हिंदी सिनेमा के महान निर्देशक जिन्होंने भारतीय फिल्मों की एक धारा को विश्व स्तरीय पहचान दिलाई। व्यावसायिक फिल्मों से हटकर समानांतर सिनेमा के अंतर्गत एक गंभीर सामाजिक सरोकारों वाला दर्शक वर्ग तैयार किया। भारत एक खोज जैसे धारावाहिक और मंथन, निशांत, अंकुर, त्रिकाल, मम्मो आदि जैसी फिल्में देने वाले बेनेगल साहब को अंतिम प्रणाम
@rupeshverma151620 күн бұрын
Om Shanti 😔 🙏 , Sir aapka vyaktitva teenager se lekar ek senior citizen tak ke liye Prernastrot hai 📝💐
@murtadah632719 күн бұрын
भोपाल के भारत भवन में बहुत पहले (शायद नाइनटीज़ में) उनके वहाँ तीन दिन के किसी चर्चा के प्रोग्राम में दर्शक दीर्घा में बैठकर एक पूरा सेशन उन्हें देखने और सुनने का मौक़ा मिला था। उनकी धर्म पत्नी जी भी उनके साथ थीं। वे उस वक़्त स्टेज पर नही बैठी हुई थीं, कहीं अलग बैठी हुई थीं। उनकी “अंकुर” पिक्चर मिड सेवंटीज में मेरी ओयू में पढ़ाई के दौरान, ओयू कैमेपस के टैगोर ऑडिटेरियम में बताई गई थी। दिवंगत श्याम बेनेगल जी को सादर श्रद्धांजलि।
@vkravikumar262819 күн бұрын
Heartfelt condolences
@anju04aa20 күн бұрын
😭🙏
@roopabee854219 күн бұрын
The movies mentioned are his early works. Except perhaps Birth of a Leader. Hari Bhari Zubeida Chameli Sardar are examples of Parallel cinema with Hindi stars.