क्या मूर्ति में प्राण-प्रतिष्ठा हो सकती है? सत्यार्थ प्रकाश ग्यारहवाँ समुल्लास। आचार्य अंकित प्रभाकर

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Prahari

Prahari

9 ай бұрын

नमस्ते, वेद प्रचार के लिये, संस्कृति की रक्षा के लिये जो विद्यार्थी छात्र- छात्रायें वेदाध्ययन में अपना जीवन लगा रहे हैं। उनके अध्ययन, भोजन, वस्त्र आदि के लिये धर्मवीर संस्थान की ओर से आर्ष छात्रवृत्ति योजना प्रारम्भ की जा रही है। आपमें से जो भी इस योजना के साथ जुड़ना चाहते हैं, वे
१. एक छात्र का मासिक व्यय (3000 से 5000 अनुमानित) देकर एक अथवा अधिक ब्रह्मचारियों को गोद ले सकते हैं।
२. प्रतिवर्ष 25000 या उससे अधिक की स्थाई राशि भी जमा कर सकते हैं।
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Пікірлер: 491
@manjulata1676
@manjulata1676 9 ай бұрын
जब तक लोग वेद को नहीं समझेंगे तब तकईश्वर को नहीं समझेंगे
@Bhaskar12338
@Bhaskar12338 8 ай бұрын
जी भाई जी बिलकुल ❤
@aparyan9992
@aparyan9992 8 ай бұрын
Eeshwar samajh (arthaat Tark) Nahin Anubhav ka Vishay hai.
@sitaramsahani4541
@sitaramsahani4541 5 ай бұрын
Jo ved padhe aur bhed kare ,jitna gyan kahe lekin phir bhi bhagwan ko nahi pa sakate
@skbedi6644
@skbedi6644 8 ай бұрын
इंसान उस प्रभु की जीती जागती मूर्ति है।इंसानों से प्यार करो उससे प्यार हो जायेगा।
@user-gn3vb5vu9z
@user-gn3vb5vu9z 7 ай бұрын
वाह वाह, बहुत ही शानदार संदेश है👌आपको सादर प्रणाम 🙏
@smarttech4452
@smarttech4452 8 ай бұрын
बहुत बढ़िया ब्याख्या आपके द्वारा दिया गया। बिल्कुलआँखे खोलने वाली।
@raviyadavmusicaljourney4019
@raviyadavmusicaljourney4019 9 ай бұрын
ओम् शांति ओ३म् सबको सादर नमस्ते जी 🕉️🚩😊🙏
@vijendraverma799
@vijendraverma799 7 ай бұрын
प्रभाकर जी आपने बहुत अच्छे ढंग से बताया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद। आप इसी तरह जिज्ञासुओं की शंकाओं का समाधान करते रहें। पत्थर की मूर्ति मे किसी भी तरह से प्राण प्रतिष्ठा नही हो सकती। यदि पत्थर,धातु या लकडी की मूर्ति में प्रतिष्ठा हो जाती तो मृत मनुष्यों को प्राण प्रतिष्ठा (प्राण डाल कर ) करके जीवित कर लेते। घर में रखे कुत्ते, बिल्ली, चिडिया, गुड्डे, गुडियों के खिलौनो, जगह जगह नेताओं, विद्वानों के स्टेचुओं मे प्राण डालकर जीवित कर लिया जाता। जो लोग प्राण प्रतिष्ठा करते हैं वे बताएं कि क्या प्राण प्रतिष्ठा के बाद जड मूर्ति जीवित हो जाती है अर्थात् खाने पीने, बोलने, देखने, सुनने , चलने, स्वांस लेने लगती है , अगर नही तो कैसे कहा जाता है/ माना जाता है कि जड मूर्ति मे प्राण प्रतिष्ठा हो गयी।
@jaiprakashdahiya1448
@jaiprakashdahiya1448 8 ай бұрын
अद्भुत ,वास्तव में।
@user-yu3bv7mh9p
@user-yu3bv7mh9p 9 ай бұрын
आचार्य जी को प्रणाम🙏 बहुत ही सुन्दर ढंग से समझाया आपने प्राण प्रतिष्ठा के बारे में।
@rameshwarprasadbinwal6553
@rameshwarprasadbinwal6553 8 ай бұрын
आचार्य जी शत शत नमन।आप सुन्दर ढ़ंग से समझाते हैं।
@rameshwarprasadbinwal6553
@rameshwarprasadbinwal6553 8 ай бұрын
क्या वेद भगवान के द्वारा लिखे गये है।
@aparyan9992
@aparyan9992 8 ай бұрын
Ved Gyanmykosh se Chidakaash me Paravaani VA swaran akshron me prakat hue jo Divya'drishti se Mahrishion ne Suna (shruti) aur Padha.
