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भारतीय मीडिया जगत में जब 'पुस्तक' चर्चाओं के लिए जगह छीजती जा रही थी, तब इंडिया टुडे समूह के साहित्य के प्रति समर्पित डिजिटल चैनल 'साहित्य तक' ने हर दिन किताबों के लिए देना शुरू किया. इसके लिए एक खास कार्यक्रम 'बुक कैफे' की शुरुआत की गई. साल 2021 से 'साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10' की शृंखला भी शुरू हुई. उस साल केवल अनुवाद, कथेतर, कहानी, उपन्यास, कविता श्रेणी में टॉप 10 पुस्तकें चुनी गईं. इस साल 2022 में टॉप 10 की कुल 17 श्रेणियां हैं.
साहित्य तक 'बुक कैफे-टॉप 10' में 'उपन्यास' की पुस्तकें ये हैं.
'दाता पीर', हृषीकेश सुलभ: अनोखे प्रेम और मुस्लिम समाज की दास्तान. जो मुजाविरों और शहनाई बजाने वाले एक घराने की कथा के बहाने अपने आस-पड़ोस को समेटती हुई चलती है. प्रकाशक-राजकमल प्रकाशन
'ढलती सांझ का सूरज', मधु कांकरिया: यह उपन्यास एक ऐसे व्यक्ति की कहानी कहता है, जो अपने जीवन में आर्थिक सफलता अर्जित करने के बाद अपने मानवीय धरातल में झांकता है और फिर तरक्की की सीमाओं को महसूस करता है. फिर वह तलाशता है, अपनी सार्थकता को, अपनी आत्मा और उसकी अर्थवत्ता को. प्रकाशक- राजकमल प्रकाशन
'अल्फ़ा-बीटा-गामा', नासिरा शर्मा: सभ्य, महानगरीय समाज की निर्दयताओं और अक्षम्य अमानवीयताओं को उजागर करता उपन्यास, जो मनुष्य की आत्मग्रस्तता को कभी कुत्तों की आंखों से दिखाता है, कभी उन कुछ जनों की आंखों से जो अपने सीमित साधनों के साथ, अपने आस-पड़ोस का विरोध झेलकर उन असहाय जीवों के लिए कुछ करना चाहते हैं. प्रकाशक- लोकभारती प्रकाशन
'अमर देसवा', प्रवीण कुमार, यह कोविड काल में हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था में की कलई उतारने वाला उपन्यास, जिसे पढ़ते हुए आप कई बार रोएंगे, तो बहुत बार आक्रोशित भी होंगे. मौत के कारोबार में लाभ देखते बाजार-तंत्र और निरुपाय आम आदमी के बीच असली अपराधी की खोज आपको करुणा से भर देगी. प्रकाशकः राधाकृष्ण प्रकाशन
'नमस्ते समथर', मैत्रेयी पुष्पा: यह उपन्यास, साहित्यिक समाज, राजनीतिक दिग्भ्रम और मर्दाना वर्चस्व से हर जगह लड़ती औरत की कहानी है. प्रकाशक- राजकमल प्रकाशन
'नकटौरा', चित्रा मुद्गल: आत्मकथात्मक औपन्यासिक कृति, जो एक सामाजिक कार्यकर्ता के घर और बाहर के अंतर्विरोध की पृष्ठभूमि पर रची गई है. जीवन संघर्ष के बीच सत्य की पक्षधरता का दामन थामे रखने वाली यह एक बेबाक कृति है. प्रकाशक- सामयिक प्रकाशन
'चन्ना तुम उगिहो', चन्द्रकला त्रिपाठी: स्त्री-विमर्श को नई दिशा देता उपन्यास, जिसकी स्त्री-पात्र अपने जीवन में प्रेम, साहस, त्याग की प्रतिमूर्ति बनकर भी अपने समय और समाज से टकराते हुए मानवी ही रहती हैं, दैवी नहीं बन जातीं. प्रकाशकः प्रलेक प्रकाशन
'शहर से दस किलोमीटर', नीलेश रघुवंशी: साइकिल के इश़्क में डूबे एक जोड़ी पैरों की परिक्रमा की वह गाथा है, जो बताती है कि शहर से कुछ ही दूरी पर वह दुनिया बसती है, जो न तो शहरों की कल्पना का हिस्सा है, न ही उनके सपनों में उसकी कोई जगह है. प्रकाशक- राजकमल प्रकाशन
'चाँद गवाह', उर्मिला शिरीष: उपन्यास का सबसे शानदार केंद्र बिंदु है एक स्त्री. जो प्रश्न भी उठाती है और उसके उत्तर भी तलाशती है. मन से देह तक के सफ़र के बीच स्त्री प्रश्न उठाती है कि आत्मा के रिश्ते देह के सम्बन्धों से कैसे बड़े होते हैं. प्रकाशकः सामयिक प्रकाशन
'अम्बपाली: एक उत्तरगाथा', गीताश्री: लिच्छवी गणतंत्र के राजनर्तकी की गाथा, जो अपने अधिकारों और अस्मिता के लिए जूझने वाली सम्भवतः विश्व की पहली स्त्रीवादी नागरिक थी. यह उपन्यास इतिहास के निर्माण में मिथकों की अनिवार्यतः प्रमुख भूमिका को उजागर करता है. एक राजनर्तकी, जिसे अपने राज्य में मंत्री पद का दर्जा मिला था, पर इससे भी उसका जीवन सहज नहीं हुआ और अपने रूप सौंदर्य की बड़ी कीमत चुकाई. प्रकाशक- वाणी प्रकाशन
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