This is my new channel of tour & travel :- kzbin.info/door/O8r8Odl3UJFjI5Y4MGu4Aw You are welcome to join 😊❤️🙏
@bhartikadus41493 жыл бұрын
बहुत ही simple तरिकेसे samzaya हैं , धन्यवाद गुरुजी,
@arvindkumarpathak20832 жыл бұрын
Sir you are genius and great . your greatness is beyond expression.I am wordless.
@diptidudhmogre1982 жыл бұрын
Thanks for imp information
@PoonamSharma-wm4ui3 жыл бұрын
You are a great man and doing great work. God bless you.
@sudhasingh7354 Жыл бұрын
Nice
@meenabisht16173 жыл бұрын
Iss jankari k liye thanks 🙏
@sureshshastri2543 жыл бұрын
Bahut hi achha ji Mai ise abhi aur sunuga
@urvishjain78273 жыл бұрын
Ty sir very nice information... 🙏😇💐
@Nagenddra3 жыл бұрын
Very nice information
@harishvyas82783 жыл бұрын
सादर नमस्कार, हम आप के आभारी हैं ।
@lakhveersinghrajpal52763 жыл бұрын
Many many thanks Sir
@tushar114442 жыл бұрын
Thank you sir
@ashokdethe6923 жыл бұрын
Thank-you very much gruji
@magicalmagic1643 жыл бұрын
thank you 🙏
@pruthvirajmahida67223 жыл бұрын
Thanks sir
@harsh15733 жыл бұрын
Namo Buddhay
@_nature_lover_91052 жыл бұрын
Prnam sar Aapne bahut sundar jankari di.usse upar ka byora batane ka kast kare.dhanybad.
@yogacharyasandeeptyagi27712 жыл бұрын
Plz like subscribe and share this video नमस्ते
@5elements9843 жыл бұрын
Wonderful video on this subject, i can say no.1😆thanks for covering max details related to sushumna if u can make one more video on the same topic pl do
@Dhyankagyan7773 жыл бұрын
This is my another video on same subject : kzbin.info/www/bejne/qnSZqIuQd7Gml80
@bhuvaneshwarir10403 жыл бұрын
Thank you🌹🌹🌹 Sir
@manojsaksena57603 жыл бұрын
Grt sir such explaination not heard before. Thanku u sir
@baradjaydeepsinh51253 жыл бұрын
પ્રણામ સાહેબ આભાર 🙏
@ranjitsharma95253 жыл бұрын
🙏🏼🙏🏼🙏🏼❤️❤️ parnam
@VijaySingh-hn5bk3 жыл бұрын
Parnaam swami ji
@krishnapedolu2893 жыл бұрын
❤️❤️❤️❤️❤️💐💐
@sushilagrawal41613 жыл бұрын
आपको शत शत नमन गुरुजी। गुरुजी क्या इन्सान मे ज्यादा क्रोध ओर अहंकार का कारण भी इन नाड़ियों कि वजह होती है क्या। कृपया इस पर एक वीडियो बनाइए
@Dhyankagyan7773 жыл бұрын
जी हाँ, जब पिंगला नाड़ी ओवर ऐक्टिव हो जाये तो शरीर मे पित्त कुपित होकर गर्मी बढ़ जाती हैं और व्यक्ति मे क्रोध बढ़ने लगता है और यदि समय रहते इसको बैलेंस ना किया जाये तो व्यक्ती अहंकारी भी होता जाता है। ऐसे मे व्यक्ती को शीतलता व संतुलन प्रदान करने वाले प्राणायाम जैसे चंद्र भेदी, सीतकारी, शीतली व अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए । तामसिक और उत्तेजक आहार व गर्म प्रकृति का आहार नहीं लेना चाहिए और सात्विक व ठण्डी तासीर का आहार लेना चाहिए। और ध्यान साधना करनी चाहिए, ऐसा करने से नाड़ियों मे संतुलन आएगा और सद्बुद्धि का विकास होगा।
