नमो बुध्दाय, जय भीम 🌹 बहुजन समाज की राजनैतिक पार्टियां जब तक बौद्धिक संस्कृति को बढ़ावा नहीं देंगी तब तक बहुजन समाज पाखंड वाद से मुक्ति नहीं पा सकता,, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति ये है कि खुद बहुजन समाज ही मनूवादियो को पाल पोस रहें हैं,,☸️☸️☸️☸️✅✅✅✅✅✅
@jpsingh335718 күн бұрын
आपका बहुत बहुत बहुत हार्दिक साधुवाद ☸️👌👍🌹🙏❤️💐☸️👌👍🌹🙏❤️💐☸️👌👍🌹🙏❤️💐
@TeklalMahto-k1p14 күн бұрын
Rajeev Patel ko koti koti naman Jay Bheem Jay Bharat
@durgasaini842317 күн бұрын
Raajiv patel ji aapne ved Or upnisad par bahut achhe se prakartik, vaigyanik aur vaastvik vivran ko prastut kari hai. Bharat ko yadi tarrakki karni hai to andhvisvaas aur kapol kaalpnik granth aur granthon se utpann devtaa, bhagwaan aur karmkaand ko tyaagnaa hi hogaa. Tabhi sahi tasveer nazar aasakti hai. Jaise jaise raatri me sirf andheraa hi dikhai detaa hai usme brahmin tantra, mantra, bhoot, pret, devtaa, bhagwaan ko dikhaane kaa prayaas karte hai aur din me saaf dikhne waali visyavastu ko bhi nakaarne kaa granth aur unke updeshon ko hi jantaa ko prasaad ke samaan baante firte hai aur andhvisvaas ko badhaane ke liye vibhin devtaa aur bhagwaan ko mandiron me sthaapit kar karmkaand karte hai aur kathaavaachakon ke maadhyam se karmkaandon ko maasoom jantaa ko rataane ke liye hi apni poori shakti lagaate hai. Jabki jantaa ko din ke ujaale me dikhaayi dene waali visyavastuon ko apne vivek se , shikshaa se, aur vaigyaanik kaaryon se nirmaan karke bharat kaa nirmaan karnaa chaahiye aur poori jantaa ko apnaa samaya inhi kaaryo me lagaane ki jaroorat hai. Jisase bharat progress me US, Russia, chinaa, Japan jaise deshon se pratispardhaa kar sake.bharat ki sthaapatya kalaa budhkaal me bejod rahi hai jiskaa anusaran yoraup aur madya Asia me bhi huwaa thaa . Jabki yuresia aur kaale saagar ke aas-paas se aaye huye brahmin bharat ko vahaan se laaye huye vikaaron se bharat ko andhvisvaas me dhakel rahe hai. Bharat me budh ne janam lekar vaigyaanik aadhaarit kaarya aur ahinshaa aur shaanti ko hi progress kaa raastaa dikhaayaa thaa aur bhagwaan ki avdhaaranaa ko nakaaraa thaa. Ispar chalkar great ashok ne visv ko bharat ki aan- baan, shaan se avgat karaayaa thaa. Aaj chinaa ne adhik jansankhyaa ko rok kar, sabhi ko gareebi se nikaal kar aur vaigyaanik kaaryon ke bal par bharat se chinaa ko 100 varsh aage kar liyaa hai, yaad rahe ki chinaa bhi budh dharam kaa desh hai aur bharat budh kaa desh hone ke baaujood andhvisvaas me doobaa huwaa hai. Bharat ko dharaatal par tarrakki har dishaa me karni padegi.
@jaigopal128518 күн бұрын
नमो बुद्धाय
@preciousreading193418 күн бұрын
Very well researched report, All true points.
