🙏 *राम राम कहि राम कहि राम राम कहि राम - और राम राम कहते हुए राम के पिता ने भी त्यागे प्राण - फिर राम गयो रावण गयो जाको बहु परिवार- कहे नानक स्थिर कछु नहीं सपनेहु ज्यों संसार- ज्यों सपने में भी काटे सिर कोई - तो बिना जागे दुःख दूर ना होई - लेकिन बिन सत्संग विवेक ना होई..कि जो राम दशरथ के बेटे हुए हैं - वही राम घट - घट में लेटे हुए हैं.. राम राम कहि राम कहि..*✍️