समष्टि अर्थशास्त्र विकास के चरण | development of macroeconomics | ugc net | ukpsc | up pgt economics

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समष्टि अर्थशास्त्र के विकास के चरण (Steps of Development of Macroeconomics)
1. वाणिकवाद (Mercantilism):- यह नीति विशेष रूप से 16वीं से 18वीं शताब्दी के बीच ग्रेट ब्रिटेन और फ्रांस जैसी यूरोपीय शक्तियों द्वारा अपनाई गई। वाणिकवादएक आर्थिक नीति थी जिसमें देशों ने अपने व्यापार संतुलन को अनुकूल बनाए रखने के लिए निर्यात को अधिकतम और आयात को न्यूनतम करने पर ध्यान केंद्रित किया। इसका मुख्य उद्देश्य सोना, चाँदी और अन्य बहुमूल्य धातुओं का संचय करना और सैन्य व राजनीतिक शक्ति को मजबूत बनाना था। सरकार की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका थी, क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को नियंत्रित करने के लिए टैरिफ (शुल्क) लगाए जाते थे। प्रमुख विचारक: थॉमस मुन (Thomas Mun), जीन बैप्टिस्ट कोलबर्ट (Jean-Baptiste Colbert)।
2. प्रकृतिवाद(Physiocracy): 18वीं शताब्दी में फ्रांसीसी फ़िज़ियोक्रेट्स ने "लेसे फेयर" (Laissez-faire) सिद्धांत विकसित किया, जिसमें व्यक्तिगत स्वतंत्रता, आत्म-हित और अदृश्य हाथ (Invisible hand) की अवधारणा पर बल दिया गया।वे कम टैरिफ और मुक्त व्यापार के समर्थक थे।सरकार को शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, कानून और व्यवस्था जैसी सार्वजनिक सेवाओं पर ध्यान देना चाहिए। फ़िज़ियोक्रेट्स का मानना था कि कृषि ही अधिशेष (surplus) का मुख्य स्रोत है। जनसंख्या वृद्धि और एकल कर प्रणाली (Single tax system) को समर्थन मिला। प्रमुख विचारक: फ्रैंकोइस क्यूने (François Quesnay), ऐन तुर्गोट (Anne Turgot)।
3. शास्त्रीय अर्थशास्त्री (Classical Economists) प्रमुख शास्त्रीय अर्थशास्त्रियों में एडम स्मिथ, माल्थस, डेविड रिकार्डो और जे.बी. से शामिल थे। 18वीं और 19वीं शताब्दी में शास्त्रीय अर्थशास्त्रियों का प्रभाव था। यह "आपूर्ति पक्ष" (Supply Side) की अर्थव्यवस्था पर केंद्रित था। शास्त्रीय सिद्धांत के अनुसार, पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में पूर्ण रोजगार एक सामान्य स्थिति होती है और बेरोजगारी एक अस्थायी समस्या होती है। सै की बाज़ार की विधि (Say's Law of Market) के अनुसार, "आपूर्ति अपनी स्वयं की मांग उत्पन्न करती है।" सरकारी हस्तक्षेप की कम भूमिका मानी जाती थी, जिससे बाज़ार स्वाभाविक रूप से स्थिर रहता है। मजदूरी, कीमत और ब्याज दरों में समायोजन से बाज़ार संतुलन में बना रहता है।
4. कीनेसियन अर्थशास्त्र (Keynesian Economics):- मैक्रोइकॉनॉमिक्स को 1929 की महामंदी (Great Depression) के बाद लोकप्रियता मिली। कीनेसियन अर्थशास्त्र "मांग पक्ष" (Demand Side) के सिद्धांत पर आधारित है। जे.एम. कीन्स ने अपनी पुस्तक "The General Theory of Employment, Interest, and Money" (1936) में शास्त्रीय सिद्धांतों की आलोचना की और आधुनिक मैक्रोइकॉनॉमिक्स की नींव रखी। कीन्स का मानना था कि बेरोजगारी एक सामान्य स्थिति है, जिसका मुख्य कारण कुल माँग (aggregate demand) में कमी है। बेरोजगारी दूर करने के लिए कुल माँग को बढ़ाना आवश्यक है कीन्स के अनुसार, सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण होती है, और आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए सरकारी हस्तक्षेप आवश्यक है।
5. मौद्रिकवाद (Monetarism) या नवशास्त्रीय सिद्धांत - मिल्टन फ्राइडमैन
यह सिद्धांत शास्त्रीय अर्थशास्त्र की तरह इस धारणा पर आधारित है कि सरकार के हस्तक्षेप से आर्थिक संतुलन स्थापित नहीं किया जा सकता। मौद्रिक सिद्धांत के अनुसार, मुद्रा की गति (Velocity of Money) स्थिर होती है और मुद्रा आपूर्ति में परिवर्तन से कुल माँग सीधे प्रभावित होती है। अल्पकाल में मुद्रा आपूर्ति बढ़ने से उत्पादन और रोजगार में वृद्धि होती है, लेकिन दीर्घकाल में यह केवल मुद्रास्फीति (Inflation) को बढ़ाती है। इस सिद्धांत में मौद्रिक नीति (Monetary Policy) को वित्तीय नीति (Fiscal Policy) की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण माना गया है।
6. युक्तिसंगत अपेक्षा सिद्धांत (Rational Expectation Theory) - रॉबर्ट लुक
1970 के दशक में विकसित देशों में "स्टैगफ्लेशन" (Stagflation) की स्थिति उत्पन्न हुई, जहाँ मुद्रास्फीति बढ़ रही थी और बेरोजगारी भी बढ़ रही थी। लुकास ने तर्क दिया कि लोग सरकारी नीतियों के प्रभाव का सही आकलन करते हैं और इस तरह की नीतियों को अप्रभावी बना देते हैं। यह सिद्धांत बताता है कि सरकारी हस्तक्षेप के बजाय बाज़ार को स्वयं समायोजन करने देना चाहिए।
7. नव-कीनेसियन अर्थशास्त्र (New Keynesian Economics):
बाज़ार में अक्षमताएँ (Market Inefficiencies) मौजूद होती हैं। चिपचिपी मजदूरी" (Sticky Wages) और अपूर्ण प्रतिस्पर्धा (Imperfect Competition) के कारण बेरोजगारी बनी रहती है सरकारी नीति (Government Policy) आवश्यक मानी गई, खासकर मौद्रिक नीति (Monetary Policy)।
consumer equilibrium | utility analysis | law of equ- marginal utility

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