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इस वीडियो में डॉक्टर विजेंद्र चौहान ने मशहूर कवि मानव मुक्तिबोध की कविता ब्रह्मराक्षस जो कि चांद का मुंह टेढ़ा है किताब से ली गई है उसका पाठ किया है।मानव मुक्ति बोध की कविता "ब्रह्मराक्षस" मानव स्वभाव और समाज में व्याप्त बुराइयों पर एक गहरा चिंतन प्रस्तुत करती है। यह कविता ब्राह्मराक्षस के रूप में उन व्यक्तियों और समाज की मानसिकता को चित्रित करती है, जो स्वयं को विद्वान और उच्च मानते हैं, लेकिन उनके आचरण और विचारधारा में अमानवीयता और पाखंड भरा होता है।
"ब्रह्मराक्षस" एक ऐसी सशक्त कविता है जो इस तथ्य को उजागर करती है कि ज्ञान और विद्वता का दुरुपयोग कैसे समाज के लिए विनाशकारी हो सकता है। कवि ने ब्राह्मराक्षस को एक प्रतीक के रूप में उपयोग किया है, जो समाज के उस वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है जो धर्म, नीति और ज्ञान का मुखौटा ओढ़े हुए है, लेकिन उसके अंदर क्रूरता, लालच और अनैतिकता भरी हुई है।
इस कविता में कवि ने ब्राह्मराक्षस के चरित्र के माध्यम से यह दिखाने की कोशिश की है कि कैसे एक व्यक्ति या समाज जो स्वयं को महान और पवित्र मानता है, अपने कर्मों और व्यवहार में राक्षसी प्रवृत्तियों को प्रदर्शित करता है। यह कविता एक चेतावनी के रूप में भी कार्य करती है कि वास्तविक ज्ञान और विद्वता वही है जो मानवता और नैतिकता के साथ हो, न कि केवल बाहरी दिखावे और शब्दों में।
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