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उत्तराखंड में #पांडव_निर्त्य आस्था और #पौराणिक_धरोहर जो #हमारे_पूर्वजों द्वारा संजोय गए थे आज भी आपको #पहाड़ों में देखने को मिलेगी ऐसी #पुरानी_धरोहर से जुड़ी #पांडव_लीला जिसे #पहाड़ों_में_पण्डवार्थ कहा जाता है वह आज भी #पहाड़ों में होती है और ऐसी #आस्था_से_जुड़ी_पांडव_लीला का आयोजन #ग्राम_सभा_ढुंग_धार_गांव #हिंदाव पट्टी #घनसाली #टिहरी_गढ़वाल के #उत्तराखंड में 30 दिसंबर 2024 से 16 जनवरी 2025 तक हुआ। यहाँ पांडव लीला 18 दिन तक चली । पहले दिन सभी #पांडव_पस्वा #एकत्रित हुए और इस #निर्त्य को आगे बढ़ाया जिसमें #सभी_ग्राम_वासियों ने अपना साथ दिया। और पांडव लीला के 15 वे दिन पया की डाल को सबसे पहले #नागराज_मंदिर में लाया गया वहां #पांडव_पस्वो ने प्रसाद ग्रहण किया और उसके बाद #बड़यार_गांव और #घंटाकरण _देवता के स्थान पर ले जाया गया । उसके बाद पया के डाल को #कटेश्वर_महादेव जी के मंदिर में ले जाया गया जहां सभी पांडव पस्वा ने कटेश्वर महादेव की परिक्रमा की और कटेश्वर महादेव जी का आशीर्वाद लिया उसके बाद धार गांव में स्थित #नगेला_देवता के #चौक पर लाया गया।
और आखिर में पया के दाल को पांडव लीला के #भंडार_प्रांगण में लाया गया तथा पूरी रात अनेकों कार्यक्रम का आयोजन किया गया जैसे कि #कुख्यात_भेलों द्वारा हल जोतना और सुबह के समय में #खेतों_को_खेतवाडिया और #अर्जुन_गेंडे_का_युद्ध और #डाल_का_पूजन का कार्यक्रम किया गया। अंत में नारायण भगवान ने सभी को #डाल_तोड़कर_सबको_अपना_आशीर्वाद दिया । जितने भी लोगों ने इस कार्यक्रम में अपना दान दिया उन सभी पर #भगवान_नारायण की कृपा बनी रहे अंत में बोलो #जय_नारायण भगवान जय हो #पंचनामा_देवताओं_की ।
#पांडव_निर्त्य_आस्था_और_पौराणिक_धरोहर हमारे #पूर्वजों द्वारा संजोय गए थे #ग्राम_सभा_ढुंग #टिहरी_गढ़वाल
#अर्जुन_और_गेंडा_के_बीच_हुआ_रथ_युद्ध
#पवित्र_और_पौराणिक_नृत्य #धारगांव #द्वापर_युग
#पांडव_नृत्य_उत्तराखंड राज्य का एक प्रमुख लोकनृत्य के रूप में जाना जाता है। यह नृत्य #महाभारत में #पांच_पांडवों के जीवन से सम्बंधित है। पांडव नृत्य के बारे में हर वो व्यक्ति जानता है, जिसने अपना जीवन #उत्तराखंड की सुंदर वादियों, अनेको #रीति_रिवाजों,सुंदर परम्पराओं के बीच बिताया हो। पांडव नृत्य के माध्यम से पांच पांडवों व द्रोपदी की पूजा अर्चना करने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है।उत्तराखंड को पांडवो की धरा भी कहा जाता है। इसमें लोग#वाद्य_यंत्रों_की_थाप और #धुनों पर #नृत्य करते हैं। मुख्यतः जिन स्थानों पर पांडव अस्त्र छोड़ गए थे वहां #पांडव_नृत्य का आयोजन होता है।
यह चैनल #गढ़वाली_सांस्कृतिक का वर्णन करता है। इस चैनल में आपको गढ़वाल की परम्परा के बारे में जानकारी मिलेगी । इसके अलावा, यह गढ़वाली लोगों के बारे में बताता है कि वे अपनी खुशी का जश्न कैसे मनाते हैं और दूसरी खुशी में भी शामिल होते हैं ! दोस्तों आपसे अनुरोध हे की इस चैनल को ज्यादा से ज्यादा शेयर, लाइक और सब्सक्राइब करें ! आप अपनी राय भी मुझे दे सकते हैं उसके लिए आप ईमेल के जरिये या फेसबुक पेज के जरिये मेरे साथ जुड़ सकते हैं. धन्यवाद !
