व सिविल सेवा अधिकारी भी रह चुके हैं।
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वीडियो जानकारी: 18.03.2017, शब्दयोग सत्संग, अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नॉएडा
प्रसंग:
श्रीभगवान उवाच -
ऊर्ध्वमूलमध: शाखमश्वत्थं प्राहुरव्ययम् |
छंदंसि यस्य पूर्णानि यस्तं वेद स वेदवित् ||1||
भावार्थ -
श्री भगवान बोले -
ऊपर परमात्मा ही जिसका मूल है
और नीचे प्रकृति जिसकी शाखाएँ हैं,
ऐसे संसार रूपी बरगद के वृक्ष को अविनाशी कहते हैं,
तथा वेद जिसके पत्ते कहे गए हैं।
जो पुरुष इस संसार रूपी वृक्ष को तत्त्व से जान लेता है,
वह वेद को जानने वाला है।
अधश्चोर्ध्वं प्रसृतास्तस्य शाखा
गुणप्रवृद्धा विषयप्रवाला: |
अधश्च मूलान्यनुसन्ततानि
कर्मानुबन्धीनि मनुष्यलोके ||2||
भावार्थ -
इस संसार वृक्ष की तीनों गुणों के द्वारा बढ़ी हुई
विषय और भोग रूप कोपलों वाली शाखाएँ
नीचे और ऊपर सर्वत्र फैली हैं
तथा केवल मनुष्य योनि ही
कर्मों के अनुसार बाँधने वाली है। ~ श्रीमद्भागवद्गीता - अध्याय १५
~ कृष्ण इस संसार को उल्टा बरगद का वृक्ष क्यों कह रहे हैं?
~ वेद इस वृक्ष के पत्ते कैसे हैं?
~ इस संसार के तीन प्रमुख गुण कौनसे हैं?
संगीत: मिलिंद दाते
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#acharyaprashant