@avdheshgupta32573 жыл бұрын
🙏🙏🌷
@punamkumari-s9s Жыл бұрын
guru ji mere saason ki lambai itni nhi hoti ki mai muladhar chakra se crown chakra tak usko feel kar sakun
@Dhyankagyan777 Жыл бұрын
Toh aap apni saans ki gati ke anusar hi apne muladhara chakr se crown chakr tak jane ki gati ko fast kar de
@parullegmond3 жыл бұрын
Hme asana or mudraye btayein plzzzz meri pingala nadi active hn tbhi mere andar gussa zyada ldki hokey bhi, ida ko kaise balance kaise kru ida active kaise kru main kapalbhati, anulom vilom krti hu vo ida k liye mudra yoga btayein or plzz hatha yoga k upar video bnayein complete elaborate
@Dhyankagyan7773 жыл бұрын
आपको शीतलता व संतुलन प्रदान करने वाले प्राणायाम जैसे चंद्र भेदी, सीतकारी, शीतली व अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए । तामसिक और उत्तेजक आहार व गर्म प्रकृति का आहार नहीं लेना चाहिए और सात्विक व ठण्डी तासीर का आहार लेना चाहिए। जब भी लेटे तो अपनी दाई करवट लेटे ताकि बाया नथुना ऊपर आ जाये, ऐसा करने से पिंगला नीचे दबकर बंद हो जायेगी और बाई यानि इडा चल पड़ेगी । इसके अलावा जब आप ध्यान मे बैठे तो आप जल मुद्रा यानि अपनी सबसे छोटी अंगुली को अपने अंगूठे से नीचे दबा कर रखे, इससे आपका क्रोध शांत होगा। कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास कुछ समय के लिए बंद कर दे।
@Prajwal____3 жыл бұрын
Kya sushumna nadi matlab he kundalini shakti hai??
@Dhyankagyan7773 жыл бұрын
सुषुम्ना नाड़ी और कुंडलिनी दो अलग अलग चीजें है। कुंडलिनी हमारे मूलाधार चक्र पर स्थित एक सुप्त ऊर्जा शक्ति का नाम है और सुषुम्ना हमारी रीढ़ की हड्डी के मध्य स्थित एक नाड़ी का नाम है। जब कुंडलिनी की शक्ति सक्रीय होती है तो इसी सुषुम्ना नाड़ी की अंदर से चलती हुई ऊपर आज्ञा चक्र तक जाती है मतलब, सुषुम्ना नाड़ी एक मार्ग है जिसमें कुंडलिनी अपना सफ़र करके अपनी मंजिल तक जाती है।
@shweta204323 жыл бұрын
नमस्ते सर, मै 13/14 साल की थी तभी से मैने महेसूस किया है की कभी कभी मेरे दोनो नथुने से श्र्वास चलती थी,लेकिन ऊसका अर्थ पता नहीं था। मुझे पहिले से हि अद्यात्ममें मन लगता है।मैने बहोत बार मेरे आस पास बहुत हि अच्छी सुगंध को महेसूस किया है।बहोत बार मेरे मुहँ में मिठे पानी का स्वाद टालू से चखा है।मैने मम्मी से भी पुछा के मेरे मुहँ मे मिठा मिठा पाणी क्यूं लग रहा है। क्या ए छलवा है या सिफ्र मेरे बचपन की यादे नहीं पता। मैं एक कृष्ण भक्त हुं, लेकिन शादी होने के बाद पुरी तरह संसार में मन लगा।अर्थात ऊपवास पुजा पाठ होते रहे।लेकिन अभी,2020 के इस नवरात्री से मैने ध्यान करना चालू किया है। हां वह रिड के हड्डी का भी मैने ध्यान लगाया था तो वह आज भी मुझे कमर के ऊपर की तरफ गोल गोल घुमने की सेन्शेशन हो ती है, लेकिन वह ऊपरकी तरफ नही जा रही हैं।प्लिज मुझे बताइये क्या करना चाहिए। मेरा ध्यान सही जा रहा है वह भी समज नही आ रहा है लेकिन एक बात है ं की मुझे जब भी वक्त मिलता है तो ऐसें लगता है की आँख बदं करके बैठ जाऊं।लेकिन मै एक ब्युटीशियन हुं मेरा Parlour है जब कभी आँख बद करू तो कोई न कोई आ जाता हैं। मुझे पता है गुस्सा नहीं होना है पर कभी कभी गुस्सा आ रहा हैं। कृपया मार्गदर्शन करे।....🙏🌸🙏