@umeshniraj550517 күн бұрын
बहुत अच्छी जानकारियां।
@RAMESHKUMAR-iy4pr16 күн бұрын
सिर्फ जानकारियां नहीं सत्य को स्वीकार करना होगा साक्ष्यों और प्रमाणों के साथ। झूठ के पांव नहीं होते, इसलिए वो सिर्फ हवा में उड़ सकता है। साक्ष्य जमीन में/पर होता है। सत्य का सामना होते ही झूठ धुएं की तरह अस्तित्व विहीन हो जाता है, गायब हो जाता है। 😔😔😔
@sureshchandra45146 күн бұрын
Jai Bheem Namo Buddhaay ❤
@फौजीसंतोषनिषाद18 күн бұрын
स्वर्ग से सुन्दर देश हमारा जम्बूदीप इसे कहते है राजा ( धम्म ) असोक के शिलालेख से आओ मिलकर पढ़ते है रामग्राम के निषाद ( नाग प्रजाति ) कोलियों ( जामुनीय ) ने नाम दिया था शान से नाग निषाद की गाथा गाऊँ सुन ले भैया ध्यान से भीम जोहार बुद्ध वन्दामि
Rajeev Patel ji aap ki pustak bahut hi gyanvardhak h .etni kaljayi rachna karne ke liye sabhi pathhko ki or se aap ka bahut bahut dhanyawad 🙏🙏🙏
@SamyakVaniiii8 күн бұрын
बहुत बहुत धन्यवाद ऐसे ही ऑडियो बुक बनाएगी तो लोग आसानी से कितने पद पाएंगे आपका जितना धन्यवाद करे कम
@chittamahato582319 күн бұрын
Beautiful narration 😊
@surendrauikeycg385417 күн бұрын
शानदार 👌👌
@jaigopal128517 күн бұрын
जय भीम नमो बुद्धाय जय संविधान
@pradeepwakale14117 күн бұрын
शोषीतो का इतिहास शोषको ने लिखा!⚛️
@SCIMATTUTORIALCLASSES18 күн бұрын
Very very thanks to rajiv patel sir for decoding the false story of euresian writers since they have no knowledge of indian culture hence they imagined whatever not true in contest of india.
@abhayraaj214410 күн бұрын
Jaybhim
@mr.shivkumarchopra76217 күн бұрын
Itihas ko jano apni sanskritik pahchano AKHANND BHARAT NAMO BUDHAY Jai Bheem jai bharat jai sanvidhan 🙏✍️💐 Well-done ✍️
@dikeshprajapati512316 күн бұрын
Nice 👍👍
@birendraroy360217 күн бұрын
👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏✌️✌️
@purnanetam16 күн бұрын
All the reports are true
@budhprakash920012 күн бұрын
विश्व राष्ट्र राज धर्म = सनातन दक्ष धर्म । सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम संस्कार। ब्रह्म = ज्ञान ब्रह्म वर्ण = ज्ञान शिक्षण विभाग। ब्राह्मण = ज्ञानी अध्यापक गुरूजन पुरोहित। मुख = ब्रह्मण बांह = क्षत्रिय पेटउदर = शूद्रण चरण = वैश्य। चरण चलाकर ही व्यापार वितरण वाणिज्य क्रय विक्रय ट्रांसपोर्ट वैशम वर्ण कर्म होता है। अध्यापक = ब्रह्मन, सुरक्षण = क्षत्रिन, उत्पादक = शूद्रन और वितरक = वैशन। चार आश्रम = ब्रह्मचर्य + गृहस्थ + वानप्रस्थ + यतिआश्रम। चार वर्ण = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम। राजसेवक/ दासजन = वेतनमान पर कार्यरत सेवाजन। पौराणिक वैदिक सनातन दक्षधर्म वर्णाश्रम संस्कार।
@Lem-Tamme8 күн бұрын
Jai Bhim namo buddhaya 🙏
@dharampalnastik606918 күн бұрын
जय भीम
@vasantraojogekar421510 күн бұрын
सर्वत्र कण कण में सिर्फ मार्गदाता भगवान बुद्ध है ।
@vikkiraj33188 күн бұрын
