वाह! कविराज मन को छू लेने वाली कविता। व गांव की पुरानी रीति रिवाजों , परंपरा को जीवनदान देने वाली कविता। रीतां जासी बीत, जस न जासी जगत सूं। गासी दुनिया गीत, सकरा भुण्डा चकरिया।।
@roshankhanbangrwa1418 Жыл бұрын
💝यह कविराज जी हमारे आदरणीय आंबाराम जी मालिया (ढाढी) धनाऊ.जिला बाडमेर 💝💝 हर एक शब्द और लाइन हदय को स्पर्श करके निकल रही है ऐसा महुसस हो रहा है । अति सुन्दर प्रस्तुति मालिया साहब 💝
@hanumansiyag2084 Жыл бұрын
❤
@nathudan24472 жыл бұрын
वाह क्या बात है धन्यवाद सा ये सब बातें ईतनी सची है की याद करूं तों आंसु आ जाते हे
@virendrasinghsodha12 Жыл бұрын
ओ समय तो कोनी आवे और न ही ओ लोग पर ए बाता साची है सीखा गए ओ लोग। बहुत सुंदर रचना कवि राज ❤️🙏🙏
@shantansingh99942 жыл бұрын
आपको को जय श्री कृष्ण । वाह कविराज । आपकी एक एक शब्द मे दम है।
@t.s.rajpurohit42552 жыл бұрын
बहुत ही बढिया ,रचनाकार व वक्ता को धन्यवाद ,दिल को छूने वाली कविता !
@purohitsingh2068 Жыл бұрын
वाह कविराज वाह
@educationleader-h7p Жыл бұрын
बहुत ही शानदार बात बात आस पास की आवाज ने रस का कबाड़ कर दिया
@lpbhajanmusic Жыл бұрын
हुक्म समय चला गया है वो बहुत ही सुंदर समय था वो प्रेम भाई चारा अब नही देखने को मिलता कविराज ने बहुत ही अच्छी क्वता सुनाई अभी भी कुछ जगह पर बचा है ये समय पर अब वो भी आखरी पीढ़ी ही होगी शायद उसके बाद तो सब अपने अपने मे लग जायँगे 😊❤️
@MUKSA.30542 жыл бұрын
वाह वाह!! आपरी मीठ्ठी ज्ञानी बांता सू आनंद आ गयो। 💞💞 मुकेश मेघवाल बाड़मेर
@kaluramkaluram81392 жыл бұрын
Hi
@AbhishekSingh-qo9xw3 жыл бұрын
अ गावणया अर आपा सुणणीया दोनु आखरी पीढी म हा सा 😭😭😭आपान की आव कोनी
@manoharsingh98462 жыл бұрын
Bhut hi badhiaaaà
@SsJodha-ju5ovАй бұрын
Bahut sundar
@sutharmohan7723 Жыл бұрын
वाह कविराज
@gulamkhanmangliya80gullura85 Жыл бұрын
Wah wah
@chunaramsiyag20042 жыл бұрын
वाह सा वाह बहुत सुंदर छंद सुनाएं वह समय चला गया 😢😥 अब कुछ नहीं बचा
@nakhtaram78992 жыл бұрын
वासावाआसुदाकरदिया
@Rekha_ram-ec4hb Жыл бұрын
Vah very nice ❤
@NijamKhan-d1k10 ай бұрын
बाहूत सूंदर है
@kallaramdudi780 Жыл бұрын
धन्य है कविराज आपकी वाणी को
@jitendrasinghdechu0007 Жыл бұрын
काले पेरो जावजो, रहो अजुणी रात, थे कद पाचा आवसो, करो मन री बात, ऊ दिनड़ा दूर गया, गयी मंद री रात, संग छुटा सैणा रा रही मन री बात।मिनक जाणे हूं करूं, करण वाळा कोई, मिनक बापडा़ कांई करै, हरि करे सो होय, अकल आपणी भोळी, काम न आए कोय, पल में उलट-पलट करें, दुनिया उबी जोए,ऊ बखत बह गयो,बाता गयी परि शहर,कदैक ओळू आवसी,जद बैठा चार चतर।