Zero Budget Farming/बिना जोते, बिना खाद के लहलहा दिए खेत/Zero Budget Agriculture/Vijay Jaddhari

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Dug Dugi

Dug Dugi

2 жыл бұрын

​‪@DugDugiRajesh‬
#zerobudgetagriculture #Zerobudgetfarming #Vijayjaddhari
बीज बचाओ आंदोलन के प्रणेता विजय जड़धारी को बीजों का गांधी उपनाम से पुकारना अतिश्योक्ति नहीं होगी, क्योंकि उन्होंने किसानों में पारंपरिक बीजों के प्रति चेतना जगाने का अभूतपूर्व काम किया है। जड़धारी जी, खेती में जंगल के सिद्धांत को लागू करने पर जोर देते हैं। उन्होंने इसको अपने खेतों में लागू करते हुए जुताई के बिना ही बीज फैला दिए और बिना खाद के, फसल उगा दी।
जड़धारी जी बताते हैं, प्राकृतिक खेती की शुरुआत दुनिया में जापान के किसान मासानोबू फुकुओका ने की थी। उन्होंने इस पर एक किताब लिखी थी, One Straw Revolution (एक तिनका क्रांति), जिसको सुंदरलाल बहुगुणा जी लेकर आए थे। उन्होंने यह किताब हमें दी थी। प्राकृतिक खेती की मूल अवधारणा मासानोबू फुकुओका की है।
खेती की इस पद्धति में जुताई न करना, गुड़ाई न करना, खाद न डालना, कीटनाशक नहीं डालने की सलाह दी जाती है। इसको जीरो बजट खेती कहते हैं, हम इसको पहले से ही करते आ रहे हैं। खेतों में पारंपरिक बीजों का इस्तेमाल, खाद के लिए अपने पशुओं का गोबर, पेड़ों की पत्तियां आदि, स्वयं का श्रम, कुदरती पानी प्रयोग करते रहे हैं। पौधों को किसी भी बीमारी की दशा में कीटनाशक भी घर में ही बनता है। जिस तरह पेड़ अपने पत्ते नीचे गिराकर अपने लिए खाद बनाता है, उसी तरह फसल भी अपने लिए खाद बनाती है। बीज यूं ही छिड़क दीजिए, अपने आप पौधे कुदरती अंकुरित हो जाते हैं।
जड़धारी जी बताते हैं, हाईब्रीड, जीएम (Genetically Modified) बीजों से खतरा यह है, उनके जीन में ही बीमारियां होती हैं। वो पहले साल अच्छी फसल देगा, पर फिर खेतों में बीमारियां फैलाएंगे। इसके लिए कैमिकल वाले कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जाता है, जिनसे मिट्टी की उवर्रक क्षमता का हृास होता है।
हाइब्रीड बीजों और कैमिकल ने खेती में खर्चों को बढ़ाया है और मिट्टी की इम्युनिटी को कमजोर किया है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बीज, कीटनाशक, कैमिकल वाली खाद इस्तेमाल करने से मिट्टी की ताकत कम हो रही है। कैमिकल वाले खरपतवारनाशक मिट्टी के बैक्टीरिया को खत्म कर देते हैं, जबकि प्राकृतिक खेती मिट्टी के बैक्टीरिया को वापस लाने का काम करती है।
बीज बचाओ आंदोलन के प्रणेता विजय जड़धारी, हमें नागणी स्थित खेतों में ले जाते हैं, जहां जौ की फसल लहलहा रही है। नागणी, टिहरी गढ़वाल के चंबा ब्लाक में है। बताते हैं, जौ बोने के लिए न तो खेत में हल लगाया और न ही निराई-गुड़ाई की। इस खेत में खाद भी नहीं डाली। इसमें से खरपतवार भी निकाली, वो भी खेत में ही पड़ी रहने दी। इसको ही हम जीरो बजट की खेती कहते हैं। यह खेती जंगल के सिद्धांत पर आधारित है, जहां तमाम तरह की वनस्पतियां उगती हैं, जिनको न तो हम खाद देते हैं और न ही सिंचाई करते हैं।
जड़धारी जी बताते हैं , इस खेत में जौ से पहले धान लगा था। हमने धान की पुआल को खेत में ही पड़े रहने दिया था। खेत को जोते बिना ही उसमें जौ के बीज डाल दिए थे। कुछ दिन बाद जौ के बीज अंकुरित हो गए। पुआल खेत में ही गलकर खाद बन गई।
वो कहते हैं, पुआल को खाद बनने के लिए खेतों में ही बिछाने की व्यवस्था होगी तो पंजाब जैसे राज्यों में इसको जलाने की नौबत ही नहीं आएगी।
पुआल को हाथ में लेकर दिखाते हैं, इसमें केचुआं पनप गया है। इससे पैदावार अच्छी होगी। रही बात, खरपतवार की, तो वो भी खाद में पड़े-पडे़ खाद बन गई। कुल मिलाकर, खेती के लिए अभिशाप कही जाने वाली खरपतवार, इस तरीके से खेत के लिए वरदान से कम नहीं है। उनका कहना है कि जौ के लिए खरपतवार पोषण का काम करते हैं।
अब हम जौ के खेत में तौर के बीज डाल देंगे और जौ की पकी हुई बालियों को काट लेंगे, तने को जड़ के साथ ही खेत में छोड़ देंगे, जो तौर की फसल के लिए खाद का काम करेंगे। तौर उगाने के लिए भी हमें खेत को जोतने या निराई गुड़ाई करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अलग से किसी खाद का इस्तेमाल करने की आवश्यकता भी नहीं है। उनका कहना है, अपने दो खेतों में कुछ वर्ष से यह प्रयोग कर रहे हैं। क्या इस तरह के प्रयोग हो रहे हैं, उनका जवाब था- यहां पहाड़ में कम हो रहा है, वैसे मैंने कहीं देखा नहीं है। पर, ये प्रयोग बढ़ेंगे, क्योंकि इनमें कोई लागत नहीं लग रही। उनका कहना है, प्राकृतिक खेती मिट्टी को बचाने का काम है। मिट्टी की इम्युनिटी को मजबूत करेंगे तो हमारी इम्युनिटी (रोगप्रतिरोधक क्षमता) का विकास होगा।

Пікірлер: 6
@pranjitboro9709
@pranjitboro9709 Жыл бұрын
Nice
@RAJESHYADAV-wd7rx
@RAJESHYADAV-wd7rx Жыл бұрын
Very good
@bhagwanasole7728
@bhagwanasole7728 2 жыл бұрын
Bhagwan Asole Kalmeshwar Nagpur Maharast Veri Good
@premlalmahto2997
@premlalmahto2997 4 ай бұрын
Himachal Pradesh ke peepal farm me bina jutaai aloo ki bhi kheti karte hain
@balrambalram2775
@balrambalram2775 Жыл бұрын
बहुत ही बढ़िया ज्ञान 🙏
@empowersociety7520
@empowersociety7520 2 жыл бұрын
Commendable
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