सर को प्रणाम . पहली बार आपको भावुक होते देखा वरना सख्ती इतनी कि देर हो जाए तो कक्षा में नो एंट्री . आप स्वस्थ रहें, आपकी तिरछी नज़र देश-दुनिया के साहित्य पर बनी रहे l यही शुभेच्छा है l 🙏🙏
@kamlasharmam86886 ай бұрын
पचौरी जी का साक्षात्कार सबसे अलग सबसे भिन्न अद्भुत स्पष्टवादिता पूरा साक्षात्कार सुना !अंजुम जी आपके प्रश्न ऐसे थे कि पचौरी जी ने विस्तृत जानकारी दी और इन्टरव्यू बहुत रोचक हो गया..!
@educationalinformation57493 ай бұрын
सुधीश पचौरी सर को प्रणाम! सर जहाँ तक मुझे याद है बिहारी ने शिवाजी की चिट्ठी को आधार बनाकर "स्वारथु, सुकृत न, श्रमु बृथा; देखि, बिहंग, बिचारि। बाज, पराएँ पानि परि तूँ पच्छीनु न मारि।। वाला दोहा लिखा था क्योंकि उन्हें राजा जयशाह का शाहजहाँ की ओर से हिंदुओं के विरुद्ध लड़ना अच्छा नहीं लगता था।
@vinodbhardwaj46146 ай бұрын
ब्रज की दावतों में मशहूर सन्नाटे की सी स्वाद भरी चुभती तरलता और रबड़ी का सा रस और माधुर्य है पचौरी जीआपकी बातों में। लोग कुछ भी कहें एक नया रास्ता तो बना ही दिया है आपने, कुछ तो लोग चलेंगे , लोगों का काम है चलना। हिन्दवी को बहुत बहुत धन्यवाद, बधाई
@PublicHealthand.Poetry6 ай бұрын
सुधीश जी को सुनते हुए,कुछ खास असहमित पल से बहुत कुछ जानने की तमन्ना बढती है।
@kartikeyashukla56282 ай бұрын
मैं पहली बार तिरछी नज़र से ही सुधीश पचौरी जी को जाना।
@vimaldiary17335 ай бұрын
सघन वार्तालाप, एक शब्द भी अनसुना नहीं किया गया... अखबार से साक्षात्कार तक पचौरी जी को जानना सुनना सुखद अहसास। साहित्य दर्शन इतिहास समाजशास्त्र और जीवन की अनुपम जीवंतता... अंजुम शर्मा जी आप तो हमेशा की तरह ही बेमिसाल हैं... आपकी पाठ्य समझ इसे अगले स्तर तक ले जाती है। 🙏🙏 धन्यवाद हिन्दवी संगत 🙏
@ashokseth24266 ай бұрын
सुधीश जी स्पष्टवादी निर्भीक और आधुनिक लेखक हैं। बहुत सुंदर साक्षात्कार। रूढ़ि मुक्त सुधीश जी के रीति कालीन काव्य पर विचार सही और प्रशंसनीय हैं।
@ashokseth24266 ай бұрын
पचौरी जी के बचपन के प्रसंग दिल को छू गए।एक पिता इतना भी कठोर हो सकता है! आग में तप कर कुंदन बने है आप!
