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महाभारत जैसा बड़ा युद्ध यदि हुआ है तो उसके प्रमाण भी होने चाहिये? हमारे पास इस संबंध में साहित्यिक साक्ष्यों की कोई कमी नहीं, क्या कोई पुरातात्विक साक्ष्य भी है? इतिहास की पुस्तकों में हम हड़प्पा संस्कृति पढ़ते है फिर गहरा अंधकार युग आ जाता है जिसके विषय में मौन पसरा हुआ है। यह मौन सीधे टूटता है 600 वर्ष ईसापूर्व अर्थात बुद्ध के कालखण्ड में। क्या महाभारत के साक्ष्य इसी अंधकार युग की दीवार को गढ़ कर उसके भीतर चिनवा दिए गए हैं? इसे देखते हुए आज बात करते हैं, एक शोध पत्र की जिसके शीर्षक का हिन्दी अनुवाद है - “कालीबंगा की मुहरों के माध्यम से महाभारत का तिथि निर्धारण एवं इस युद्ध में आर्यों की भूमिका”; यह शोधपत्र है डॉ. रंजीत पाल का जोकि भण्डारकर ऑरोयानटल रिसर्च इंस्टिट्यूट, पुणे से सम्बद्ध हैं। इस शोधपत्र में क्या है तथा शोधकर्ता के निष्कर्ष क्या हैं इसपर आज स-विस्तार चर्चा होगी इसके साथ ही हम विषय को अन्य विविध दृष्टिकोणों और संदर्भों से भी जानने का प्रयास करेंगे।