प्रिय अंजुम, बहुत बहुत धन्यवाद 😊 हिन्दी साहित्यिकों के साक्षात्कार की यह शृंखला इस समय की बड़ी और गहरी ज़रूरत थी😊 हिन्दवी समूह को धन्यवाद 😊
@mamta-kalia Жыл бұрын
बहुत सार्थक वार्तालाप।नरेश सक्सेना जितने सहज अपने लेखन में हैं उतने सहज सम्प्रेषण में भी है।पेड़ कटने के प्रसंग से मुझे इलाहाबाद में अपने आँगन का विशाल पेड़ कटने के अनुभव याद आ गया।
@user-bindusingh Жыл бұрын
शुक्रिया हिन्दवी मेरी ज्ञान पिपासा की तृप्ति के लिए।
@vikramadityajha8924Ай бұрын
साक्षात्कार का स्तर काफी अच्छा और धाराप्रवाह है। लेखन में अंतर हो सकता है लेकिन ज्ञान में कोई अंतर नहीं है
@avagallery6599 Жыл бұрын
नरेश सर को उनके जन्मदिवस पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं 🙏
@shefalikasinha290522 күн бұрын
बहुत ही सुन्दर और प्रेरक ,उनकी कविताओं की तरह🙏
@vikramadityajha8924Ай бұрын
धन्यवाद अंजुम जी
@nachiketachoubey281529 күн бұрын
Is samvad ko sunkar nishabda hun main vah vah vah dhanyawad Anjum aur hindwi
@bhartiyadav91339 ай бұрын
नरेश जी की कविताए, आत्मा को झकझोर देती हैं!साहित्य के इतने मूर्धन्य कवि को हृदय से प्रणाम!🙏
@swapnilsrivastava46252 жыл бұрын
नरेश जी कविता का जीवन जिया है ,वे सरापा कवि है । कविता के बारे में उन्होंने महत्वपूर्ण बात कही है मसलन यह कि कविता को बोलचाल की भाषा मे लिखनी चाहिए ,कविता में सम्वेदना की उपस्थिति होनी चाहिए । जीवन और कविता के सम्बंध में बहुत अच्छी बातचीत
@श्रद्धासुनील2 жыл бұрын
नरेश जी मेरे प्रिय सम्माननीय व्यक्तित्व हैं अशेष शुभकामनाएं ।।
@manojrupda Жыл бұрын
बहुत दिलचस्प और एहसासमंद लेखक हैं नरेश जी । वे दरजे बनाते हुए गहराई में जाते हैं ।
@lakshmipriyasworld14 Жыл бұрын
वाह वाह वाह, बहुत अच्छा, सीधा, सपाट बयानी साक्षात्कार, बहुत कुछ सिखाती हुई, सोचने को प्रेरित करती, नरेश जी आपको नमन और अंजुम जी, आपको हार्दिक शुभकामनाएं
@TheThirdperspective32 жыл бұрын
खासकर युवाओं में कविता को लेकर उत्साह और नयापन लेकर आए कवि नरेश सक्सेना हमारे आदर्श ❤️🙏🌻
@chandrakantavishin3332 Жыл бұрын
सरल सहज अर्थगर्भित भाषा में धारदार कविता के लेखक को नमस्कार! उतने ही सहज प्रश्न पूछ कर लेखक के व्यक्तित्व और कृतित्व से पाठक को परिचित कराना अंजुम बख़ूबी जानते हैं ! मेरी शुभकामनाएँ!