@neenaandotra18866 ай бұрын
बहुत बढ़िया । संगत के माध्यम से साहित्यकारों से रूबरू होते रहें ।
@dhananjaysingh72666 ай бұрын
बेबाक एवं रोचक इतना कि इतना लम्बा साक्षात्कार कब समाप्त हुआ,पता ही नहीं लगा।
@AquilSheikh08003 ай бұрын
Thank you…🙏
@divyasuhag51646 ай бұрын
बेबाक और प्रेरणास्पद संगत❤बेहद सहज और आत्मीय वार्तालाप🌹
@meenakushwaha3463Ай бұрын
Sir aap ka chainl bahut hi srahni h . Aap k videos bhut hi aache h
@rupindersoz37816 ай бұрын
बहुत अच्छी लगी बातचीत और सवाल जवाब । पचौरी जी की मैंने “ तीसरी परंपरा की खोज “ किताब पढ़ी थी वाक्य ही बहुत तर्क से हर चीज को बयान किया है ।
@vimalkumarprabhakar46626 ай бұрын
पूरा देख लिया, अच्छा लगा। पचौरी जी से एक बार बीएचयू में मिला हूँ।
@naveenct1006 ай бұрын
हाय मेरी विपन्न हिंदुस्तानी ! Guest के लिये कोई शब्द नहीं मिलता हमें !😃
@ujjwaljha67026 ай бұрын
‘संगत’ हिंदी साहित्य के प्रेमियों के लिए सहरा में नदी सा है। आपको ढेर सारी शुभकामनाएं,साधुवाद। आपके प्रयासों के कारण ही संगत यहां तक यात्रा कर पाया है और उम्मीद है की अविराम आगे भी करता रहेगा क्योंकि गीतांजलि श्री और विनोद कुमार शुक्ल जी जैसे कई महान लेखक अभी आने बाक़ी है। धन्यवाद
@MohsinKhan-cl3xc6 ай бұрын
सुधीर पचौरी जी का साक्षlत्कार बड़ा दिलचस्प है खुले दिल से बातें कीं
@ashutoshmishra53746 ай бұрын
पूरी अब तक की संगत सुन ली ,सब उसी दिन मगर ये मेरे गुरुदेव ऐसे हैं जिन्हें समाधिष्ठ होके ही सुनने में मजा है तो सो भी न सका और अभी रात डेढ़ बजे सर के शब्दों में खेल शुरू हुआ और अंत होने वाला है अवसाद में डाले जा रहा। सच में अंजुम जी ८ घंटे क्या पूरी की पूरी श्रृंखला होनी चाहिए। गुरुदेव चरणों में नतसिर प्रणाम। आप और आपके पूरे दल का धन्यवाद। #आशुतोष।
@shashisrivastava19625 ай бұрын
पचौरी जी के आलेखों की वजह से मैं नियमित रूप से हिंदुस्तान जनसत्ता व सहारा पड़ती हूं आज उनका लंबा इंटरव्यू सुनकर बहुत अच्छा लगा।
@shardulanogaja59666 ай бұрын
क्या बात है, साहित्य भी इतिहास है!
@singhveenavatsal51156 ай бұрын
बेहतरीन इंटरव्यू
@rajkumarbaghel77786 ай бұрын
शानदार, बेबाक 🙏साक्षात्कार❤️🌼
@prakashchandra696 ай бұрын
वाह! अजदक । हिन्दी लोकवृत में अजदकों की जरूरत है।
@HemantPant-nv6zj6 ай бұрын
क्या खूब!
@dr.balgovindsingh92686 ай бұрын
बहु प्रतीक्षित साक्षात्कार आखिर प्रस्तुत ही हो गया। बहुत भावुक क्षण भी इस साक्षात्कार में हैं।
@ashokseth24266 ай бұрын
Sex के बारे में सुधीश जी के विचार बहुत संतुलित आधुनिक और तर्कसंगत हैं। यौन सम्बन्ध प्राचीन भारत में उत्सव था। मुस्लिम शासकों और अंग्रेजों ने इसे अपराध बोध से जोड़ दिया।
गुरु नानक की रचना है जो सुधीश सर बोल रहे हैं। जिसे बाबर बाणी कहा जाता है। खुरासान खस्माना कीया हिंदुस्तान डराया ऐती मार पई कुर्लाहने तैं की दर्द न आया। गुरु नानक
@jaiprakashpathak16656 ай бұрын
नमस्कार, व्यक्ति और व्यक्ति में भी भिन्नता है. विश्व के प्रत्येक व्यक्ति में भी कुछ समानता है.
@sudhirsingh26896 ай бұрын
इन्हें पूरा सुनना तो कठिन है भाई। क़ुबात है।
@adarshgangrade24846 ай бұрын
Anjum's laughter at 46:00 ❤
@sarojininautiyal96966 ай бұрын
साहित्य किसी काल खंड को परिलक्षित करता है। कुछ प्रश्न ऐसे होते हैं जो हर काल के प्रश्न हैं। मानवीय संवेदनाएँ भी काल और स्थान की सीमा से परे होती हैं। गोदान इसी से कालजयी रचना है।
@anupkidak6 ай бұрын
बहुत अच्छी बातचीत।
@keshavtiwari7866 ай бұрын
बढ़िया बात असहमति के साथ
@seemadatta56346 ай бұрын
मजेदार। 😊😊
@prempalsharma76 ай бұрын
कविता करने की जिद.. चवन्नी भर.. दलित दलित के लिए ब्राह्मण ब्राह्मण के लिए.. नकली कवि..! वाह !आलोचना इसी ईमानदारी और साहस का नाम है...... ! अंत तक विमर्श का वोल्टेज कायम रहता है ।बधाई संगत को!