@Dhyankagyan7773 жыл бұрын
@@shweta20432 आपका बचपन मे सुषुम्ना नाड़ी का सक्रीय होना, मुँह मे मीठा पानी यानि अमृत पान का होना और सुगंध का आना और अध्यात्म मे मन लगना। ये सभी लक्षण बताते है की आप अपने पूर्व जन्म मे भी ध्यान आदि का अभ्यास करते रहे है, इसलिए आपको बचपन मे ऐसे अनुभव होते थे। दूसरी बात आपने कही की ऊर्जा रीड की हड्डी मे उठती तो है पर ऊपर तक नहीं जा पाती, तो इसके लिए आप धैर्य रखे, समय अनुसार सब हो जाएगा। बेहतर होगा की आप प्रात काल प्राणायाम का भी अभ्यास करे और औम का भी उच्चारण किया करे फिर उसके बाद श्वास को देखने का ध्यान यानि विपश्यना का अभ्यास किया करे तो आपका ध्यान मे बेहतर विकास होगा। और अपने दिन मे से अगर आप हर रोज 20-30 मिनट का समय भी यदि आप अपनी साधना के लिए सुबह सुबह निकाल लेती है तो पर्याप्त है, इसके इलावा जब पार्लर पर काम आए तो उसका हँस कर स्वागत करे और जब आपके पास समय हो तो बैठे बैठे ध्यान भी करते रहे, अपने कर्म मे और ध्यान मे दोनों मे संतुलन रखते हुए दोनों को साधने का प्रयास करे, क्योंकि दोनों जरूरी है। अगर इस प्रकार से शांति, समझ और विचार करके हर कार्य करेगे तो क्रोध भी नहीं आएगा, बस किसी चीज का विरोध ना करे और शिकायत ना करे ब्लकि स्वीकार भाव मे रहे, तो सब अच्छे से होने लगेगा
@shweta204323 жыл бұрын
@@Dhyankagyan777 धन्यवाद जी,🙏 आपके जवाब से आँखो से आँसू निकल आएं। मै आपके दिए ऊपदेशोंको अपने दिनचर्या में लाने का पूरेपूर प्रयत्न करूंगी। कृष्ण मुझे मेरी राह तक ले चलेंगे यह आशा करती हूं।... भगवान सबको सुखी रख्खे।🙏🌸🙏
@satishdingankar98393 жыл бұрын
You can know your day by practicing this Shivaswarodayshastra . Just check your left nostril before going out of your home for any work ---- If left side is dominant (IDA) then your work will get done surely 100% Or otherwise another Nadi -- (PINGLA) or (SUSHUMNA) prevails your work will get delayed . You can know so many things in your day to day matter
Hello sir jab dhyan may urja urdgami hoti ha or dhyan finish hota ha to urja nechy ah jati ha ya voh din bar uper ki or hi behti ha
@Dhyankagyan7773 жыл бұрын
