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Uttarapara Speech, May 30, 1909, presented in the voice of Shri Arjun Singh.##
अलीपुर जेल से छूटने के बाद श्रीअरविंद का पहला सार्वजनिक और महत्त्वपूर्ण भाषण 30 मई 1909 को उत्तरपाड़ा में हुआ था। इसमें श्रीअरविन्द ने अपने जेल जीवन का आध्यात्मिक अनुभव सुनाया और साथ ही देश को सच्ची राष्ट्रीयता का संदेश दिया। इसमें उन्होंने बताया है कि सच्चा हिंदू धर्म, सच्चा सनातन धर्म क्या है और आज के संसार को उसकी क्यों जरूरत है। ‘उत्तरपाड़ा’ भाषण के नाम से प्रसिद्ध श्रीअरविन्द का यह सम्बोधन आज भी प्रासंगिक है।
साप्ताहिक पत्रिका ‘‘कर्मयोगी’’ में यह भाषण अंग्रेजी में छपा था जिसका मूल भावना के साथ हिन्दी में अनुवाद किया गया। इसकी प्रस्तुति श्रीअरविन्द सोसायटी जयपुर शाखा राजस्थान द्वारा की जा रही है।
"हिन्दुधर्म क्या है? वह धर्म क्या है जिसे हम सनातन धर्म कहते हैं? वह हिन्दुधर्म इसी नाते है कि हिन्दुजाति ने इसको रखा है, क्योंकि समुद्र और हिमालय से घिरे हुए इस प्रायद्वीप के एकांतवास में यह फला-फूला है, क्योंकि इस पवित्र और प्राचीन भूमि पर इसकी युगों तक रक्षा करने का भार आर्यजाति को सौंपा गया था। परन्तु यह धर्म किसी एक देश की सीमा से घिरा नहीं है, यह संसार के किसी सीमित भाग के साथ विशेष रूप से और सदा के लिये बंधा नहीं है। जिसे हम हिन्दूधर्म कहते हैं वह वास्तव में सनातन धर्म है, क्योंकि यही वह विश्वव्यापी धर्म है जो दूसरे सभी धर्मों का आलिंगन करता है। यदि कोई धर्म विश्वव्यापी न हो तो वह सनातन भी नहीं हो सकता। कोई संकुचित धर्म, सांप्रदायिक धर्म, अनुदार धर्म कुछ काल और किसी मर्यादित हेतु के लिये ही रह सकता है। यही एक ऐसा धर्म है जो अपने अंदर सायंस के आविष्कारों और दर्शनशास्त्र के चिंतनों का पूर्वाभास देकर और उन्हें अपने अंदर मिलाकर जड़वाद पर विजय प्राप्त कर सकता है। यही एक धर्म है जो मानवजाति के दिल में यह बात बैठा देता है कि भगवान् हमारे निकट हैं, यह उन सभी साधनों को अपने अंदर ले लेता है जिनके द्वारा मनुष्य भगवान् के पास पहुँच सकते हैं। यही एक ऐसा धर्म है जो प्रत्येक क्षण, सभी धर्मों के माने हुए इस सत्य पर जोर देता है कि भगवान् हर आदमी और हर चीज में हैं तथा हम उन्हीं में चलते-फिरते हैं और उन्हीं में हम निवास करते हैं। यही एक ऐसा धर्म है जो इस सत्य को केवल समझने और उसपर विश्वास करने में ही हमारा सहायक नहीं होता बल्कि अपनी सत्ता के अंग-अलंग में इसका अनुभव करने में भी हमारी मदद करता है। यही एक धर्म है जो संसार को दिखा देता है कि संसार क्या है- वासुदेव की लीला। यही एक ऐसा धर्म है जो हमें यह बताता है कि इस लीला में हम अपनी भूमिका अच्छी-से-अच्छी तरह कैसे निभा सकते हैं, जो हमें यह दिखाता है कि इसके सूक्ष्म-से-सूक्ष्म नियम क्या हैं, इसके महान्-से-महान् विधान कौन-से हैं। यही एक ऐसा धर्म है जो जीवन की छोटी-से-छोटी बात को भी धर्म से अलग नहीं करता, जो यह जानता है कि अमरता क्या है और जिसने मृत्यु की वास्तविकता को हमारे अंदर से एकदम निकाल दिया है।"