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#भगवद गीता: अध्याय 2, श्लोक 15 #Bhagavad Gita: Chapter 2, Verse 15 with #lyrics @Sulochana Gujiri
यं हि न व्यथयन्त्येते पुरुषं पुरुषर्षभ।
समदुःखसुखं धीरं सोऽमृतत्वाय कल्पते॥15॥
: हे पुरुषो में श्रेष्ठ अर्जुन! जो मनुष्य सुख तथा दुख में विचलित नहीं होता और इन दोनों परिस्थितियों में स्थिर रहता है, वह वास्तव मे मुक्ति का पात्र है। #bhagavad #lyrics #भगवद