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"राजस्थान दिवस"
माथे ,"राजस्थानी भाषा"
री एक छोटी सी कविता लिखणे रो प्रयास करयो हूं ज्यो आप सब लोग इण कविता ने देखो और सुणो अर जितरी हो सके इणने ज्यादा स्यू ज्यादा शेयर करो।
राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर स्यू एक पोथी जागती जोत निकल्या करें है जिण रे माय आ कविता आज स्यू पन्द्रह बरस पेल्या छपी ही जिणने मंच माथे नि बोल पायों हो।
आज रो दिन कुछ खास है इन खातिर आ कविता आप सगळा राजस्थानी लोगा रे वास्ते पुरुषण को प्रयास करयो हूं इण कविता ये माय राजस्थान री कुछ अंश का भी अंश की वातारो बताण रो प्रयास करी ज्यो गीयो है। राजस्थानी भाषा बड़ी लूठी भाषा है और इनमें लूटा र अनूठा साहित्यकार भरिया पडया है।
राजस्थानी भाषा के साहित्य की हम जितनी महिमा करेंगे उतना ही कम होगा क्योंकि यहां पर पग पग पर अनगिनत शोर्य, प्रेम, राग अनुराग ,अपनत्व, त्याग तपस्या से भरा पड़ा है राजस्थान का साहित्य अगर पूरे हिंदुस्तान के साहित्य में से निकाल दिया जाए तो साहित्य अधूरा सा लगने लग जाएगा।
राजस्थानी भाषा का साहित्य सबसे बड़ा साहित्य माना जाता है इसका शब्दकोश 218000 शब्दों का सबसे बड़ा शब्दकोश है वह इसकी अनगिनत कथाएं ऐसी है जो साहित्य को और प्रगाढ़ता देती है ।
अभी केवल इस कविता में कुछ बातें जोकि ना के बराबर है लिखने का प्रयास किया है आप सुने आनंद लें आप सभी को राजस्थान दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं सभी राजस्थानी वह जो राजस्थान के बाहर संपूर्ण भारत में और विदेशों में अपने राजस्थान के गौरव को बढ़ा रहे हैं उन सभी को बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं ।
जय राजस्थान
जय राजस्थानी
जय हिंद जय भारत।।