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बात आज ज्ञानवापी मंदिर और उससे जुड़े विवाद में आए हालिया मोड की। काशी के प्राचीन ज्ञानवापी मंदिर स्थल पर, जहाँ मुगल बादशाह औरंगजेब के दौर में उसे तोड़ कर वहीं उन्हीं अवशेषों का प्रयोग कर मस्जिद बनवा दी गई थी; अब अदालत ने दिशा निर्देश जारी किए हैं जिसके द्वारा वहाँ स्थित एक हिस्से अर्थात व्यास तहखाने में विधिवत पूजा-पाठ का अधिकार हिन्दुओ को मिल गया है। अभी यह लड़ाई लंबी है, अभी अदालती प्रक्रियाओं में दशकों लग जाएंगे, क्या पता उससे भी अधिक; परंतु इस बीच एक ऐसा समाचार सामने आया जिससे पूरी लड़ाई का नैरेटिव बदल सकता है। मैं विषय ले रहा हूँ वामपंथी इतिहासकार इरफान हबीब के द्वारा दिए गए मथुरा और काशी के प्राचीन मंदिरों को तोड़ पर उनपर खडी की गई मस्जिद को ले कर दिए गए हालिया बयान की। इरफान हबीब ने क्या कहा है, यह जानने से अधिक महत्व का है कि क्यों कहा है। वामपंथी कुछ भी अनायास नहीं कहते, उनका एक एक शब्द एजेंडा है सोचा समझा होता है।