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तेजी से विस्तारित होते इस्लामिक साम्राज्यवादी राज्यों के बीच विजयनगर अंधकार में दीपक की भाति सदियों तक प्रकाशित होता रहा था। हमने पूर्वमध्यकालीन इतिहास को दिल्ली सलतनत के रूप में ही जाना-समझा है, यही कारण है कि विजयनगर पर जानकारी का सर्वत्र अभाव दिखाई पड़ता है। मैंने विजयनगर साम्राज्य पर एक श्रंखला आरंभ की है और अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत किए हैं। वृहद रूप से विजयनगर साम्राजय के अंतर्गत शासन करने वाले चार प्रमुख राजवंश हैं क्रमश: संगम वंश, सालुव वंश, तुलुव वंश तथा अरविदु वंश। पिछले कार्यक्रम में हमने संगम वंश पर विस्तार से बात की है तथा तत्कालीन राजनैतिक परिस्थितियों को समझने का प्रयास किया है। दिल्ली सलतनत और बहमनी के सुलतानों के साथ विजयनगर साम्राज्य की आरंभिक खीचातानियों को पिछली कड़ी में हमने देखा है। आज हम अगले राजवंश अर्थात विजयनगर में शासन करने वाले सुलुव अथवा सालूव वंश की चर्चा करने जा रहे हैं।