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/ shivdev.singh
#अर्जुन_और_गेंडा_के_बीच_हुआ_रथ_युद्ध -www.instagram....
नारायण भगवान जय हो पंचनामा देवताओं
/ 1b1uxk9cmz
आज #धारगांव #हिंदाव #पांडव_नृत्य का समापन हुआ।
/ 18mywwqqav
#खेती_कु_खेत्रपाल की पूजा करते हुए पांडव | #खेती_कु_खातोलडिया |
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#पांडव_नृत्य_ढूंग_धारगांव
#पाण्डव_सेरा (#Pandava_Sera) में आज भी #पांडवों के #अस्त्र_शस्त्र पूजे जाते हैं, जबकि #द्वापर_युग में पांडवों की ओर से रोपित धान की फसल आज भी अपने आप उगती है तथा धान की फसल उगने के बाद धरती के आंचल में समा जाती है. यहां #पांडवों_द्वारा_निर्मित_सिंचाई गूल आज भी #पांडवों_के_हिमालय_आगमन की साक्ष्य है और #सिंचाई गूल देखकर ऐसा आभास होता है कि गूल का निर्माण सिंचाई के मानकों के अनुरूप किया गया है.
#लोक_मान्यताओं के अनुसार #केदारनाथ_धाम में जब #पांचों_पाण्डवों को #भगवान_शंकर के पृष्ठ भाग के दर्शन हुए तो पाण्डवों ने #द्रौपदी सहित #मदमहेश्वर_धाम होते हुए मोक्षधाम बदरीनाथ के लिए गमन किया. मदमहेश्वर धाम में पांचों पाण्डवों के अपने पूर्वजों के #तर्पण करने के साक्ष्य आज भी एक #शिला पर मौजूद हैं. #मदमहेश्वर_धाम से #बद्रीका_आश्रम गमन करने पर #पांचों_पाण्डवों ने कुछ समय #पाण्डव_सेरा में प्रवास किया तो यह स्थान पाण्डव सेरा के नाम से विख्यात हुआ. #पाण्डव_सेरा में आज भी पाण्डवों के अस्त्र-शस्त्र पूजे जाते हैं तथा पाण्डवों द्वारा सिंचित धान की फसल आज भी अपने आप उगती है और पकने के बाद धरती के आंचल में समा जाती है. पाण्डव सेरा में पाण्डवों द्वारा निर्मित सिंचाई नहर विद्यमान है तथा सिंचाई नहर में जल प्रवाह निरन्तर होता रहता है. पाण्डव सेरा से लगभग 5 किमी की दूरी पर स्थित नन्दीकुण्ड में स्नान करने से मानव का अन्तः करण शुद्ध हो जाता है.
#गीता में #भगवान_श्रीकृष्ण ने कहा है कि 'जब-जब धर्म की हानि होने लगती है और #अधर्म बढ़ने लगता है, तब-तब मैं स्वयं की रचना करता हूं। #मानव_की_रक्षा, #दुष्टों_के_विनाश और #धर्म_की_पुनः_स्थापना के लिए मैं अलग-अलग #युगों में अवतरित होता हूं'। उसी का प्रतीक है ये #पया_की_डाल। आज #धारगांव #हिंदाव #पांडव_नृत्य का समापन हुआ।
#पांडव_नृत्य_ढूंग_धारगांव
#ढुंग_ग्यारह_गांव
#पवित्र_और_पौराणिक_नृत्य
#कलयुग_का_अंत #कलयुग में #भगवान_विष्णु का दसवां अवतार होगा, जिसका नाम होगा #कल्कि
#द्वापर_युग
#पया_की_डाल
#पवित्र_और_पौराणिक_नृत्य
#पांडव_नृत्य_ढूंग_धारगांव
#दुष्टों_के_विनाश