आज के हिन्दू जो महायान बौद्ध धम्म के बदला हुआ स्वरूप है। महायानी लोग तो एशिया माइनर से है। यही पर वर्ण (रंग) के आधार पर भेदभाव वर्ण-व्यवस्था था।
@budhprakash920012 күн бұрын
विश्व विद्वान द्विजनो ( स्त्री-पुरुषो) ! दिमाग उपयोग कर पोस्ट पढ़कर ज्ञान बढ़ाएं। 1- सदाचार स्वभाव द्वेष ईर्ष्याग्रस्त विचार व्यवहार संबंधित विषय अलग है , 2- व्रत उपवास अनुष्ठान पर्व त्योहार अलग विषय है , 3- भोजन-पानी खान-पान विषय अलग है, 4- चार वर्ण कर्म विभाग जीविकोपार्जन प्रबन्धन विषय अलग है और 5- विवाह सम्बंध संस्कार गोत्र वंश कुल अलग विषय है। पांचो विषय विधि-विधान नियम अलग अलग हैं पांचो विषय पर विश्लेषण बातचीत वार्तालाप अलग अलग समय काल अनुसार करनी चाहिए।
@budhprakash920012 күн бұрын
पौराणिक वैदिक सतयुगी सनातनी हिन्दूजन पुजारी संस्कार शिक्षक विप्रजन (पुरोहित) को बिना बुलाये भी श्राद्धकर्म करके अपने अपने पूर्वजो को श्रद्धापूर्वक सम्मानित करना अच्छी मानव संस्कार वाली आदत होती है। जिवित पितरो को सम्मान देने के साथ ही मृत पितरो को श्रद्धापूर्वक सम्मान देना उचित सोच वाला कर्म करना चाहिए। जीवित पितरो और बड़े सदस्यों को सम्मान देने के लिए मृतपितर का सम्मान करने के लिए मना नहीं करना चाहिए। साम्प्रदायिक पन्थगुरुओ का फालोअर अंधभक्त होकर व्यर्थ अंधविरोध ईर्ष्याग्रस्त सोच रखने की आदत छोड़कर निष्पक्ष सोच अपनाकर दिमाग सदुपयोग कर श्राद्धकर्म सम्मान कर्म समझना चाहिए। शिक्षित विद्वान द्विजनो ( स्त्री-पुरुषो ) ! खुद के दिमाग को उपयोग कर समझना चाहिए कि कुछ साम्प्रदायिक पन्थगुरुओ ने समय समय पर अपने अपने फालोअर अंधभक्त बनाने के लिए पूर्वजो ऋषिओ देवताओ का अंधविरोध करना सिखाया है और व्यर्थ ईर्ष्या करने वाला विचार दिया है। साम्प्रदायिक पन्थगुरुओ को अपना अपना फालोअर अंधभक्त बनाना होता है और सबजन को उनके पूर्वजो ऋषिओ देवताओ को भुलाकर संस्कार सम्बंध बिगाङ कर जीने वाला बनाकर मात्र अपना अपना नाम याद रखना रटवाना होता है। शिक्षित विद्वान द्विजनो ( स्त्री-पुरुषो ) यह षडयंत्र कारी विचार समझना चाहिए और अंधभक्त होकर माइंड सेटिंग कर ईर्ष्याग्रस्त सोच रखकर जीने वाला होने से बचना चाहिए।
@omcarterios17 күн бұрын
भाषा और लिपि अलग है। आज सभी भाषाओं के साथ उन्हें लिखने की लिपिया भी दिखाई देती है। लेकिन मानव के विकास क्रम में भाषाएं पहले बनी, और लिपिया बाद में बनी होंगी। भाषाओं का विकास 70 हजार वर्ष पहले हो चुका था लेकिन लिपियां 5200 साल पहले दिखाई देनी शुरू हुई। बहुत सारी भाषाएं बनी होगी और लुप्त हो गई होगी, क्या कोई उनका कोई साक्ष्य दे सकता है? संस्कृत, पाली, मागधी और प्राकृत आदि भाषाएं भारत के एक ही भूखंड पर बोली गई भाषाएं है। कौन पहले आई और कौन बाद में आई इस पर निश्चित रूप से कुछ नही कहा जा सकता है। सभी भाषाओं के धातु (root words) बहुत मिलते जुलते हैं। इसलिए इस पर विवाद नही करना चाहिए। बुद्ध से पहले कोई न कोई धार्मिक व्यवस्था भारत मे रही होगी, उससे असहमति के फलस्वरूप ही बौद्ध जैन आदि परम्पराए शुरू हुई होगी। असहमति के बावजूद कुछ समानताएं भी है। अब आप असहमति को ज्यादा महत्व देते है या समानता को यह आप पर निर्भर करता है। इस बात में कोई संदेह नही है कि भारत को बौद्धों ने बहुत कुछ ऐसा दिया है जिस पर हम गर्व कर सकते है। ब्राह्मणों ने ऐसा बहुत कुछ दिया है जो झूठ और फरेब से भरा है। लेकिन ब्राह्मणवाद सनातन नही है। सनातन में भारत की सृष्टि से ले कर आज तक के सारे ज्ञान और अनुभव सम्मलित है। इसलिए सनातन की निंदा न करे।
