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क्या शाक्य गणराज्य को कोसलराज विडूडभ के आक्रमण से मिटने देने से बुद्ध रोक सकते थे? जब तीन बार वे ऐसा कर चुके थे तो चौथी बार वे स्वयं विडूडभ के रास्ते से क्यों हट गए थे? अथवा क्या वैशाली के पतन का मार्ग स्वयं बुद्ध ने अजातशत्रु को दिखाया था? क्या महान वैशाली गणराज्य के पतन का कारण उन कूटनीतिक उत्तरों अथवा “डिप्लोमैटिक आंसर्स” को दिया जा सकता है जो प्रश्न सम्राट अजातशत्रु के विश्वासपात्र अमात्य वस्सकार ने तथागत बुद्ध से पूछे और उन्हें उत्तर अप्रत्यक्ष तरीके से अर्थात शिष्य आनंद के माध्यम से प्रदान किया गया? ये प्रश्न अहिंसा पर केंद्रित नहीं थे, ये प्रश्न आत्मा और परमात्मा जैसे जटिल विषयों पर भी नहीं थे बल्कि विशुद्ध युद्ध में होने वाली जय-पराजय को ले कर तथागत का अभिप्राय जानने के लिए थे। इन प्रश्नों पर हम स-विस्तार चर्चा करेंगे तथापि सोचिए कि यदि बुद्ध भी युद्ध पर अपनी राय देते थे, तब ऐसा क्या था कि अशोक के बाद के मौर्य शासकों ने अहिंसा की अलग ही परिभाषा सम्मुख रखी जो किसी राष्ट्र की सुरक्षा को ही दांव पर लगाने के लिए तत्पर थी
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