Pachouri ji ek genius aalochak hai inki nazar tirchi nahi gahri hai pranam
@nachiketachoubey2815Ай бұрын
Bahut hi sahi bat hai ab koi samaj nahi hai samaj ka ant ho chuka hai
@dr.chaitalisinha63528 ай бұрын
सर को प्रणाम . पहली बार आपको भावुक होते देखा वरना सख्ती इतनी कि देर हो जाए तो कक्षा में नो एंट्री . आप स्वस्थ रहें, आपकी तिरछी नज़र देश-दुनिया के साहित्य पर बनी रहे l यही शुभेच्छा है l 🙏🙏
@nachiketachoubey2815Ай бұрын
Ek sarwan batcheet dhanyawad Anjum ji aur dhanyawad Hindwi
@PublicHealthand.Poetry8 ай бұрын
सुधीश जी को सुनते हुए,कुछ खास असहमित पल से बहुत कुछ जानने की तमन्ना बढती है।
@vinodbhardwaj46148 ай бұрын
ब्रज की दावतों में मशहूर सन्नाटे की सी स्वाद भरी चुभती तरलता और रबड़ी का सा रस और माधुर्य है पचौरी जीआपकी बातों में। लोग कुछ भी कहें एक नया रास्ता तो बना ही दिया है आपने, कुछ तो लोग चलेंगे , लोगों का काम है चलना। हिन्दवी को बहुत बहुत धन्यवाद, बधाई
@educationalinformation57495 ай бұрын
सुधीश पचौरी सर को प्रणाम! सर जहाँ तक मुझे याद है बिहारी ने शिवाजी की चिट्ठी को आधार बनाकर "स्वारथु, सुकृत न, श्रमु बृथा; देखि, बिहंग, बिचारि। बाज, पराएँ पानि परि तूँ पच्छीनु न मारि।। वाला दोहा लिखा था क्योंकि उन्हें राजा जयशाह का शाहजहाँ की ओर से हिंदुओं के विरुद्ध लड़ना अच्छा नहीं लगता था।
@vimaldiary17338 ай бұрын
सघन वार्तालाप, एक शब्द भी अनसुना नहीं किया गया... अखबार से साक्षात्कार तक पचौरी जी को जानना सुनना सुखद अहसास। साहित्य दर्शन इतिहास समाजशास्त्र और जीवन की अनुपम जीवंतता... अंजुम शर्मा जी आप तो हमेशा की तरह ही बेमिसाल हैं... आपकी पाठ्य समझ इसे अगले स्तर तक ले जाती है। 🙏🙏 धन्यवाद हिन्दवी संगत 🙏
@kartikeyashukla56284 ай бұрын
मैं पहली बार तिरछी नज़र से ही सुधीश पचौरी जी को जाना।
@UmeshShrma-of6wiАй бұрын
U tube media
@kamlasharmam86888 ай бұрын
पचौरी जी का साक्षात्कार सबसे अलग सबसे भिन्न अद्भुत स्पष्टवादिता पूरा साक्षात्कार सुना !अंजुम जी आपके प्रश्न ऐसे थे कि पचौरी जी ने विस्तृत जानकारी दी और इन्टरव्यू बहुत रोचक हो गया..!
@ashokseth24268 ай бұрын
सुधीश जी स्पष्टवादी निर्भीक और आधुनिक लेखक हैं। बहुत सुंदर साक्षात्कार। रूढ़ि मुक्त सुधीश जी के रीति कालीन काव्य पर विचार सही और प्रशंसनीय हैं।
@AquilSheikh08005 ай бұрын
Thank you…🙏
@ashokseth24268 ай бұрын
पचौरी जी के बचपन के प्रसंग दिल को छू गए।एक पिता इतना भी कठोर हो सकता है! आग में तप कर कुंदन बने है आप!