@PoojaSingh-qx2qt8 ай бұрын
मै खुश नसीब की उनसे मिलना हुआ था उनकी बांसुरी भी सुनने का सौभाग्य मिला था ।मगर इस बहुत सुन्दर साक्षात्कार से उन्हें और बेहतर जान सकी।
@pragatitipnis2 жыл бұрын
नरेश जी का हर एक शब्द कितना कुछ सिखा जाता है और उनको सुनते समय वक़्त का पता ही नहीं चलता। अंजुम जी आपने बहुत ही सधे हुए तरीक़े से इस साक्षात्कार को दिशा-निर्देश दिया। यह साक्षात्कार बिलकुल वासंती हवा की तरह मनभावन लगा।
@harishsamyak24132 жыл бұрын
आत्मा को तृप्त करने वाला साक्षात्कार,नरेश जी ने वाकई बांध कर रख लिया ।
@maheshpunetha55222 жыл бұрын
एक और शानदार बातचीत
@govindsen2693 Жыл бұрын
बहुत बढ़िया अंजुमजी.अच्छे सवालऔर सच्चे जवाब.एक बार सुनने देखने से मन भरने वाला नहीं. इस बहाने 'गिरना' 'पुल' कविताएँ फिर याद हो आईं. बहुत बधाई
@drashishkumarmishra Жыл бұрын
कितना सुंदर और सौम्य बातचीत का कवि। सुंदर बतरस।
@MukeshKumar-up9mu Жыл бұрын
अंजुम जी का बहुत-बहुत धन्यवाद महान व्यक्तित्व से हमको रूबरू कराया। 🌹🙏🌹
@dr.chaitalisinha6352 Жыл бұрын
पहली बार बहुत शिद्दत से किसी कवि को सुन रही हूं । बहुत सुंदर बहुत सुंदर कविताएं। ओह उतनी ही मार्मिक, सच में गला रुंध गया sir, बहुत बेहतरीन और सच्चे कवि हैं आप। इस दिखावे की दुनिया से इतर आपकी कविताएं यथार्थ के बहुत निकट है। सादर प्रणाम sir 🙏🙏 अंजुम शर्मा जी आपके प्रश्न भी बहुत अच्छे हैं। साधुवाद।
@Hindwi Жыл бұрын
धन्यवाद।
@deepakgkp89112 жыл бұрын
वाह! अभी तक सबसे ज्यादा आनंद इसी एपीसोड में आया। नये कवियों/लेखकों को यह इंटरव्यू जरूर देखना और समझना चाहिए।
@ramji.tiwari71 Жыл бұрын
सुंदर प्रस्तुति। शुक्रिया अंजुम अभी हम लोगों ने कुछ समय पहले अपनी पत्रिका "संकल्प-सृजन" में नरेश जी का साक्षात्कार छापा था। यहां और भी कुछ अधिक जानने को मिला।
@kumaranand_in Жыл бұрын
शुक्रिया हिंदवी इस अलौकिक कार्य के लिए ♥🙏
@Dp30-e1q11 ай бұрын
नरेश जी की बातें सहज होते हुए भी कविता के रहस्य को खोलती हैं।
@akshayaashiya86272 жыл бұрын
अब तक का सबसे बढ़िया इंटरव्यू।
@sachinsanake54711 ай бұрын
Bahut hi sundar.....Mahanubhav!!
@Sardar_Mureed2 жыл бұрын
ज़ेहन में सबसे पहला थॉट तुम्हारा था यार वो फ़िल्म का सीन ही इतना प्यारा था ख़ाली वक्त में पेड़ लगाया करता था जंगल में इक ऐसा लक्कड़हारा था _सरदार मुरीद मेरे ये अशआर नरेश जी के नाम 🙏🙏
@hirendrasinghstorys9538 Жыл бұрын
ज़ेहन में सबसे पहला थाट... किसका लिखा हुआ है... यह लिखने वाले की जानकारी कैसे मिले एक विमर्श के लिए
@priyanka46012 жыл бұрын
नरेश जी कि सरलता भा गई।
@nasiryusufzai6662 Жыл бұрын
बहुत ख़ूब
@surenderbhutani3470 Жыл бұрын
A very impressive writer. I have learnt a lot from this interview. Dr Surender Bhutani in Warsaw (Poland)
@kooks1730 Жыл бұрын
कविता को लेकर अद्वितीय साक्षात्कार
@sahityambar Жыл бұрын
कविताओं के साथ व्यवहार के भी बहुत अच्छे हैं सर
@vikramadityajha8924Ай бұрын
अब लगता है जीवन में पूल ज्यादा पार किया, शायद नदी को पार ही नहीं किया, हां कभी उधर ध्यान ही नहीं गया
@Ravi_Raahgeer.2 жыл бұрын
बहुत सुंदर बातचीत, बहुत अच्छा लगा नरेश जी सुनकर 🙂
@vikramadityajha8924Ай бұрын
Science, maths and Kavita mai bhi kuch gahri samandh hai.