@RAMESHKUMAR-iy4pr16 күн бұрын
बुध से पहले 27 बुद्धों के प्रमाण भी मिलते हैं बुध ने धम्म चक्क पवत्तन किया था न कि किसी धर्म की स्थापना। सनातन एक विशेषण है, बुध ने धम्म को ही सनातन कहा उसकी विशेषता बताते हुए कि कभी वैर से वैर को समाप्त नहीं किया जा सकता। अर्थात् कीचड़ से कीचड़ को कभी भी साफ़ नहीं किया जा सकता। यदि पूर्वाग्रह को छोड़, निष्पक्ष रूप से साक्ष्य और प्रमाण को देखा जाए तो सत्य क्रिस्टल क्लियर दिखता है। पूर्वाग्रह इमेज को धुंधला कर भ्रमित और गुमराह करता है। 😔😔😔
@akshaytavarej221313 күн бұрын
पहले भाषा और बोली में का अंतर जान लो.. बुद्ध के पहले के बुद्धों के पुरातात्विक साक्ष मिल चुके है।
@omcarterios13 күн бұрын
@akshaytavarej2213 तुम यह कहना चाहते हो कि जिस भाषा की लिपि नही है वह बोली कही जाएगी। तो लिपि के निर्माण के पहले सभी बोलियां थी। चलो तुम बोली कह लो, यह शब्द कोई बहस या असहमति का मुद्दा नही है मेरे लिए। मेरा कहना है कि हो सकता है संस्कृत और बहुत सारी बोलिया ब्राह्मी के पहले रही होगी। यह कहना उचित नही होगा कि ब्राह्मी लिपि में पाली में सर्वप्रथम शिलालेख में मिले है, तो यही सबसे प्राचीन बोली है जो भाषा बनी। बुद्ध साहित्य में बुद्धों की एक श्रखला बताई गई है। लेकिन यह साहित्य बुद्ध के बहुत बाद लिखा गया। इस बात की कोई प्रमाणिकता नही की वे बुद्ध वचन है। अगर पूर्व बुद्ध जम्बू द्वीप में थे तो बुद्ध साहित्य में उनके नगरों के नाम क्यो नही मिलते। जातक कथा में भी सिर्फ काशी, अयोध्या और कुछ अन्य ऐसे ही नगरों का नाम मिलता है। मैं जातक में ढूंढ रहा था कि सिंधु घाटी सभ्यता के नगरों के नाम मिल जाए। लेकिन मिले नही। आप किस साक्ष्य की बात कर रहे बताईए जरा।.... एक बात स्पस्ट कर दूं, बुद्ध के प्रति मेरी अगाध श्रद्धा है, मुझे दुश्मन मान कर बात न करें।
@dasohansdah24544 күн бұрын
@@omcarteriosबुद्ध के पहले संस्कृत भाषा था सिर्फ प्रमाण दें जलेबी न बनाएं।
@omcarterios4 күн бұрын
@@dasohansdah2454 जी संस्कृत सहित सैकड़ों अन्य भाषा बोली के रूप में बुद्ध से पहले भी थी
@SureshRavidas-x6y18 күн бұрын
वैदिक युग का घाल मेल पुस्तक प्राप्त करने के लिए क्या करना होगा,कृपया बताने का कष्ट करेंगे।
@thomusejohn966818 күн бұрын
Amazon se order kr skte h
@nmt399418 күн бұрын
Beta pair upr aur sir neche krke Amazon k office jaoge to tumhe mil jayega sath me ek katora bajate hue chale jana😂😂😂😂😂
@AnandKumar-vl1xj17 күн бұрын
@@SureshRavidas-x6y पहले डॉक्टर अंबेडकर को पढ़ो
@santoshingole63479 күн бұрын
सर आप पढ़ते समय जहां पर चित्र का नाम आए तो ओ चित्र भी साथमे दिखाए ये बिनती है.....!!!!!
