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भारतीय इतिहास का पूर्वमध्यकाल गजनियों, गोरियों, गुलामों, तुगलकों, सैयदों, लोदियों से ही अटा पड़ा है। आपको ध्यान देना होगा कि इन लुटेरे मुसलमान आक्रान्ताओं के अधिकार में आई भूमि उत्तर भारत के एक छोर पर सिमट जाती है जबकि उन्ही समयों में अधिक विस्तारित, अधिक गौरवशाली और अधिक समृद्ध राष्ट्रकूटों, यादवों, पाण्डयों, चोलों, पल्लवों आदि को इतिहास की पुस्तकों में सीमित व्याख्या प्राप्त हुई है। आपको मुसलमान आक्रान्ताओं के महिमामंडन आख्यानों की तरह मिलेंगे लेकिन उनके ही समकालीन, उन भारतीय शासकों की उपलब्धियों पर जो दक्षिण-पूर्व में थे, पूर्वी भारत के शासक थे, कलिंग से ले कर मध्यभारत में विस्तारित थे अथवा दक्षिण भारत के वैभव को बढ़ा रहे थे उन्हें कुछ पन्नों ही में समेट देना उचित समझा गया है। भारत के वास्तविक गौरव को जानना है तो अतीत को उलटा पढिये। इसी दृष्टिकोण से आज विजयनगर साम्राज्य के कुछ अनकहे-अनजाने पन्ने पलटते हैं।
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