@pratimapreet4232 Жыл бұрын
ये इंटरव्यू थोड़ा और लंबा होता तो कितना अच्छा होता 💞
@anupkidak2 жыл бұрын
बहुत अच्छा साक्षात्कार।
@PhiloUniverse952 жыл бұрын
बहुत अच्छा लगा।
@premchandbansal2759 Жыл бұрын
एक सतही और निराशाजनक बातचीत l बेहद साधारण बातें जो सब पहले से जानते हैं l वही वही लाइनें - पुल पार करने से नदी पार नहीं होती l यह लाइन वे कितनी बार दोहरायेंगे भाई ?
@dingdong2605 Жыл бұрын
🙏✍👏
@thegautamamit Жыл бұрын
Dhanyawad
@abhisheksrivastava563310 ай бұрын
❤️
@Ravi_Raahgeer.2 жыл бұрын
💞
@vivek91262 жыл бұрын
Interview kaafi acha liya gaya, but ek personal opinion hai, hum galat ho sakte hain, interviewer thode aur respectfully kuch sawaal pooch sakte they...kuch conversations mein calm tone aur behtar shabd istemal kar sakte they...interviewer apna star banaye rakhein...bahut achha aur zaroori prayog hai ye...
@brooklynbiharn2 жыл бұрын
शुक्रिया इसके लिए। रमा सिंह के मुख्तक (?) कहाँ पढ़ने को मिलेंगे? और मुख्तक किसे कहते है? नरेश जी ने कला और ज्ञान के बीच के सम्बद्ध को बहुत ही सरल और सूक्ष्म तरीके से समझाया हैं।
@vandanamishra764717 күн бұрын
मुक्तक छोटी कविताएँ 4 से 6 पंक्तियाँ
@theschoolofwisdom86612 жыл бұрын
मौलिक हैं नरेश जी
@amarnathjh48262 жыл бұрын
सार्थक बातचीत
@deshrajmaher51102 жыл бұрын
Only thanks
@Rohitarmaan2 жыл бұрын
❤❤
@PoojaPatel-gy5jm Жыл бұрын
सर गर्ग जी/ममता कालिया/नासिर शर्मा जी लाइव वीडियो दिखा दिजिए सर ओ लोग साहित्य में अच्छा बोलती हैं 😊
@PhiloUniverse952 жыл бұрын
क्या ज्ञानेंद्रपति को भी सुनना मिलेगा?
@ghanshyambharti8723 Жыл бұрын
सर मैं भी आपको गुरु मानते हैं, मुझे अपने साथ रख लो मैं आपके चरणों में अपना जीवन बिता दूगां 🙏🏾🙏🏾🙏🏾
@varsharajauria51872 жыл бұрын
🙏
@mukesh.burnwal Жыл бұрын
मैंने गूगल पर बहुत खोजा पर विजया जी के बारे में कुछ नहीं मिला। क्या नरेश जी ने उदय प्रकाश की कविता की तरह विजया जी को अपने प्रेम में दूध में मिश्री की तरह घुला दिया क्या
@nachiketachoubey281529 күн бұрын
Sarvshresth samvad sarvottam kavi
@abhisheksrivastava563310 ай бұрын
कविता की शर्त क्या है? 22:43 कविता की संरचना और पाठ 37:22
@sureshkumardudi97175 ай бұрын
51:17
@bharatvassee237 Жыл бұрын
Interviewer seem to hate Naresh ji for his stark and poignant views in the Indian Caste System, sharma ko sharam aanaa chaahiye!! He was not able to hide his true feelings when avoiding the mentions of the malignant ills of the Varna Vyavastha / Jaativaad / Caste Order. What was forgotten here is that Camera is a merciless medium and true feelings will ALWAYS be exposed. It was Naresh Ji composed and calm manner in which he responded to even the most silly and non sense questions is commendable. Kaafi $utiaa interviewer hai ye toh.