हमारी प्राण ऊर्जा कभी भी रुकती नहीं, ये हमेशा गतिमान रहती है, या तो ये ऊर्जा ऊपर की और बहती है या नीचे की और, या तो ये ऊर्जा किसी चक्र मे अधिक रहेगी तो किसी मे कम भी रह सकती है, इसका प्रारुप हमेशा चलायमान और प्रवाहित बना रहता है । अब जो आपने प्रश्न किया है, उसका उतर यह है की आपके ध्यान की गहराई कितनी है य़ह आपको देखना होगा, यदि ध्यान पर्याप्त रूप से गहरा हुआ तो ऊर्ध्व गामी हुई ऊर्जा ऊपर के चक्रों मे और बढ़ेगी, किन्तु यदि अभी ध्यान का अभ्यास कमजोर है तो ऊर्जा का स्तर ऊपर के चक्रों मे घटता बढ़ता रहेगा, और आपके ध्यान से उठ जाने के कुछ समय बाद ऊर्जा अपने सामान्य स्वरूप पर वापीस आ जायेगी।
@simipal28523 жыл бұрын
Thanku ji
@sanskriticompetitivepoints15763 жыл бұрын
गुरु जी पहले जब मैं पूजा करने बैठता था या मंत्र जप करता था तब आधी पीठ से ऊपर रीढ़ की हड्डी में वाइब्रेशन या हल्का झनझनाहट शुरू होने लगता था जो अब धीरे धीरे कम हो गया है।ऐसा क्यों होता था और अब यह कम क्यों हो गया है?कृपया मार्गदर्शन करें।
@Dhyankagyan7773 жыл бұрын
सिर व मेरुदंड मे कंपन होना उर्ज़ा के सक्रिय होने की निशानी है, यह एक शुभ लक्षण होता है । वैसे अधिकतर इस प्रकार के कम्पन आदि होना साधक के लिये समान्य बात होती है, जब ऊर्जा जागृति होती है और उसका ऊर्ध्वगमन होता है तो ऐसे लक्षण अक्सर प्रकट होते है । अगर आप कोई प्राणायाम, ध्यान, जाप आदि कोई क्रियाएँ कर रहे है तो उसके प्रभाव से ऐसा होता है, इसका अर्थ है की बंद और दबी हुई नसें खुल रही है, ब्लाक हट रहे है, चक्रों मे गति आ रही है व सूक्ष्म शरीर शुद्ध हो रहा है । इसका अर्थ है की ध्यान सही दिशा मे आगे बढ़ रहा है । पहले आपकी अशुद्धि या ब्लॉक थे जिस कारण से कम्पन होता था अब अशुद्धि खत्म होकर शुद्धि बढ़ रही हैं इसलिए कम्पन भी कम हो गए हैं, लेकिन ऊर्जा के ऊर्ध्व गमन के कारण पैदा होने वाले कम्पन जारी रहेगे ।
@Prajwal____3 жыл бұрын
Shiva ne jo 112 tarike batae the, unhe ham kaise explore kar sakte hai??
@GenerationAI03 жыл бұрын
Bhairav tantra
@KiranSingh-iw8vu3 жыл бұрын
Vijyan bhairav by laxman joo or by osho rajneesh
@KiranSingh-iw8vu3 жыл бұрын
Agar app ko woh copies chahiye to bayana. Pdf format
@KiranSingh-iw8vu3 жыл бұрын
App printout nikal lena
@MandeepSingh-xz8of2 жыл бұрын
Kitne time tak ye xsasize krni hi plz batao
@ParaScienceKnowledge3 жыл бұрын
Sir, मेरे दोनों नासिका छिद्र से श्वास आती है हर समय.... इससे क्या होता है भविष्य में कोई नुकसान तो नहीं है.... मैं दोनों समय ध्यान कर्ता हूँ
@Dhyankagyan7773 жыл бұрын
दोनों नथुनों से एक साथ श्वास चलना सर्वश्रेष्ठ स्थिति है, इसका मतलब सुषुम्ना नाड़ी सक्रीय हो चुकी है और जब य़ह स्थिति हर पल चले और महीनों साल गुजर जाये और चलती ही चली जाये तो इसका मतलब ऐसा व्यक्ति सिद्ध हो चुका है। लेकिन अंतिम सिद्ध अवस्था मे पहुचने से पहले भी साधक को कुछ दिनों के लिए सुषुम्ना चलती है और बंद हो जाती है, मतलब कई बार केवल झलकियां आती है जिसमें सुषुम्ना कुछ दिनों के लिए निरन्तर चल पड़ती है, य़ह एक विशेष और महत्त्वपूर्ण स्थिति होती है, इस दौरान निरन्तर सुषुम्ना जागृत रहने से उसमे ऊर्जा का प्रवाह बहुत बढ़ जाता है, व्यक्ती