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स्वाधिस्ठान चक्र
इस चक्र का स्थान नाभि और मूलाधार चक्र के बीच में पेट की निचले भाग के पीछे रिड की हड्डी में होता है।
इस चक्र को जागृत करने के लिए इसका बीज मन्त्र वं और राग यमन कल्याण होता है
इसका सबसे महत्वपूर्ण कार्य पेट में फैट को कम करना है, सोचने की क्षमता को भी मजबूत करता है, यह कला और ज्ञान को नियंत्रित करता है। नये-नये सृजन कार्य करने में तथा एकाग्रता और अच्छे निर्णय लेने में बहुत सहायक होता है।
जीवन में क्रिएटिविटी की कमी, कला और सौंदर्य में कमी, ज्यादा भावनात्मक विचार आना, लिवर की प्रॉब्लम, वो सब ख़त्म होते जायेंगे।
स्वाधिष्ठान चक्र के आसपास के एरिया के जो भी रोग होते हैं वो सभी ठीक हो जायेंगे। जैसे लिवर, गर्भाशय, अग्न्याशय (पेन्क्रियास), पाचन शक्ति।
चेतावनी- अगर आप बी पी, शुगर और हार्ट की कोई दवा लेते हैं तो राग सुनने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें। क्योंकि ये राग भी इन रोगों में सुधार लाते हैं।
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