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गीतोक्त धर्म, कर्म, यज्ञ और वर्ण क्या - विश्व के महापुरुष धर्म, कर्म, यज्ञ और वर्ण की विभिन्न परिभाषाएँ देते रहे हैं और दे रहे हैं। वस्तुतः धर्म, कर्म, यज्ञ और वर्ण क्या है ? श्रीमद् भगवद्गीता में भगवान श्री कृष्ण ने धर्म, कर्म, यज्ञ और वर्ण की क्या व्याख्या की है ? वर्तमान में जिन क्रियाओं को धर्म, कर्म, यज्ञ और वर्ण कहा जा रहा है वे वास्तव में क्या धर्म, कर्म, यज्ञ और वर्ण ही है ? धर्म, कर्म, यज्ञ और वर्ण के बारे में कैसी भ्रांतियां प्रचलित और प्रचारित हैं ? स्वामी जी ने इस शाश्वत प्रश्न का विस्तृत समाधान किया है श्रीमद्भगवद्गीता के प्रमाणिक आधार पर।
Place: Jodhpur
Dated: 14-03-2010
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