@naveenct1008 ай бұрын
हाय मेरी विपन्न हिंदुस्तानी ! Guest के लिये कोई शब्द नहीं मिलता हमें !😃
@neenaandotra18868 ай бұрын
बहुत बढ़िया । संगत के माध्यम से साहित्यकारों से रूबरू होते रहें ।
@dhananjaysingh72668 ай бұрын
बेबाक एवं रोचक इतना कि इतना लम्बा साक्षात्कार कब समाप्त हुआ,पता ही नहीं लगा।
@ujjwaljha67028 ай бұрын
‘संगत’ हिंदी साहित्य के प्रेमियों के लिए सहरा में नदी सा है। आपको ढेर सारी शुभकामनाएं,साधुवाद। आपके प्रयासों के कारण ही संगत यहां तक यात्रा कर पाया है और उम्मीद है की अविराम आगे भी करता रहेगा क्योंकि गीतांजलि श्री और विनोद कुमार शुक्ल जी जैसे कई महान लेखक अभी आने बाक़ी है। धन्यवाद
@divyasuhag51648 ай бұрын
बेबाक और प्रेरणास्पद संगत❤बेहद सहज और आत्मीय वार्तालाप🌹
@meenakushwaha34633 ай бұрын
Sir aap ka chainl bahut hi srahni h . Aap k videos bhut hi aache h
@rupindersoz37818 ай бұрын
बहुत अच्छी लगी बातचीत और सवाल जवाब । पचौरी जी की मैंने “ तीसरी परंपरा की खोज “ किताब पढ़ी थी वाक्य ही बहुत तर्क से हर चीज को बयान किया है ।
@SanjayKumar-cf3bsАй бұрын
Khari bat
@vimalkumarprabhakar46628 ай бұрын
पूरा देख लिया, अच्छा लगा। पचौरी जी से एक बार बीएचयू में मिला हूँ।
@ashutoshmishra53748 ай бұрын
पूरी अब तक की संगत सुन ली ,सब उसी दिन मगर ये मेरे गुरुदेव ऐसे हैं जिन्हें समाधिष्ठ होके ही सुनने में मजा है तो सो भी न सका और अभी रात डेढ़ बजे सर के शब्दों में खेल शुरू हुआ और अंत होने वाला है अवसाद में डाले जा रहा। सच में अंजुम जी ८ घंटे क्या पूरी की पूरी श्रृंखला होनी चाहिए। गुरुदेव चरणों में नतसिर प्रणाम। आप और आपके पूरे दल का धन्यवाद। #आशुतोष।
@shashisrivastava19628 ай бұрын
पचौरी जी के आलेखों की वजह से मैं नियमित रूप से हिंदुस्तान जनसत्ता व सहारा पड़ती हूं आज उनका लंबा इंटरव्यू सुनकर बहुत अच्छा लगा।
@rajkumarbaghel77788 ай бұрын
शानदार, बेबाक 🙏साक्षात्कार❤️🌼
@MohsinKhan-cl3xc8 ай бұрын
सुधीर पचौरी जी का साक्षlत्कार बड़ा दिलचस्प है खुले दिल से बातें कीं
@HemantPant-nv6zj8 ай бұрын
क्या खूब!
@shardulanogaja59668 ай бұрын
क्या बात है, साहित्य भी इतिहास है!
@ashokseth24268 ай бұрын
Sex के बारे में सुधीश जी के विचार बहुत संतुलित आधुनिक और तर्कसंगत हैं। यौन सम्बन्ध प्राचीन भारत में उत्सव था। मुस्लिम शासकों और अंग्रेजों ने इसे अपराध बोध से जोड़ दिया।
@seemadatta56348 ай бұрын
मजेदार। 😊😊
@singhveenavatsal51158 ай бұрын
बेहतरीन इंटरव्यू
@prakashchandra698 ай бұрын
वाह! अजदक । हिन्दी लोकवृत में अजदकों की जरूरत है।
@anupkidak8 ай бұрын
बहुत अच्छी बातचीत।
@amarnathjh48267 ай бұрын
बहुत बढ़िया
@dr.balgovindsingh92688 ай бұрын
बहु प्रतीक्षित साक्षात्कार आखिर प्रस्तुत ही हो गया। बहुत भावुक क्षण भी इस साक्षात्कार में हैं।
कविता करने की जिद.. चवन्नी भर.. दलित दलित के लिए ब्राह्मण ब्राह्मण के लिए.. नकली कवि..! वाह !आलोचना इसी ईमानदारी और साहस का नाम है...... ! अंत तक विमर्श का वोल्टेज कायम रहता है ।बधाई संगत को!
@sudhirsingh26898 ай бұрын
इन्हें पूरा सुनना तो कठिन है भाई। क़ुबात है।
@sureshpandey-nl1mr8 ай бұрын
Anjum Ji kripaya Ashok chakaradhar se bhi sakshatkar lene ka prayas karein. Yeh aapse Agrah hai
@jaiprakashpathak16658 ай бұрын
नमस्कार, व्यक्ति और व्यक्ति में भी भिन्नता है. विश्व के प्रत्येक व्यक्ति में भी कुछ समानता है.
