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🪷दशलक्षण महापर्व🪷
✨उत्तम आकिंचन्य(दिन-9)✨
📿ॐ ह्रीं श्रीं उत्तम आकिंचन्य धर्मांगाय नमः📿
(सोरठा)
परिग्रह चौबीस भेद, त्याग करें मुनिराज जी।
तिसना भाव उछेद, घटती जान घटाइए।।
(चौपाई)
उत्तम आकिंचन गुण जानो, परिग्रह-चिंता दु:ख ही मानो।
फाँस तनक-सी तन में साले, चाह लंगोटी की दु:ख भाले।।
(हरिगीतिका)
भाले न समता सुख कभी नर, बिना मुनि-मुद्रा धरे।
धनि नगन पर तन-नगन ठाढ़े, सुर-असुर पायनि परें।।
घर-माँहिं तिसना जो घटावे, रुचि नहीं संसार-सों।
बहु-धन बुरा हू भला कहिये, लीन पर उपगार सों।।
उत्तम आकिंचन धर्म।Uttam Akinchan Dharm।आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी प्रवचन।दशलक्षण पर्व।उत्तम आकिंचन्य धर्म।Paryushan Parv
उत्तम आकिंचन्य धर्म
उत्तम आकिंचन धर्म
दशलक्षण महापर्व
आर्यिका पूर्णमति माताजी प्रवचन