प्रणाम अलखनिरंजन पात्र को मिल जाता है पर पिछे रहनें पर शंका क्यों , और उसमें लाभ हानीं क्यू ? मार्गदर्शन करियेगा प्रणाम 🙏 महात्मन प्रणाम 🙏 मैं इस मार्ग पर चलनें की कोशिश कर रहा हूँ पर मुझे आजतक द्वैत और अद्वैत समझ नहीं आया है , विराट पर फिर भरोसे में शंशय क्यों होना चाहिये अज्ञानीं हूँ महात्मन शब्द में आपको समझा पाया हूँ प्रणाम 🙏 मार्गदर्शन करियेगा प्रणाम 🙏
@latestgodshorts202026 күн бұрын
Neelkanth varni dekho aapko aapke sabhi savalo ke jabab mil jayenge
@throughgeetslenses25 күн бұрын
यह अद्वैत का ज्ञान , श्रवण और सत्त मननन करते रहने से , प्रभु कृपा से अपने आप घाट जाता हैं ऐसा मेरा मत हैं । अपने प्रश्नों का स्वयं हाल खोजो , किसी के बताने से वह मन की एक और वृत्ति बन जाती हैं , और यह आत्म ज्ञान अनुभव का विषय है जिसको शब्दों से केवल संकेतिक किया जाता है। प्रभु मार्ग दर्शन करते है अगर आपकी जिज्ञासा त्रिव है तो । आप दर्पण में अपने दर्शन करते है वैसे ही शास्त्र दर्पण तुल्य है जो आपको स्वयं अपने स्वरूप का दर्शन कराते हैं । अयम आत्मा ब्रह्म 🙏🏽🕉️