Рет қаралды 6,075
इतिहास के पुन:लेखन की आवश्यकता को यदि व्यावहारिक रूप से जानना है तो अपने पास उपलब्ध इतिहास की पुस्तकों को टटोलिए; अपनी पाठ्यपुस्तकों से ले कर मध्यकालीन भारत के इतिहास की पुस्तकों को पृष्ठ दर पृष्ठ उलटिए-पलटिए। विजयनगर साम्राज्य पर किसी में एक पैरा तो किसी में दो-चार पन्नों का उल्लेख कर इतिश्री कर ली गई है, सोचिए कि ऐसा क्यों हुआ है? हम तुगलक के पागलपन को पढ़ते है, खिलजी की क्रूरताओं को ढकते है, अकबर को महान बताने के तर्क तलाशते हैं लेकिन विजयनगर साम्राज्य के महानतम शासक कृष्णदेव राय की यशगाथा से लगभग अनजान हैं। समय आ गया है कि आप इतिहास को देखने का अपना चश्मा बदल लीजिए। विजयनगर साम्राज्य के संबंध में क्रमिकता से जानने के लिए आपको मेरे पूर्ववर्ती कार्यक्रमों को देखना चाहिए, जिसमें अब तक संगम वंश और सालुव वंश पर विस्तार से चर्चा की गई है। अब बात विजयनगर साम्राज्य के तुलुव वंश की, विशेषरूप से हम सम्राट कृष्णदेव राय पर चर्चा करने जा रहे हैं।
#vijaynagar #hampi #krishnadevrai #विजयनगर #हम्पी #कृष्णदेवराय