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भोजपुरी क्षेत्रों में सिनेमाघर बंद हो चुके हैं। लोगों के पास मनोरंजन का कोई ज़रिया नहीं है। यू-ट्यूब पर भोजपुरी गानों को अरबों-खरबों व्यूज़ मिल रहे हैं। इनकी लोकप्रियता किसी भी भाषा के मनोरंजन क्षेत्र को कड़ी टक्कर दे रही है, बल्कि उससे आगे हैं। मगर इन गानों को लेकर बात होनी चाहिए। इस बहस को केवल अश्लीलता का तमगा नहीं लगाया जा सकता। स्त्री के देह पर जिस तरह से मर्दों का निर्बाध अधिकार का माहौल बनता है, उसका चित्रण एक औरत को हमेशा ही कमज़ोर करता है। भोजपुरी गानों के बोल से लेकर कैमरा एंगल को देखा जाना चाहिए और बहस होनी चाहिए कि भोजपुरी गाने इसके चंगुल से निकल क्यों नहीं पा रहे हैं।