@adarshgangrade24848 ай бұрын
Anjum's laughter at 46:00 ❤
@firdausi62036 ай бұрын
गुरु नानक की रचना है जो सुधीश सर बोल रहे हैं। जिसे बाबर बाणी कहा जाता है। खुरासान खस्माना कीया हिंदुस्तान डराया ऐती मार पई कुर्लाहने तैं की दर्द न आया। गुरु नानक
@VijaySharma-dy7qt8 ай бұрын
हिंदी के विरल विद्वान...
@sarojininautiyal96968 ай бұрын
साहित्य किसी काल खंड को परिलक्षित करता है। कुछ प्रश्न ऐसे होते हैं जो हर काल के प्रश्न हैं। मानवीय संवेदनाएँ भी काल और स्थान की सीमा से परे होती हैं। गोदान इसी से कालजयी रचना है।
@naveenct1008 ай бұрын
भाई साहब मैं बाराबंकी से एक अदना हिंदी भाषी आदमी हूँ । कृपया मेरी समझ के लिये यूटोपिया और फॉल्ट लाइन शब्दों को हिंदी में बताएँ क्योंकि ऐसा तो कोई utopia नहीं है जो हिंदी भाषियों की अनुभूति या मन से परे है और ऐसी कोई fault lines भी नहीं होंगी कि जिनसे हम हिंदी भाषियों का जीवन मुक्त रहा हो ! लगता है जिसने अंग्रेज़ी ग्रन्थ पढ़ें उसी पर सत्य उद्घाटित होता है और उस भाषा का साहित्य न पढ़ा तो हमारा ज्ञान अधूरा ही रह जाएगा ।
@devendramewari43728 ай бұрын
सुनना, सुनते रहना समीक्षा क्षेत्र की रसानुभूति करा रहा है।
@neenaandotra18868 ай бұрын
75 वां एपिसोड मुबारक संगत के चाहने वालों को
@gurusharan47057 ай бұрын
You have not mentioned the name of the book held in your hand. Please do the same and tell whether it's available on Amazon?
@yadwindersingh70288 ай бұрын
Its written by Guru Nanak Dev Ji (Te ke dard na aea)
@SGoswamiGangopadhyay2 ай бұрын
Anjum Bhai interview was great but few questions were unnecessary and irrelevant and you are too argumentative on points which are lucid and very clear .But overall great effort.
@gauravvish20438 ай бұрын
बहुत इंतजार था इस इंटरव्यू का , बहुत दिन जनसत्ता में पढ़े है इनको
@HEERADHAMI58 ай бұрын
शुभ संध्या अंशुल जी! वीडियो को डाउनलोड करने की सुविधा प्रदान कराएं ताकि सुनने में सहजता हो ऑनलाइन सुनने में काफी नेट खर्च होता है और कमजोर नेटवर्क पहुंच आपका शुभेच्छुक
@bhagwanpdsinha11428 ай бұрын
216 , विट्ठल भाई पटेल हाउस में कॉमरेड सुनीत चोपड़ा के सान्निध्य में1982-83 रहता था तो आप अक्सर वहाँ आते थे . उस समय आप दिल्ली जलेस के सचिव थे
@aloktheshayar8 ай бұрын
बातों बातों में विश्वविद्यालय से जुड़ी जो बातें बताईं पचौरी जी ने उससे मेरी एक धारणा और प्रबल हुई है कि भारतीय विश्वविद्यालय, खास तौर पर सरकारी, भाई भतीजावाद, अकर्मण्यता और राजनीति के अड्डे हैं। शिक्षा का स्तर बहुत घटिया है। और हां, बच्चा भ्रष्टाचार का पहला पाठ अपने विद्यालय से ही सीखता है।
@ashokdilliwalashow6 ай бұрын
सीधी, सच्ची, कड़वी, मजेदार, विचित्र बातें....
@pawantiwari508 ай бұрын
कलयुग केवल नाम अधारा सुमिर.... ऐसा तुलसी कहां कहा है? इसका प्रमाण दीजिए। मानस में ऐसी कोई चौपाई नहीं है, कलिजुग जोग न जग्य न ग्याना। एक अधार राम गुन गाना॥यह चौपाई अवश्य उत्तर काण्ड में है। कृपया स्पष्ट करें.