अपने आप को बहुत हल्का फिल करता है, उस के अंदर चुस्ती फुर्ती इतनी बढ़ जाती है जैसे हिरन कुलांचे मार रहा हो। अगर आपकी श्वास वास्तव मे ही सुषुम्ना का स्वरूप ले चुकी है तो आपको खुश होना चाहिए, य़ह एक शुभ स्थिति है। ऐसी स्थिति मे आपको कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है, बस इतना ध्यान रखे कि इस दौरान बेहतर होगा की अंतर्मुखी बने रहे, मोन रहे, आध्यात्मिक वातावरण मे रहे, ध्यान का आनंद लेते रहे, मन को सकरात्मक बना कर रखे, हृदय मे प्रेम का वास बना कर रखे। सब शुभ होगा।
@ParaScienceKnowledge3 жыл бұрын
@@Dhyankagyan777 आपका बहुत-बहुत धन्यवाद, मैं आजकल सहज ही मौन, शांत परिवार में रहते हुए भी संसार से अलग सा हूँ, सिर्फ आध्यात्मिक ज्ञान के और विकास लिए व्याकुल हो जाता हूँ , कई बार सहज ही रामायण के किसी प्रसंग पर या अपने आध्यात्मिक विकास के प्रति ईश्वर से आग्रह पर रोने लगता हूँ, और यह प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है, भावुकता में अपने बच्चों के सामने भी आँसू बहने लगते हैं I 🌷🕉🙏🏽🕉🌷
@seemashrivastava55943 жыл бұрын
Ek Dhyaan karne me 3 Din ka Samay Lagta hai. Sthool Sharir yadi Sakriy hai to Sukshm Sharir me Pravesh nahi ho Sakta hai. Isi tarah yadi Sukshm Sharir Sakriy rahta hai too Karan Sharir me Pravesh nahi ho Sakta. Adhyatm me Kriya se Jyada Bhav ki Prdhanta Rahti hai. Namah Shivay . Prabhu ke Charno ka Sewak Prem. Sbhi Mitro ke andar Virajmaan Prabhu ko Sadar Pranaam. Har Har Mahadev ki Jay.
@VijaySingh-hn5bk3 жыл бұрын
प्रणाम स्वामी जी ध्यान शिव नेत्र पर एक जगह ठीक नहीं रहा है बार-बार इधर-उधर फिर जाता है एक जगह ठिकाने के लिए क्या करें
@Dhyankagyan7773 жыл бұрын
ऐसा होना सामान्य है और शुरू मे सब के साथ ऐसा होता है। जब धीरे धीरे आपको आज्ञा चक्र पर धड़कन मिल जायेगी तो ध्यान टिकाना आसान हो जाएगा। अभी आप ऐसा करे की जब भी ध्यान मे बैठे तब आप ठीक आज्ञा चक्र के स्थान पर चन्दन का तिलक लगा कर बैठे, चन्दन की शीतलता से आपका ध्यान सहज ही वहा पर खींच जाएगा, या आप 25 या 50 पैसे का सिक्का आज्ञा चक्र पर चिपका कर बैठे अथवा थोड़ी vicks veporb लगा कर बैठे, इन क्रियाओं को करने से आपको अपना ध्यान आज्ञा चक्र पर टिकाने मे सहायता मिलेगी।
Sir meri ida nadi hi chalti hai hamesha ya fir sushmna pingla bhut hi kam ya muje lagta hai pingla nhi chalti kya kru
@Dhyankagyan7772 жыл бұрын
अक्सर महिलाओं की इडा और पुरषों की पिंगला नाड़ी समान्य से थोड़ा अधिक चलती है, ऐसा उनकी प्रकृति के कारण होता है, लेकिन अगर असंतुलन ज्यादा हो और आप इसको बैलेंस करना चाहते है तो आप ठण्डी तासीर के खाद्य पद्धार्थ कम खाए और गर्म तासीर के खाद्य पदार्थ ज्यादा ले, जब भी लेटे तो अपनी बाइ करवट लेटे ताकि दाई नाक ऊपर आ जाये, ऐसा करने से इडा नीचे दबकर बंद हो जायेगी और दाई यानि पिंगला चल पड़ेगी अनुलोम विलोम प्राणायाम का नित्य 10 मिनट प्रात काल अभ्यास करे। मेहनत वाले शारीरिक श्रम वाले कार्य करे, एक्सर्साइज करे, इससे आपको लाभ होगा।
