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नाभि चक्र
नाभि चक्र का स्थान, हमारी रीड़ की हड्डी में नाभि के एकदम पीछे की साइड होता है।
इस चक्र को जागृत करने के लिए इसका बीज मन्त्र रं और राग अभोगी होता है
नाभि चक्र का स्वभाव नेक, उदार, मददगार होता है। यह चक्र समृद्धि देता है और हमारी वित्तीय संपदा भी इसी चक्र द्वारा शासित होती है।
यह चक्र ईमानदारी और धर्म को नियंत्रित करता है। हम आध्यात्मिक विकास और बेहतर इंसान बनने के तरीके तलाशते हैं।
जब यह चक्र ख़राब होता है तो वह एक असंतुलित और अनिर्णीत व्यक्तित्व प्रदान करता है। व्यक्ति की सोच में कट्टरता आती है। ऐसा व्यक्ति हर समय अपनी तारीफ करवाना चाहता है। वह अत्याचारी होता है। धन और परिवार सम्बन्धी समस्याएं आती हैं। ऐसा व्यक्ति अनुचित भोग विलास को तलाशता रहता है।
नाभि चक्र से कौन सी बीमारियां ठीक होती हैं।
शुगर, धन और सुख-शांति की समस्या, परिवार सम्बंधित समस्याएँ, एलर्जी, पेन्क्रियास, पेट और आँतों की समस्याएँ, जिद्दी स्वाभाव इत्यादि।
चेतावनी- अगर आप बी पी, शुगर और हार्ट की कोई दवा लेते हैं तो राग सुनने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें। क्योंकि ये राग भी इन रोगों में सुधार लाते हैं।
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