Jai Jai Ram Krishna Hari Jai Jai Ram Krishna Hari Jai Jai Ram Krishna Hari Jai Jai Ram Krishna Hari Jai Jai Ram Krishna Hari Jai Jai Ram Krishna Hari Pandurang
पैठण (महाराष्ट्र) में एक बालक को जन्म से ही हाथ-पैर नहीं थे, उसका नाम रखा गया कूर्मदास । वह जहाँ कहीं भी पड़ा रहता और लोग जो कुछ खिला देते उसी से गुजारा करता । हाथ-पैर बिना का कूर्मदास पेट के बल से रेंग-रेंगकर संतों की कथा में पहुँच जाया करता था । संतों के संग में आते-जाते उसको भगवद्भक्ति का रंग लग गया । एक बार कथा में उसने सुना कि पंढरपुर (महाराष्ट्र) में कार्तिक मास की एकादशी के दिन भगवान का दर्शन करना बड़ा पुण्यदायी माना जाता है । उसने ठान लिया कि ‘मैं भी इस दिन पंढरपुर में भगवान के दर्शन करूँगा ।” ‘कार्तिक-एकादशी को तो अभी चार महीने हैं, पहुँच जाऊँगा… यह सोचकर उसने हिम्मत की और पंढरपुर के लिए यात्रा शुरू कर दी । वह रोज पेट के बल से रेंगते-रेंगते एक कोस तक का रास्ता तय कर लेता था । भगवान की दया से प्रतिदिन शाम होते-होते कोई-न-कोई अन्न-जल देनेवाला उसे मिल ही जाता था । इस तरह रेंगते-रेंगते वह चार महीने में लहुल गाँव तक पहुँच गया, वहाँ से पंढरपुर ७ कोस (लगभग २२ कि.मी.) दूर था । कार्तिक मास की दशमी तिथि हो गयी थी, दूसरे दिन एकादशी थी । वह तो दिनभर में मात्र एक कोस ही रेंग पाता था और सात कोस बाकी थे । क्या करता… किसी तरह भी एकादशी के दिन पंढरपुर नहीं पहुँच सकता था । उसने इष्टदेव को याद किया और पंढरपुर जा रहे एक यात्री से कहा : “भैया ! मैं तो रेंगते-रेंगते विट्ठल तक नहीं पहुँच सकता हूँ । दो शब्द लिखवाता हूँ, आप जरा अपने हाथ से लिखकर विठ्ठल तक पहुँचा दीजिये ।” कूर्मदास लिखवाने लगा : ‘मेरे विठ्ठल ! प्राणिमात्र के तारणहार !! सबके हृदय में होते हुए भी सबसे न्यारे, सबके प्यारे ! निराकार होते हुए भी साकार होने में आपको कोई देर नहीं लगती । हे सर्वसमर्थ ! यह दीन बालक प्रार्थना करता है कि मैं लहुल गाँव में पड़ा हूँ । कल एकादशी को पंढरपुर नहीं पहुँच सकता हूँ पर आप चाहें तो आपको यहाँ प्रकट होने में देर नहीं लगेगी । प्रभु ! इस अनाथ बालक को साकार रूप में दर्शन देने की कृपा करें । आपके लिए यह असंभव नहीं है । ऐसी प्रार्थना लिखवाते-लिखवाते कूर्मदास मानो, स्वयं प्रार्थना हो गया । यात्री तो चलता बना । एकादशी के दिन पंढरपुर में भगवान श्रीविठ्ठल के दर्शन करके उस यात्री ने वह छोटी-सी चिट्ठी प्रभु के श्रीचरणों में डाल दी । बस, चिट्ठी का डालना और भगवान का नामदेव, ज्ञानदेव व साँवतामाली के साथ कूर्मदास के पास प्रकट होना ! कूर्मदास ने भगवान के श्रीचरणों में अपना सिर रख दिया । भक्त भगवान के साथ तदाकार होकर जब प्रार्थना करता है तो भक्त की पुकार सुनकर भगवान प्रकट होने में देर नहीं करते । भक्त की श्रद्धा व पुकार और भगवान का अनुग्रह काम बना देता है ! आज भी पैठण-पंढरपुर मार्ग पर स्थित लहुल गाँव का श्रीविठ्ठल भगवान का मंदिर भक्त कूर्मदास की दृढ़ श्रद्धा एवं भक्ति की खबर दे रहा है कि भक्त को चाहे हाथ नहीं हों, पैर नहीं हों पर यदि उसके पास दृढ़ भक्तिभाव है तो उसकी नैया किनारे लग जाती है । अतः मनुष्य को चाहिए कि वह कभी निराश न हो, अपने को कभी अकेला न माने । भगवान की करुणा-कृपा सदा उसके साथ है । भगवान अगर कर्म का ही फल देंगे तो दुर्बल को बल कौन देगा ? पापी को गले कौन लगाएगा ? असहाय को सहायता कौन देगा ? हारे हुए को हिम्मत कौन देगा ? भूले को राह कौन दिखायेगा ? तू ही प्रेरणा देता हैं, पोषक ! पालक ! सहायक ! हे देव… भगवान न्यायकारी हैं बिल्कुल सच्ची बात है, पक्की बात है लेकिन भगवान दयालु भी हैं । जो दयालु है वह न्याय कैसे करेगा ? न्यायाधीश दया करे तो खूनी को जेल में कैसे भेजेगा ? न्याय करता है तो दयालु कैसे ? पर परमात्मा न्यायकारी भी हैं और दयालु भी हैं । वे सर्वसमर्थ भी हैं और पराधीन भी हैं । भक्त की भक्ति के आगे वे विवश हो जाते हैं । उन्होंने कहा भी है: अहं भक्तपराधीनो ह्यस्वतन्त्र इव द्विज । साधुभिर्ग्रस्तहृदयो भक्तैर्भक्तजनप्रियः ॥ ‘दुर्वासा जी ! मैं सर्वथा भक्तों के अधीन हूँ । मुझमें तनिक भी स्वतंत्रता नहीं है । मेरे सीधे-सादे, सरल भक्तों ने मेरे हृदय को अपने हाथ में कर रखा है । भक्तजन मुझसे स्नेह करते हैं और मैं उनसे ।’ (श्रीमद्भागवत: ९.४.६३) - ऋषि प्रसाद, जनवरी 2006
@vilasgorde716 ай бұрын
🚩❤️🚩❤️🚩❤️
@avadhutjadhav765 Жыл бұрын
होय मी दर्शन घेतले
@poojamayande595711 ай бұрын
🙏🙏🙏🙏
@sunitadhamore7981 Жыл бұрын
Ram Krishna hari❤
@aniketchalke4635 Жыл бұрын
Ram Krishna Hari
@veenakamatkar7489 Жыл бұрын
नेहेमीप्रमाणे सुंदर, रसाळ,ओघवते वर्णन..ऐकत राहावे असे वाटणारे...
@shrikantkulkarni9777 Жыл бұрын
This we came to know from serial on Sant Dnyaneshwar. Very nice
@sukhadakshirsagar6538 Жыл бұрын
आता लहुळला नक्कीच जाऊ. कुर्मदासाची कथा नेहमीप्रमाणेच अगदी रसाळ.. आणी उत्कंठावर्धक..
@microlabcomputerservicecen2749 Жыл бұрын
Nice
@smitakulkarni9855 Жыл бұрын
माहिती नसलेली गोष्ट, आता एकदा लहुळ ला भेट दिली पाहिजे