@vikramsinghrathore8453 жыл бұрын
नमन स्वामी जी 🙏क्या आप सुषमा नाड़ी को एक्टिव करने की विधि बता सकते है महोदय
@Dhyankagyan7773 жыл бұрын
सुष्मना तब चलती है या सक्रिय होती है जब साँस दोनों नाक के छिद्रों से एक साथ चलती हो । या जब हमारे दोनों नथुने खुले होते हैं और हवा स्वतंत्र रूप से बहती है तो इसका मतलब है कि हमारी सुषुम्ना सक्रिय और खुली है। सुषुम्ना अशुद्धियों के कारण बंद रहती है और प्राणायाम की मदद से हम इसे शुद्ध कर सकते हैं। इसके इलावा इसको जागृत करने के लिये दिर्ध श्वास प्र्श्वास यानि निरंतर लम्बी गहरी सांस लेने की आदत डालनी चाहिये । जल नेति, सूत्र नेति का अभ्यास, योग अभ्यास जैसे त्रिव गति से सुर्य नमस्कार, दौडना, व्यायाम करना आदि भी सुष्मना जाग्रति के लिये उतम है । और ध्यान में बैठने से पहले कुछ शुद्धि दायक प्राणायाम करें जैसे कि कपालभाति और नाड़ी शोधन। इन प्राणायाम के 10 या 15 मिनट के अभ्यास करने से सुषुम्ना का मार्ग खुल जाएगा और फिर ध्यान के लिए बैठ जाये और अब अंतर देखें, आपको पहले की तुलना में ध्यान अधिक प्रभावी और गहरा लगेगा ।
@vikramsinghrathore8453 жыл бұрын
@@Dhyankagyan777 उत्तम जानकारी देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद स्वामी जी 🙏🙏 में पिछले 2 सालों से रोज सुबह 1 घंटे प्रणायाम और बंध लगाता हूँ 30 मिनिट हल्के योग करने के बाद मेरी सुषमा नाड़ी सक्रिय होती है लेकिन पूरी तरह से नहीं जब ध्यान के लिए में 30 मिनिट बैठता हूँ तो मुझे आज्ञा चक्र पर कंपन होता है और अनजाने दृश्य मेरे मानस पटल पर आते है स्वामी जी अभी कुछ समय से प्रणायाम के वक़्त मेरे पसीने मे विशेष प्रकार की सुगंधित गंध आने लगी है क्या कारण है? स्वामी जी में यह सब किताबी ज्ञान (गेरण्डसहिता )के अनुसार ही कर रहा हूँ कृपया मेरा मार्गदर्शन करे 🙏🙏 🙏ॐ नमः शिवायः🙏
@Dhyankagyan7773 жыл бұрын
आपके आज्ञा चक्र पर स्पन्दन होना एक अच्छा लक्षण है, आपके प्राणयाम, बँध व ध्यान आदि के अभ्यास से चक्रों मे सक्रियता आ रही है। हमारे आज्ञा चक्र छेत्र पर ही मानस पटल है जिस पर आप विभिन्न अनजाने दृश्य देखते हैं, य़ह दृश्य अधिकतर हमारे पूर्व जन्मों की यादों से जुड़े होते है जो आपके योग अभ्यास के कारण अवचेतन से मुक्त होकर आपके चित्त को हल्का और निर्मल कर रहे है । पसीने से सुगंध आना भी एक योग लक्षण है इसका मतलब आपके सूक्ष्म शरीर और चक्र आदि सक्रियता ले रहे है।
@vikramsinghrathore8453 жыл бұрын
@@Dhyankagyan777 धन्यवाद और कोटि कोटि प्रणाम स्वामी जी मेरा मार्गदर्शन करने हेतु 🙏🙏🙏 में ग्रस्थ जीवन से जुड़ा व्यापारी वर्ग से हूँ अतः मुझे साधना के लिए पूर्ण समय नहीं मिल पाता है मेरी कामना है की में अब 2,4 सालों से सन्यास ग्रहण कर लू जिससे में साधना के पूर्ण पथ पर अग्रसर हो सकू क्या यह मेरे लिए उचित होगा स्वामी जी?