@the_invincible-yh3uf Жыл бұрын
ब्राह्मणोत्पत्तीमार्तण्ड ‘ ग्रंथ जो ब्राह्मणों की जगत प्रसिद्ध पुस्तक है उसके लेखक पं.हरिकृष्ण शास्त्री जी थे। यह पुस्तक लगभग 100 वर्ष पुरानी है। जिसमें समस्त विश्व के मुख्य ब्राह्मणों का उल्लेख है उसमें पृष्ठ ५६२ - ५६८ तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों का उल्लेख ‘ अथ पांचालब्राह्मणोंत्पत्ती प्रकरण ‘ बताकर दिया गया है। जिसमें शिल्प कर्म करने वाली पांचों शिल्पी उपजातियों जिसमें लौहकार(लोहार) , काष्टकार(बढ़ई), ताम्रकार, शिल्पकार औऱ स्वर्णकार को ब्राह्मण मानकर उन्हें ब्राह्मणों के प्रमुख कर्म षटकर्म एवं अन्य ब्राह्मण कर्मो के करने का अधिकारी कहा गया है। ब्राह्मण विद्वान पं.ज्वालाप्रसाद मिश्र ने अपनी पुस्तक ‘ जाति भास्कर ‘ के पृष्ठ २०३-२०७ में शिल्पकर्म को ब्राह्मणों कर्म मानते हुये एवं विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों को ब्राह्मण जाति कुल का स्वीकार करते हुये उन्हें षटकर्म अर्थात यज्ञ करना , यज्ञ कराना , वेद पढ़ना , वेद पढ़ाना , दान देना औऱ दान लेने के अधिकार के साथ अन्य ब्राह्मणों के कर्म करने का अधिकारी माना है। ‘ब्राह्मणवंशेतिवृत्तम’ नामक प्रसिद्ध पुस्तक जिसके लेखक वेदरत्न पं.परशुराम शास्त्री विद्यासागर थे। जिसमें मुख्य ब्राह्मणों का प्राचीन एवं अर्वाचीन इतिहास का उल्लेख है। इसमें भी विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को मूलरूप से ब्राह्मण माना गया है। आप लोग इसमें जांगिड़ ब्राह्मण (विश्वकर्मा ब्राह्मण) का विस्तृत परीचय पृष्ठ 116 से 130 में हैं इसे पढ़ सकते हैं। इसी प्रसिद्ध पुस्तक में पृष्ठ 182 से 186 के बीच शिल्प कर्म करने वाले मत्स्य पुराण के अनुसार 18 शिल्पकर्म के उपदेशक ऋषि ब्राह्मणों का भी उल्लेख है। त्वष्टा विश्वकर्मा अर्थात देवों के आचार्य देवशिल्पी विश्वकर्मा का भी विस्तृत परिचय है। साथ ही इसमें वैदिक शिल्पी ब्राह्मण अर्थात रथकार ब्राह्मण ,पांचाल ब्राह्मण तक्षा ब्राह्मण आदि शिल्पियों को ब्राह्मण मानते हुए उनका प्रमाण है। ‘ब्राह्मणोंत्पत्ति दर्पण ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक डॉ पंडित मक्खनलाल मिश्र ‘मैथिल ‘ जी है। जिनकी पुस्तक में विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण उत्पत्ति में पृष्ठ क्रमांक 358 से 361 तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति बताई गई है जिसमें स्पष्ट रूप से यह उल्लेख आया है कि विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण समाज मूल रूप से ब्राह्मण समाज है और इन्हें षटकर्म के साथ-साथ ब्रह्म यज्ञ, देव यज्ञ, पितृ यज्ञ ,भूत यज्ञ और जप यज्ञ का पूर्ण रूप से अधिकार है। ‘ ब्राह्मण गोत्रावली ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक ज्योतिषाचार्य पंडित राजेंद्र देवलाल जो उत्तराखंड से छपी थी। इस पुस्तक के पृष्ठ 114 से 117 के बीच विश्वकर्मा शिल्पी ब्राह्मणों में जांगिड़ ब्राह्मणों की उत्पत्ति एवं पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति का वर्णन है। ‘ वंश मल्लिका ‘ नामक ग्रंथ जिसके रचयिता प्रसिद्ध विद्वान पंडित मन्नूलाल शर्मा थे। यह पुस्तक भी लगभग 80 से 100 वर्ष पुरानी है। इसमें विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों के अनेक वर्गों का उल्लेख है। जैसे विश्वकर्मा ब्राह्मण , रथकार ब्राह्मण, पांचाल ब्राह्मण, जांगिड़ ब्राह्मण, धीमान ब्राह्मण , आचार्य ब्राह्मण, ओझा या झा मैथिल ब्राह्मण आदि। इस पुस्तक में इनकी शास्त्रो के अनुसार उत्पत्ति ,वंशावली एवं गोत्रावली का विस्तृत वर्णन है। इस पुस्तक में विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को वेदों के अनुसार एवं अन्य शास्त्रों के अनुसार सभी प्रकार के ब्राह्मणों के मूल कर्म का पूर्ण अधिकारी शास्त्रीय प्रधानों के आधार पर बताया गया है।