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lyrics
सरवरिया की तीर खड़ी आ नानी नीर बहाव हैं,
माँ के जाये बीर बिना कुण भात भरण न आवे हैं॥
एक दिन म्हारो भोलो बाबुल अरबपती कहलायो थो,
अन्न धन का भंडार भरेड़ा और छोर नही पायो थो,
ऊँचा ऊँचा महल मालिया नगर सेठ कहलायो,
अनगिनती का नोकर चाकर याद मन सब आवे॥1॥
लाड़ प्यार म पली लाड़ली बड़ा घरा जद ब्यायी थी,
सोना चाँदी हीरा मोती गाड़ा भर भर ल्यायी थी,
हाथी घोड़ा धन दाईजो दास दासियाँ ल्यायी थी,
बीती बाता याद करूँ जद हीवड़ो भर भर आव॥2॥
तेर भरोस सेठ सांवरा भोलो बाबुल आयो ह,
गोपी चंदन और तुमड़ा सुरया न संग ल्यायो ह,
घर घर मांगत फिरे सुरया म्हारो मान घटायो ह,
देवरियो मन ताना मार ननदल जीव जलाव ह॥3॥
और सगा न महल मालिया टूटी टपड़ी नरसि न,
और सगा न साल दुशाला फाटेड़ी गुदड़ी नरसि न,
और सगा न माल मलीदा रूखी सुखी नरसि न,
अब डुब मरुं पर घर नही जाऊँ बाबुल मने लजाव है॥4॥
विकल होय कर नानी बाई श्याम प्रभु न ध्यायी थी,
राधा रुक्मण संग लेयकर सेठ सांवरो आयो है,
नानी बाई को भात भरण न गाड़ा भर भर ल्यायो ह,
सांवरिए न निरख बावली बाता यूँ बतलाव है॥5॥
कुण स देश जाओ ला थे कुन का ओढ़ निहारसी,
नानी बाई को भात भरण न जावा नगर अनजान जी,
नरसिलो म्हारो सेठ पुराणो म्हारो अन्न दातार है,
नानी बाई म्हारी धर्म बहन है साँवरियो समझाव है॥6॥
साँवरिय की बाता सूण के म्हारा दुखड़ा दूर हूया,
रंग बधावा गाती गाती घर घर यूँ समान हुया,
सदा भँवर थारि महिमा गाव कद को बाट उडिक है,
विप्र रूप अवतार प्रभु को हरष हर्ष गुण गायो है ॥7॥
॥समाप्त॥