@Dhyankagyan7773 жыл бұрын
आपके इस प्रश्न का उत्तर आप मेरे इस आर्टिकल मे पा सकते हैं :- अगर साधक को संसार त्यागने का भाव आये तो क्या करे ? जब व्यक्ति अध्यात्म के छेत्र मे पदार्पण करता है और जब उसमे थोड़ा गहरे प्रवेश करने लगता है तो अध्यात्म के आकर्षण के कारण उसका मन संसार से उचाट होने लगता है, यह एक स्वभाविक स्थिति है जो हर साधक के साथ घटित होती है । ऐसी स्थिति मे साधक के सामने तीन विकल्प होते है, पहला की वह संसार से पुर्ण रूप से विमुख होकर अध्यात्म मे अपने आप को लीन कर दे, दूसरा की अध्यात्म को छोडकर संसार मे फिर से खो जाये और तीसरा की उपरोक्त दोनो अतियो से बचते हुए मध्य मे संतुलन को स्थापित करे अथार्त संसार मे रहते हुए अपनी साधना को भी करता रहे । अब इन तीनों विकल्पों मे से किस को कौनसा विकल्प चुनना चाहिए यह प्रत्येक व्यक्ति की अपनी अपनी परिस्तिथि, मनस्थिति व उसकी समझ पर निर्भर करता है । पहले विकल्प के रूप मे, यदि आप समाज या परिवार के किसी नियम या जिम्मेदारी से बंधे नही है और आपके अंदर यदि संसार की वासनाओ को जिने की इच्छा वाक्याई खत्म हो गई है और आपके भीतर प्रामाणिक रूप से ईश्वर प्राप्ति की गहन प्यास पैदा हो गई है और आप मानसिक व भावनात्मक रूप से प्रोण हो चुके है और आपके पास पर्याप्त साधन है और आप संसार का हर अनुभव जी चुके है तो ऐसी स्थिति मे यदि आप संसार से विमुख होकर पुर्ण रूप से अध्यात्म मे प्रवेश करना चाहे तो आपको अवश्य करना चाहिए, यही सन्यास का उचित समय है । दूसरे विकल्प के रूप मे, यदि आप विवाहित व गृहस्थ है और आपके ऊपर समाज, परिवार व वयवसाय की बहुत ज़िम्मेदारिया है और आप को संसार की विषय वासनाओ मे, इच्छाओं मे अभी आकर्षण बाकी है और ईश्वर प्राप्ति अभी आपकी प्राथमिकता भी नही है और अभी आप युवा है अथवा मानसिक व भावनात्मक रूप से आप मजबूत नही है और नाही आप आर्थिक व सामाजिक रूप से मजबूत है तो आपके लिये यही बेहतर है की आप अपने आप को सम्हाले और अध्यात्म की अति मे ना जाकर पहले अपने वर्तमान स्वरूप को सदृण करे, यह संसार भी एक पाठशाला है, जो अनुभव व सिख आपको इस संसार मे मिल सकती है वह सिख आपको हिमालय मे भी नही मिलेगी अतः अध्यात्म के अस्थाई भावों मे ना बह कर अपने यथार्थ को पहचान कर समझ कर अपने दायित्वों को निभाते हुए पहले अपने आप को मजबूत करे फिर उचित समय आने पर ही अध्यात्म की सोचे । तीसरे विकल्प के रूप मे, आज हम इकस्वी सदी मे जी रहे है, पुरातन काल के व आज के आधुनिक काल के अध्यात्म के स्वरूप मे बहुत परिवर्तन आ चुका है और आज के इस समय मे अध्यात्म व संसार के बीच मे संतुलन बना कर रहना ही सर्वश्रेष्ठ विकल्प है । हम संसार के भीतर रहते हुए भी संसार से अलग रह सकते है ठीक ऐसे