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Mere Hisse Aai Amma
Lal Qila Kavi Sammelan, Delhi 2007
#बाबू_जी #अम्मा #AalokShrivastav #LalQilaKaviSammelan
घर की बुनियादें दीवारें बामों-दर थे बाबू जी
सबको बाँधे रखने वाला ख़ास हुनर थे बाबू जी
तीन मुहल्लों में उन जैसी कद काठी का कोई न था
अच्छे ख़ासे ऊँचे पूरे क़द्दावर थे बाबू जी
अब तो उस सूने माथे पर कोरेपन की चादर है
अम्मा जी की सारी सजधज सब ज़ेवर थे बाबू जी
भीतर से ख़ालिस जज़बाती और ऊपर से ठेठ पिता
अलग अनूठा अनबूझा सा इक तेवर थे बाबू जी
कभी बड़ा सा हाथ खर्च थे कभी हथेली की सूजन
मेरे मन का आधा साहस आधा डर थे बाबू जी
- आलोक श्रीवास्तव
Aalok Shrivastav - सुपरिचित युवा ग़ज़लकार, कथा-लेखक, समीक्षक और टीवी पत्रकार आलोक श्रीवास्तव के जीवन का बड़ा हिस्सा भारत में मध्यप्रदेश के सांस्कृतिक नगर विदिशा में गुज़रा है. 'रिश्तों का कवि' कहे जाने वाले आलोक की रचनाएं लगभग दो दशक से देश की प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित हो रही हैं. 'राजकमल प्रकाशन दिल्ली' से प्रकाशित उनका पहला ग़ज़ल-संग्रह आमीन सर्वाधिक चर्चित पुस्तकों में रहा और रुस के प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पुश्किन सम्मान सहित, मप्र साहित्य अकादमी के दुष्यंत कुमार पुरस्कार, हेमंत स्मृति कविता सम्मान व ऋतुराज कविता सम्मान जैसे अनेक साहित्यिक पुरस्कारों से नवाज़ा गया. उनकी ग़ज़लों का रूसी के अलावा पंजाबी, गुजराती व अनेक भारतीय भाषाओं में अनुवाद हो रहा है. आलोक ने उर्दू के प्रतिष्ठित शायरों की काव्य-पुस्तकों का हिंदी में महत्वपूर्ण संपादन-कार्य किया है. देश-विदेश के प्रतिष्ठित कवि-सम्मेलनों और मुशायरों में अपने संजीदा और प्रभावपूर्ण ग़ज़ल-पाठ से एक अलग पहचान स्थापित करने वाले आलोक ने टीवी धारावाहिकों और फ़िल्मों के लिए भी लेखन किया है. ग़ज़ल गायक जगजीत सिंह, अहमद हुसैन-मो.हुसैन और प्रख्यात शास्त्रीय गायिका शुभा मुदगल सहित पार्श्व गायक सुरेश वाडकर, कविता कृष्णमूर्ति, उदित नारायण, अलका याज्ञिक, सुखविंदर और शान जैसे अनेक ख्यातनाम फ़नकारों ने आलोक के गीत और ग़ज़लों को अपनी आवाज़ दी है. पेशे से टीवी पत्रकार आलोक इन दिनों दिल्ली में रहते हैं और न्यूज़ चैनल 'आजतक' से जुड़े हैं. आलोक से aalokansh@yahoo.com और +919899033337 पर संपर्क किया जा सकता है.
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