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|| Takhat Bawdi || तख्त वाली बावड़ी "यहां मिले लोगों के कटे हाथ-पैर"!! Haryana Narnaul
मिर्जा अलीजान की तखत वाली बावड़ी
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MIRZA ALIJAN'S TAKHAT & BAOLI
Location -: Narnaul, District-Mahendergarh
Situation -: Situated in the Chota-Bada Talab areas of the City.
Under protection of -: Haryana Government
Period -: 1556-1605 AD
History and description -: This baoli (water tank) built by Mirza Ali Jan, the Nawab of Narnaul during the reign of Emperor Akbar, is situated to the north-west of the town of Narnaul. The main structure of the building is in the shape of a huge arched gateway carrying the 'Takhat' with a rectangular pillared 'Chhatri' (Kiosk) on its top. The 'Chhatri' has a decorated flap, resting on the eight pillars made of grey stone into rows that open to all sides. Below it, there is a balcony with staircases. The Takhat stands on the main arched entrance of the baoli. On the south, the main arched opening is attached with the three-storied 'baoli' and further a well.
ऐतिहासिक नारनौल शहर को बावड़ियों व तालाबों का शहर कहा जाता हैं। यद्यपि शहर की बहुत प्राचीन बावडियों का अस्तित्व अब नही रहा हैं, परन्तु मिर्जा अली जां की बावड़ी आज भी विद्यमान है। इस बावड़ी का निर्माण बादशाह अकबर के काल में एकधनी व्यक्ति मिर्जा अलीजान द्वारा करवाया गया था। यह नारनौल शहर के पश्चिम में आबादी से बाहर स्थित है। इस ऐतिहासिक बावड़ी का निमार्ण मिर्जा अली जां ने करवाया था। इसके निमार्ण के समय की सटिक जानाकारी तो नही मिलती लेकिन बताया जाता है की इसका निर्माण 1580 के दशक मे हुआ था।। इस बावड़ी पर संगमरमर का एक बड़ा तखत रखा है, जिसके कारण इसे तखतवाली बावड़ी के नाम से भी जाना जाता है। इसका मुख्य भवन एक बड़ी मेहराबपर बना हुआ है जिसके ऊपर एक बड़ा आठ स्तम्भों का तख्त बना हुआ है। बावड़ी के पास ही एक कुआं है। बावड़ी में फव्वारा तथा नालियों द्वारा पानी पहुचाने की प्राचीन व्यवस्था देखने योग्य हैं। इसके नीचे एक बालकोनी तथा ऊपर चढ़ने के लिए सीढ़ीयांबनी हुई हैं तख्त बावड़ी दक्षिण में एक अष्ट कोणीय कुंएके साथ जुड़ी हुई है तीन मंजील की बनी इस बावड़ी में तख्त के नीचे पत्थर पर उत्कीर्ण लेख में इसके निर्माण बारे फारसी भाषा में लिखा हुआ है। जिसमें इसके निर्माता का नाम मिर्जा अली जान दर्शाया गया है।
बावली का अर्थ पानी का कुआं होता है। मिर्ज़ा अली जान की बावली नारनौल के उत्तर में स्थित है जिसका निर्माण मिर्ज़ा अली जान ने किया था जो अकबर के शासन काल के दौरान नारनौल के नवाब थे। यह कुआं छोटा बड़ा तालाब से घिरा हुआ है। मुख्य इमारत का प्रवेशद्वार धनुषाकार है जिसमें एक तख्त और एक छतरी है। आठ स्तंभ इस छतरी को आधार प्रदान करते हैं। स्तंभों से कुएं की ओर जाने के लिए सीढियां हैं।
दोस्तों आज हम जा रहे हैं। हरियाणा के नारनौल शहर में, और यहां पर हमें ऐसी बावड़ी मिली।। जिसका इतिहास बहुत कम लोगों को पता है।। इस वीडियो के माध्यम से हम सभी लोगों को एक बात बताना चाहते हैं।। कि अपने इतिहास को आप बरकरार रखें, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी भी यह देख सके कि हमारा देश कैसा था।।
इसलिए सरकार से दरख्वास्त है कि इस तरह की ऐतिहासिक धरोहर को ध्यान रखें।। और समय-समय पर उनकी मरम्मत करवाते रहे।।
इस खूनी बावड़ी मे आज तक कोई नहीं गया है और यह हरियाणा के गाँव नारनौल मे है
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