जैसे कमल किचड़ मे उगता है किंतु फिर भी किचड़ से अलग बना रहता है । ठीक ऐसे ही हम भी संसार मे रहते हुए अपने सभी कर्म करे लेकिन कर्मो से आसक्त ना हो और अपने भीतर अपना ध्यान निरन्तर परमात्मा मे भी लगाये रखे या जैसे एक अभिनेता अपने कर्म को करता है वह रोता है हसता है प्रेम व क्रोध भी करता है सब करता है लेकिन बाहर अपना सब अभिनय करते करते भीतर वह जानता है की यह सब सत्य नही है ठीक इसी प्रकार हम भी संसार मे रहते हुए सब कर्म करे लेकिन भीतर जानते रहे की यह सब मात्र अभिनय है सत्य नही है और अपना ध्यान मुख्य रूप से अपने भीतर बनाये रखे । इस प्रकार अंदर व बाहर दोनो तरफ संतुलन को साधते हुए रहना, यही सर्वश्रेष्ठ मार्ग है ।
@MandeepSingh-xz8of2 жыл бұрын
Ye allways jagrokh rhe rkhte hi susma nadhi????
@Spiritualityndu2 жыл бұрын
Yeh daya baya humasha confuse karata rehata hai. Left is chandra naadi nd Rite is chandra nadi, m i right ????
@Spiritualityndu2 жыл бұрын
Sorry left is chandra naadi nd rite is surya naadi ??? Right ????
@Dhyankagyan7772 жыл бұрын
Yes, you are right
@omom10833 жыл бұрын
इड़ा सूर्य नाड़ी Right दाये होती है, पिंगला चंद्र नाड़ी Left होती है, ???
@jpguru10653 жыл бұрын
You wrong
@manubhaimuliya54883 жыл бұрын
Pinglaki jagah ieeda leekho
@Dhyankagyan7773 жыл бұрын
हमारी नाक का दायां नथुना सूर्य नाड़ी यानि पिंगला है और बाया नथुना चंद्र नाड़ी यानि इडा है।
दोनों नथुनों से एक साथ श्वास चलना सर्वश्रेष्ठ स्थिति है, इसका मतलब सुषुम्ना नाड़ी सक्रीय हो चुकी है और जब य़ह स्थिति हर पल चले और महीनों साल गुजर जाये और चलती ही चली जाये तो इसका मतलब ऐसा व्यक्ति सिद्ध हो चुका है। लेकिन अंतिम सिद्ध अवस्था मे पहुचने से पहले भी साधक को कुछ दिनों के लिए सुषुम्ना चलती है और बंद हो जाती है, मतलब कई बार केवल झलकियां आती है जिसमें सुषुम्ना कुछ दिनों के लिए निरन्तर चल पड़ती है, य़ह एक विशेष और महत्त्वपूर्ण स्थिति होती है, इस दौरान निरन्तर सुषुम्ना जागृत रहने से उसमे ऊर्जा का प्रवाह बहुत बढ़ जाता है, व्यक्ती अपने आप को बहुत हल्का फिल करता है, उस के अंदर चुस्ती फुर्ती इतनी बढ़ जाती है जैसे हिरन कुलांचे मार रहा हो। अगर आपकी श्वास वास्तव मे ही सुषुम्ना का स्वरूप ले चुकी है तो आपको खुश होना चाहिए, य़ह एक शुभ स्थिति है। ऐसी स्थिति मे आपको कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है, बस इतना ध्यान रखे कि इस दौरान बेहतर होगा की अंतर्मुखी बने रहे, मोन रहे, आध्यात्मिक वातावरण मे रहे, ध्यान का आनंद लेते रहे, मन को सकरात्मक बना कर रखे, हृदय मे प्रेम का वास बना कर रखे। सब शुभ होगा।