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निर्मला अपने बच्चे को खोने के बाद दुःखी होती है तो वो अपनी माँ को भी उनकी ग़लतियों के बारे में समझाती है। मंजुला दीनानाथ की मदद करती है तो दीनानाथ उसे अपने मदद करने से मना कर देता है दीनानाथ के पास में एक मरीज़ की तबियत ख़राब हो जाती है और वो मरने से पहले दीनानाथ को कहता है मंजुला की कोशिश को व्यर्थ ना गवाए और जीने की कोशिश करे मौत की ओर मत जाए। द्वरिकानाथ को कुलकरनी जेल से रिहा करवा लेता है। रामलाल की आँखों का ऑपरेशन हो जाता है। लेकिन उसकी आँखों कि रोशनी वापस नहीं आती।