@memeindia71407 ай бұрын
Uttar kand me h. 1990 year se pehle ki print ramcharit Manas me dikhega
@pawantiwari507 ай бұрын
है तो प्रमाण भेजिए
@memeindia71407 ай бұрын
@@pawantiwari50 dhundo khud
@ShirshaMitra8 ай бұрын
❤❤❤❤
@kamleshchourasia55662 күн бұрын
स्पष्टवादी और निर्भिक साक्षात्कार
@rakibulhossain11607 ай бұрын
Sangat ki…???
@janmuddawithajaypatel77158 ай бұрын
इंतजार khtm हुआ।
@DR.AJAYANURAGI8 ай бұрын
शिवाजी नहीं जयपुर नरेश सवाई जयसिंह को लिखा था यह दोहा नहीं पराग नहि मधुर मधु
@rambux13918 ай бұрын
अंजुम शर्मा इस संगत में थोड़े कमजोर लगे।
@yakubkhan20742 ай бұрын
मोहम्मद बिन कासिम सिन्ध तक ही रहा । वो दिल्ली तक नही आया। इतिहास का पता दोंनो को ही नही ।
@aartimishra97028 ай бұрын
बेशक सुधीश पचौरी बड़े विद्वान व्यक्ति हैं। महत्वपूर्ण काम किए हैं। लेकिन अपनी गलत बातों को भी जिद के साथ वे हमेशा से ही कहते आए हैं। अभी भी वह गलत जिदों को असंगत ढंग से भी रख रहे हैं। बहरहाल अंजुम के द्वारा यह इंटरव्यू बहुत अच्छे से लिया गया है। (लेखकों के इंटरव्यू उनकी अधिकतम 60-65 की उम्र तक कर लेने चाहिए, ऐसा कई लेखकों को सुनते हुए महसूस हुआ।)
@mintusaren8958 ай бұрын
Musical instrument, my children attended village home.why you are so like a children ,we are children your musical we trying.
@sujitdahal19166 ай бұрын
Postmodernists are attention seeker who are experts in posturing .
@ashokseth24268 ай бұрын
ईमानदार दबंग स्पष्ट वादी और निर्भीक सुधीश पचौरी
@ratansingh7577 ай бұрын
Himdi Karykram ki suruaat Gali b ke sher se karvrahaa hai
@Kavitakahaniaurzindagi8 ай бұрын
कालिदास की परीक्षा लेने वाला खुद कितना बड़ा रहा होगा..ये कहां से सत्य हो सकता है ।परीक्षा लेने वाला हमेशा परीक्षार्थी से बड़ा हो जरूरी तो नहीं। कालिदास तब कालिदास नहीं मामूली व्यक्ति भर रहे होंगे और सामान्य आदमी की परीक्षा तो कोई भी ले सकता है सर।😂
@anubhavvarshney72148 ай бұрын
चोम्स्की को नोबल पुरस्कार कब मिला, वस्तुनिष्ठ के लिए छटपटाता आलोचक इतने सामान्य वस्तुनिष्ठ तथ्यों के साथ क्यों गड़बड़ कर रहा है। न ही चोम्स्की ने पाणिनी के केवल एक नुक्ते को लेकर काम किया था, हालांकि वे पाणिनी से परिचित थे।
@ravishanker96728 ай бұрын
उलझे हुए उलझी बाते
@sankalptyagi87976 ай бұрын
Noam Chomsky को नोबल नहीं मिला है।।। ये कुछ भी बोल के चले जाते हैं बिना ज़िमेदारी समझे
@brijkishoresingh9168 ай бұрын
हिंदी की बात करते हैं, हिंदी के विद्वान बुलाते हैं लेकिन अंग्रेजी के शब्दों के प्रयोग के बिना आप की बात पूरी नहीं होती l क्या हिंदी इतनी दरिद्र है कि अंग्रेजी का प्रयोग करना पड़ता है या गुलाम मानसिकता की देन है l
@vimaldiary17338 ай бұрын
सघन वार्तालाप, एक शब्द भी अनसुना नहीं किया गया... अखबार से साक्षात्कार तक पचौरी जी को जानना सुनना सुखद अहसास। साहित्य दर्शन इतिहास समाजशास्त्र और जीवन की अनुपम जीवंतता... अंजुम शर्मा जी आप तो हमेशा की तरह ही बेमिसाल हैं... आपकी पाठ्य समझ इसे अगले स्तर तक ले जाती है। 🙏🙏 धन्यवाद हिन्दवी संगत 🙏