@iuvvicuuivcr13 күн бұрын
Pl Google relevant population genetics and videos on Gods of bronze by Dan Davis.😮
@VivekGarg-ue9lw14 күн бұрын
पत्थर तराशने का ज्ञान कितना पुराना मिलता है? क्या उससे पूर्व सिर्फ सुन कर याद करने और सीखने का साधन किया जाता रहा था? क्योंकि पहले पहल सीधे पत्थर तराशने की बात कम समझ आती है। विकास क्रम मे दो चार हजार साल तो सिर्फ पारस्परिक वर्तलाप् से ही उन्नति विकास संभव लगता है। एक बात और क्या दक्खिन भारत मे भी इस से पूर्व का कुछ संकेत नही मिलता? केवल पत्थर की बात तो आदि काल की नही लगती। रही बात जम्बू द्वीप की तो वह तो पूरी पृथ्वी को कहा गया है क्योंकि जल के कारण अंतरिक्ष से पृथ्वी जामुन के रंग की दिखती है।
@kiranindoree734016 күн бұрын
Thank you for sharing this nice informative book.💐💐💐💐💐💐🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 Israeliye yahudiye haiwaan R1A1 ghuspaithiye yureshiyan tirange se dur rahe.
@DineshKumar-cb5rt18 күн бұрын
Anand Kumar ji buddh dharm se pahle koi Vedic dharm nahi tha
@AnandKumar-vl1xj17 күн бұрын
@@DineshKumar-cb5rt तब डॉक्टर अंबेडकर ने ऐसा क्यों लिखा?
@RAMESHKUMAR-iy4pr16 күн бұрын
पहली बात बाबासाहेब ने जो कुछ भी लिखा उसे उनके परिनिर्वाण के काफी बाद प्रकाशित किया गया। दूसरी बात उन्होंने जो कुछ भी लिखा, वो उस समय तक के खोज पर निर्भर था और उन्होंने अपनी हर बात का रेफरेंस दिया है कि ऐसा उन लोगों का रिसर्च है। तीसरी बात उनके समय काल तक इस देश के मूल बाशिंदों का इतिहास अंग्रेजों द्वारा खोज कर देने के बाद, बहुजन विद्वानों तथा अन्य तमाम विद्वानों का कार्य बहुत ही शुरुआती दौर में था। बाबासाहेब के बाद बहुत सारे साक्ष्य और प्रमाण मिले, अभी और जाने कितने मिलने बाकी हैं, षड्यंत्रकारी, धूर्तों के मिटाने के बाद भी। और चौथी और अंतिम बात इस देश के मूल बाशिंदे गोबरखोर और मुतपियना लोग नहीं जो कहीं लिखी हुई बात को अंतिम सत्य मान और समझ कर आगे ही न बढ़ें। तमाम बहुजन विद्वान, इतिहासकार, पत्रकार, बुद्धिजीवी वर्ग बाबासाहेब के कार्यों को बहुत ही बारीकी से आगे बढ़ा रहे हैं। जय भीम जय संविधान ! ❤🎉❤ नमो बुधाय 🙏🙏🙏
@bhikajisawale638110 күн бұрын
ye vedpuran ramayan mahabharat sab jhuth aur kalpnik hai...Buddh dhamm ka mahan itihas chhipane ke liye ,ye videshi brahmno dwara racha gaya shadyantra tha
@b.rchaudhary422413 күн бұрын
There was no Vedic yug.There was Buddhism and Jainism etc
@romeogomeo965815 күн бұрын
Ved ka prmaan milega kaise jabki UNESCO me brahman sirf 14 ad ka pandulipi hi de paye bechare 😂
@RavindraKumar-i9m9o18 күн бұрын
इतना शब्दों का दाल बनाने की क्या जरूरत है श्रीमान
@RavindraKumar-i9m9o18 күн бұрын
सिद्ध-सिद्ध इसी यूट्यूब पर साइंस जर्नी देखा कीजिए
@fazlulkarim912318 күн бұрын
@@RavindraKumar-i9m9oScience Journey bhi iss book ko maante hai.
