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प्यार -प्रेम-प्रिती और तृतीय ध्यान क्या है
कौनसी से प्रिती सुगती होगी
कौनसी प्रिती से दुर्गति होगी
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सभी ब्रम्हांड की, सुक्ष्म एवं स्थुल वस्तुपदार्थ-जड़, एवं, सुक्ष्म,मनोमय सत्वके धातु का विभिन्न से विभाजन करके विस्तार से अपना अस्तित्व, एवं,वास्तविकताको, चार पटीससम्भिदा, एवं चार आर्य सत्य का ज्ञान से, चित्त,चैतसीक,रुप, एवं,निब्बाण प्रकाशित करना ही विभज्यवाद है ।
यह संसारके सभी वाद से विभज्यवाद, अपनी योग्यता श्रेष्ठ प्रकाशित करता है इस अर्थसे प्रज्ञावान जानते हैं ।
विभिन्न घटनाओं का विभिन्नकलापोंका-चित्तकलाप-रुपकलाप-आहरकलाप-ऋतुजकलाप-कर्मजकलापका-अन्यसमय, अन्यसमान, अनभिज्ञतया से को प्रकाशित करना विभज्यवाद है।
जो विभज्यवाद की प्रशंसा करता है एवं, स्वीकार करता है ,तो संसारके प्रती या अपने अस्तित्व के प्रति वास्तविकता के लिये, आत्मवाद एवं आत्मावाद ,नित्यवाद, एवं, शास्तावाद का अपने आप खंडन हो, जाता है।
यह सभी समझने के लिए पुज्य भंते बार-बार धम्म की व्याख्या और दृष्टि को प्रकाशित किया है The Vibhajjavad KZbin channel के अबतक के प्रकाशित विडियो और आने वाले के लिए।
/ @thevibhajjavad
फिर तथागत की शिक्षा क्रमशः कैसे है यह भी प्रकाशित किया है और यहा अमार्ग कहा है और मार्ग कब और कौन साक्षात्कार कर सकता है यह भी प्रमाणित किया है बुद्ध वाणी से।
तथागत का वचन ज्ञान गंभीर होंने से प्रज्ञापुर्वक ही जान सकते हैं।जहा शील, ध्यान समाधि और तथागत उपदिष्ट धम्म विपस्सना को भी प्रकाशित किया है उसके निमित्त से और किसके लिए है यह भी बताया है।
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