@VijaySharma-dy7qt6 ай бұрын
हिंदी के विरल विद्वान...
@sureshpandey-nl1mr6 ай бұрын
Anjum Ji kripaya Ashok chakaradhar se bhi sakshatkar lene ka prayas karein. Yeh aapse Agrah hai
@devendramewari43726 ай бұрын
सुनना, सुनते रहना समीक्षा क्षेत्र की रसानुभूति करा रहा है।
@amarnathjh48265 ай бұрын
बहुत बढ़िया
@neenaandotra18866 ай бұрын
75 वां एपिसोड मुबारक संगत के चाहने वालों को
@gunjanmishra10954 ай бұрын
Aapko sunkar Aankhen khul gai
@yadwindersingh70285 ай бұрын
Its written by Guru Nanak Dev Ji (Te ke dard na aea)
@HEERADHAMI56 ай бұрын
शुभ संध्या अंशुल जी! वीडियो को डाउनलोड करने की सुविधा प्रदान कराएं ताकि सुनने में सहजता हो ऑनलाइन सुनने में काफी नेट खर्च होता है और कमजोर नेटवर्क पहुंच आपका शुभेच्छुक
@aartimishra97026 ай бұрын
बेशक सुधीश पचौरी बड़े विद्वान व्यक्ति हैं। महत्वपूर्ण काम किए हैं। लेकिन अपनी गलत बातों को भी जिद के साथ वे हमेशा से ही कहते आए हैं। अभी भी वह गलत जिदों को असंगत ढंग से भी रख रहे हैं। बहरहाल अंजुम के द्वारा यह इंटरव्यू बहुत अच्छे से लिया गया है। (लेखकों के इंटरव्यू उनकी अधिकतम 60-65 की उम्र तक कर लेने चाहिए, ऐसा कई लेखकों को सुनते हुए महसूस हुआ।)
@ashokdilliwalashow4 ай бұрын
सीधी, सच्ची, कड़वी, मजेदार, विचित्र बातें....
@SGangopadhyay3 күн бұрын
Anjum Bhai interview was great but few questions were unnecessary and irrelevant and you are too argumentative on points which are lucid and very clear .But overall great effort.
@aloktheshayar6 ай бұрын
बातों बातों में विश्वविद्यालय से जुड़ी जो बातें बताईं पचौरी जी ने उससे मेरी एक धारणा और प्रबल हुई है कि भारतीय विश्वविद्यालय, खास तौर पर सरकारी, भाई भतीजावाद, अकर्मण्यता और राजनीति के अड्डे हैं। शिक्षा का स्तर बहुत घटिया है। और हां, बच्चा भ्रष्टाचार का पहला पाठ अपने विद्यालय से ही सीखता है।
@bhagwanpdsinha11425 ай бұрын
216 , विट्ठल भाई पटेल हाउस में कॉमरेड सुनीत चोपड़ा के सान्निध्य में1982-83 रहता था तो आप अक्सर वहाँ आते थे . उस समय आप दिल्ली जलेस के सचिव थे
@gurusharan47055 ай бұрын
You have not mentioned the name of the book held in your hand. Please do the same and tell whether it's available on Amazon?
@pawantiwari506 ай бұрын
कलयुग केवल नाम अधारा सुमिर.... ऐसा तुलसी कहां कहा है? इसका प्रमाण दीजिए। मानस में ऐसी कोई चौपाई नहीं है, कलिजुग जोग न जग्य न ग्याना। एक अधार राम गुन गाना॥यह चौपाई अवश्य उत्तर काण्ड में है। कृपया स्पष्ट करें.