@RAMESHKUMAR-iy4pr16 күн бұрын
बहुजन विद्वान साइंस जर्नी हर सत्य, जो साक्ष्यों और प्रमाणों के साथ होती हैं उसे मानते हैं। बिना साक्ष्य और प्रमाण के न तो वो कोई बात करते हैं और न ही मानते हैं। ये उनका गजब का लेवल है और यह लेवल बहुत ही गहराई से अध्ययन और समझ का परिणाम होता है। इसीलिए उनके सामने एक से एक खुद को विद्वान समझने वाले दस मिनट भी नहीं टिक पाते और फालतू के बकवास, irrelevant बातें करने को मजबूर हो जाते हैं और बहुजन विद्वान उन्हें रोक देता है कि साक्ष्यों के साथ अपनी बात रखिए 😊 बेचारे तिलमिला जाते हैं और कहने लगते हैं मुझे म्यूट कर दिया 😂 जबकि हकीकत सिर्फ इतना सा है कि गपोड़ी बातें तो हम तमाम सुनते ही आए हैं, तमाम प्लेटफार्म पर भी सुन रहे हैं, इस प्लेटफार्म का एक स्तर है, यहां बातें सिर्फ तथ्यों, साक्ष्यों और प्रमाणों पर ही होती हैं और होनी चाहिए। बेचारे वो क्या करें, जिन्हें सिर्फ गप्पों, गपोड़ी बातों, अश्लील एवं काल्पनिक बातें ही बताई और पढ़ाई गईं हैं। बेचारे तिलमिलाने और बिलबिलाने लगते हैं, पर साक्ष्य और प्रमाण के नाम पर नील बटा सन्नाटा 😮
@RAMESHKUMAR-iy4pr16 күн бұрын
बहुजन विद्वान साइंस जर्नी ने सही मायनों में साक्ष्य क्या होते हैं, प्रमाण किसे कहते हैं इस बात को बहुत ही बेहतरीन तरीके से बताया और समझाया है। हम उनके शुक्रगुजार रहेंगे ताउम्र ❤🙏❤️ वरना बहुत सारे फेक जानकारियों में हमारे जैसे तमाम लोग उलझे हुए थे और उसे फिल्टर करना ढंग से नहीं आता था। जय भीम जय संविधान ! ,❤🎉❤ नमो बुधाय 🙏🙏🙏
@AnandKumar-vl1xj18 күн бұрын
डॉक्टर अंबेडकर लिखते है कि जब बुद्ध अपने धम्म का प्रचार कर रहे थे तब उससे पहले वेदांत दर्शन का समाज पर प्रभाव था😂😂😂😂
@nmt399418 күн бұрын
Fir to Inka Gyan hi fail ho gya 😂😂😂😂😂
@AnandKumar-vl1xj18 күн бұрын
@@nmt3994 100 प्रतिशत
@Asokathegreat18 күн бұрын
वेदांत दर्शन😂😂😂😂
@vasantraojogekar421518 күн бұрын
कौन सी किताब में लिखा है । किताब का नाम बताइए ।
@matashankarbind720718 күн бұрын
झूठ! बाबा साहब ने ऐसा कहीं नहीं लिखा!
@budhprakash920012 күн бұрын
पौराणिक वैदिक सतयुगी सनातनी हिन्दूजन पुजारी संस्कार शिक्षक विप्रजन (पुरोहित) को बिना बुलाये भी श्राद्धकर्म करके अपने अपने पूर्वजो को श्रद्धापूर्वक सम्मानित करना अच्छी मानव संस्कार वाली आदत होती है। जिवित पितरो को सम्मान देने के साथ ही मृत पितरो को श्रद्धापूर्वक सम्मान देना उचित सोच वाला कर्म करना चाहिए। जीवित पितरो और बड़े सदस्यों को सम्मान देने के लिए मृतपितर का सम्मान करने के लिए मना नहीं करना चाहिए। साम्प्रदायिक पन्थगुरुओ का फालोअर अंधभक्त होकर व्यर्थ अंधविरोध ईर्ष्याग्रस्त सोच रखने की आदत छोड़कर निष्पक्ष सोच अपनाकर दिमाग सदुपयोग कर श्राद्धकर्म सम्मान कर्म समझना चाहिए। शिक्षित विद्वान द्विजनो ( स्त्री-पुरुषो ) ! खुद के दिमाग को उपयोग कर समझना चाहिए कि कुछ साम्प्रदायिक पन्थगुरुओ ने समय समय पर अपने अपने फालोअर अंधभक्त बनाने के लिए पूर्वजो ऋषिओ देवताओ का अंधविरोध करना सिखाया है और व्यर्थ ईर्ष्या करने वाला विचार दिया है। साम्प्रदायिक पन्थगुरुओ को अपना अपना फालोअर अंधभक्त बनाना होता है और सबजन को उनके पूर्वजो ऋषिओ देवताओ को भुलाकर संस्कार सम्बंध बिगाङ कर जीने वाला बनाकर मात्र अपना अपना नाम याद रखना रटवाना होता है। शिक्षित विद्वान द्विजनो ( स्त्री-पुरुषो ) यह षडयंत्र कारी विचार समझना चाहिए और अंधभक्त होकर माइंड सेटिंग कर ईर्ष्याग्रस्त सोच रखकर जीने वाला होने से बचना चाहिए।