@memeindia71405 ай бұрын
Uttar kand me h. 1990 year se pehle ki print ramcharit Manas me dikhega
@pawantiwari505 ай бұрын
है तो प्रमाण भेजिए
@memeindia71405 ай бұрын
@@pawantiwari50 dhundo khud
@gauravvish20436 ай бұрын
बहुत इंतजार था इस इंटरव्यू का , बहुत दिन जनसत्ता में पढ़े है इनको
@naveenct1006 ай бұрын
भाई साहब मैं बाराबंकी से एक अदना हिंदी भाषी आदमी हूँ । कृपया मेरी समझ के लिये यूटोपिया और फॉल्ट लाइन शब्दों को हिंदी में बताएँ क्योंकि ऐसा तो कोई utopia नहीं है जो हिंदी भाषियों की अनुभूति या मन से परे है और ऐसी कोई fault lines भी नहीं होंगी कि जिनसे हम हिंदी भाषियों का जीवन मुक्त रहा हो ! लगता है जिसने अंग्रेज़ी ग्रन्थ पढ़ें उसी पर सत्य उद्घाटित होता है और उस भाषा का साहित्य न पढ़ा तो हमारा ज्ञान अधूरा ही रह जाएगा ।
@DR.AJAYANURAGI6 ай бұрын
शिवाजी नहीं जयपुर नरेश सवाई जयसिंह को लिखा था यह दोहा नहीं पराग नहि मधुर मधु
@ShirshaMitra6 ай бұрын
❤❤❤❤
@sujitdahal19163 ай бұрын
Postmodernists are attention seeker who are experts in posturing .
@rakibulhossain11605 ай бұрын
Sangat ki…???
@rambux13916 ай бұрын
अंजुम शर्मा इस संगत में थोड़े कमजोर लगे।
@ashokseth24266 ай бұрын
ईमानदार दबंग स्पष्ट वादी और निर्भीक सुधीश पचौरी
@janmuddawithajaypatel77156 ай бұрын
इंतजार khtm हुआ।
@mintusaren8955 ай бұрын
Musical instrument, my children attended village home.why you are so like a children ,we are children your musical we trying.
@ratansingh7575 ай бұрын
Himdi Karykram ki suruaat Gali b ke sher se karvrahaa hai
@ravishanker96726 ай бұрын
उलझे हुए उलझी बाते
@Kavitakahaniaurzindagi6 ай бұрын
कालिदास की परीक्षा लेने वाला खुद कितना बड़ा रहा होगा..ये कहां से सत्य हो सकता है ।परीक्षा लेने वाला हमेशा परीक्षार्थी से बड़ा हो जरूरी तो नहीं। कालिदास तब कालिदास नहीं मामूली व्यक्ति भर रहे होंगे और सामान्य आदमी की परीक्षा तो कोई भी ले सकता है सर।😂
@anubhavvarshney72146 ай бұрын
चोम्स्की को नोबल पुरस्कार कब मिला, वस्तुनिष्ठ के लिए छटपटाता आलोचक इतने सामान्य वस्तुनिष्ठ तथ्यों के साथ क्यों गड़बड़ कर रहा है। न ही चोम्स्की ने पाणिनी के केवल एक नुक्ते को लेकर काम किया था, हालांकि वे पाणिनी से परिचित थे।
@sankalptyagi87974 ай бұрын
Noam Chomsky को नोबल नहीं मिला है।।। ये कुछ भी बोल के चले जाते हैं बिना ज़िमेदारी समझे
@brijkishoresingh9166 ай бұрын
हिंदी की बात करते हैं, हिंदी के विद्वान बुलाते हैं लेकिन अंग्रेजी के शब्दों के प्रयोग के बिना आप की बात पूरी नहीं होती l क्या हिंदी इतनी दरिद्र है कि अंग्रेजी का प्रयोग करना पड़ता है या गुलाम मानसिकता की देन है l
@vimaldiary17335 ай бұрын
सघन वार्तालाप, एक शब्द भी अनसुना नहीं किया गया... अखबार से साक्षात्कार तक पचौरी जी को जानना सुनना सुखद अहसास। साहित्य दर्शन इतिहास समाजशास्त्र और जीवन की अनुपम जीवंतता... अंजुम शर्मा जी आप तो हमेशा की तरह ही बेमिसाल हैं... आपकी पाठ्य समझ इसे अगले स्तर तक ले जाती है। 🙏🙏 धन्यवाद हिन्दवी संगत 🙏