@arvindsahu752
@arvindsahu752 16 күн бұрын
पाखंड वाद पर बेहतरीन प्रहार भाई 👍👍👍🙏🙏
@Bhaskar12338
@Bhaskar12338 8 ай бұрын
यही लोग बोलते हैं कि कण कण में नारायण का बास है, लेकिन जब वास पहले से है तो प्राणप्रतिष्ठा की क्या आवश्यकता 😂😂😂😂
@mckashyap4443
@mckashyap4443 8 ай бұрын
अगर प्राण प्रतिष्ठा मुरति में करते हैं तो वह वोलती क्यों नही
@Bhaskar12338
@Bhaskar12338 8 ай бұрын
@@mckashyap4443 सही बात है । न बोलती न खाती,
@GovindKumar-pb7op
@GovindKumar-pb7op 7 ай бұрын
😂😂😂
@Athato_Brahmajijnasa
@Athato_Brahmajijnasa 6 ай бұрын
वास तो सर्वत्र है, लेकिन जैसा परब्रह्म साकार है और जैसे साकार ब्रह्म की उपासना है, वैसी निराकारवत् फैले हुए अंतर्यामी ब्रह्म की उपासना नहीं हो सकती, इसलिए उन साकार ब्रह्म की उपासना के लिए मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा की जाती है।
@veda-vaani_aacharya-vijay
@veda-vaani_aacharya-vijay 6 ай бұрын
​​​@@Athato_Brahmajijnasa 👉 ब्रह्म वा परमात्मा तो निराकार ही है, साकार नहीं। आत्मा की तरह, परमात्मा भी न जन्म लेता है, न मरता है, सदा से है और सदा रहेगा। यह दोनों ही स्वरूप से अविनाशी, नित्य हैं; इन्हें किसी ने बनाया नहीं, साकृत (साकार) नहीं किया। साकार होना तो प्राकृतिक वा भौतिक शरीरादि वस्तुओं में होता है, जो कि प्रकृति के परमाणुओं के योग से बनते हैं। इसके विपरीत आत्मा और परमात्मा दोनों अभौतिक, रचना और विनाश से पृथक्, निराकार ही हैं। अधिकतर साकार वस्तु स्थूल होते हैं और नेत्रों से दिखते हैं अथवा सूक्ष्मदर्शी यंत्रों से भी देखे जा सकते हैं। परंतु परमात्मा अणु से भी अणुतम अथवा सूक्ष्म से भी सूक्ष्मतम है, इसलिए यह अव्यक्त वा निराकार परमात्मा नेत्रों वा सूक्ष्मदर्शी यंत्रों की पकड़ में नहीं आता, परंतु ध्यानयोग रूपी आंतरिक दृष्टि से देखा जाता है। 👉 शास्त्रों में इसी निराकार सूक्ष्म ब्रह्म वा परमात्मा की उपासना और साक्षात्कार ध्यानयोग द्वारा करने बताये गये हैं - *सूक्ष्मतां चान्ववेक्षेत योगेन परमात्मनः।* - विशुद्ध मनुस्मृति ६/६५ - (च) और (योगेन परमात्मन: सूक्ष्मताम्) योगाभ्यास से परमात्मा की सूक्ष्मता को (अवेक्षेत) प्रत्यक्ष करे। *उच्चावचेषु भूतेषु दुर्ज्ञेयां अकृतात्मभिः। ध्यानयोगेन संपश्येद्गतिं अस्यान्तरात्मनः॥* - विशुद्ध मनुस्मृति ६/७३ - (उच्चावचेषु भूतेषु) बड़े-छोटे प्राणी-अप्राणियों के भीतर (अस्यान्तरात्मनः गतिम्) इस अन्तर्यामी परमात्मा की गति को संन्यासी (ध्यानयोगेन संपश्येत्) ध्यानयोग से सम्यक्ता देखा करे, (अकृतात्मभिः दुर्ज्ञेयाम्) जो कि अशुद्धात्माओं से जानने वा देखने के अयोग्य है। 👉 महाभारत गीताप्रेस, शांतिपर्व, अध्याय २३९ के निम्न श्लोकों में ईश्वर-प्राप्ति के लिए महर्षि व्यास द्वारा अपने पुत्र शुकदेव को योगसाधना के उपदेश का वर्णन है - *एवं सप्तदशं देहे वृतं षोडशभिर्गुणैः। मनीषी मनसा विप्रः पश्यत्यात्मानमात्मनि ॥ १५ ॥* - इस प्रकार बुद्धिमान् ब्राह्मण इस शरीर में पाँच इन्द्रिय, पाँच विषय, स्वभाव, चेतना, मन, प्राण, अपान और जीव - इन सोलह तत्त्वों से आवृत सत्रहवें परमात्मा का मन के द्वारा आत्मा में साक्षात्कार करता है। *न ह्ययं चक्षुषा दृश्यो न च सर्वैरपीन्द्रियैः। मनसा तु प्रदीपेन महानात्मा प्रकाशते ॥ १६ ॥* - इस परमात्मा का नेत्रों अथवा सम्पूर्ण इन्द्रियों से भी दर्शन नहीं हो सकता। यह महान् आत्मा विशुद्ध मनरूपी दीपक से ही बुद्धि में प्रकाशित होता है। *अशब्दस्पर्शरूपं तदरसागन्धमव्ययम्। अशरीरं शरीरेषु निरीक्षेत निरिन्द्रियम् ॥ १७ ॥* - वह आत्मतत्त्व यद्यपि शब्द, स्पर्श, रूप, रस और गन्ध से हीन, अविकारी तथा शरीर-रहित और इन्द्रियों से रहित है, तो भी शरीरों के भीतर ही इसका अनुसंधान करना चाहिये। *अव्यक्तं सर्वदेहेषु मर्त्येषु परमाश्रितम्। योऽनुपश्यति स प्रेत्य कल्पते ब्रह्मभूयसे ॥ १८ ॥* - जो इस विनाशशील समस्त शरीरों में अव्यक्त (निराकार/सूक्ष्म) भाव से स्थित परमेश्वर का ज्ञानमयी दृष्टि से निरन्तर दर्शन करता रहता है, वह मृत्यु के पश्चात् ब्रह्मभाव को प्राप्त होने में समर्थ हो जाता है।
@mohitkumararya8392
@mohitkumararya8392 8 ай бұрын
ओउम्💐 सादर नमस्ते आचार्य जी👏👏
@Munna-yq4gf
@Munna-yq4gf 8 ай бұрын
महर्षि दयानंद अमर रहे सत्यार्थ प्रकाश जिंदाबाद
@chandradutt1854
@chandradutt1854 8 ай бұрын
क्रान्तिकारी विचार।
@anirudhprasad6890
@anirudhprasad6890 8 ай бұрын
Namaste Guruji correct logic correct topic I like your answer thank u for good guidance Vande Mataram Jay Hind Jay Bharat
@user-us2gl3yd4e
@user-us2gl3yd4e 8 ай бұрын
अति,सुन्दर,ऐसा,ही,होना,चहिये
@joshimahesh-pd8nx
@joshimahesh-pd8nx 7 ай бұрын
Thank you for great knowledge
@sureshparikh2610
@sureshparikh2610 8 ай бұрын
अति सुंदर
@kamleshmahli8345
@kamleshmahli8345 8 ай бұрын
Aacharya ji dhanywad ponga pandito ki jankari dene ke liye
@rajendraprasad2321
@rajendraprasad2321 8 ай бұрын
सत्यमेव जयते।
@pritamroy1391
@pritamroy1391 7 ай бұрын
बहुत ही अच्छा लगता है नमस्कार गुरुजी
@kasturpatel9911
@kasturpatel9911 8 ай бұрын
Namaste mahasy satya bol ne ke liye danyavad
@visheshredewal677
@visheshredewal677 5 ай бұрын
Bahut satty bat he me aap se sahamat hun satyarth Parkash me sabkuch sahi he
@rajeshtiwari8377
@rajeshtiwari8377 8 ай бұрын
जो हम देख पाते है सुन पाते है सुंघ पाते है जो हम छु पाते है स्वाद ले पाते है सोच समझ पाते है वो सब कुछ इश्वर है और जिसके द्वारा ये सब कुछ होता है वो इश्वर है
@stock.92
@stock.92 8 ай бұрын
Ok
@BahadurAli-hh4wj
@BahadurAli-hh4wj 8 ай бұрын
Kyon na hum maan le ki prakrity hi Ishwar hai kyonki wohi Nirakaar hai Surya se hi sarasti ka nirmaan hua uske taap se hur prani mein pran hai woh bhi Nirakaar hai baaki sub vyarth hai dharmon ki soch kewal kalpnik hai koi bhi dharm ho andhviswas se bhara pada hai dharma taran ka yahi mukhya kaaran hi jise samaj nakarta hai.
@mithleshsharma3096
@mithleshsharma3096 Ай бұрын
Guru dev g sty ktha jey ho
@dhanadasmanikpuri2042
@dhanadasmanikpuri2042 8 ай бұрын
Outstanding sir
@shivalalghimiray6996
@shivalalghimiray6996 8 ай бұрын
Jai ho Gurudev.
@seemaarya1927
@seemaarya1927 8 ай бұрын
Om ATI sundar pravachan
@BharatKumar-jb7pz
@BharatKumar-jb7pz 8 ай бұрын
¹
@user-ur7fw5bf1s
@user-ur7fw5bf1s 8 ай бұрын
यदि आपकी बात पूरी तरह सही है,तो वेदों में देवताओं का आवाहन करने के लिए मंत्र कहां से आए।
@Adityapl841
@Adityapl841 8 ай бұрын
वेदों में एक मंत्र हैओ३म् विश्वानि देव सवितर्दुतानि परासुव यद भद्दम तनासुव यहां पर देव का अर्थ ईश्वर है संपूर्ण विश्व का देवता अर्थात ईश्वर
@guptaprasadpadhy9860
@guptaprasadpadhy9860 8 ай бұрын
Pranaam prabhuji prabhuji
@j.vnarayanrao5493
@j.vnarayanrao5493 7 ай бұрын
Thank you so much 🙏👌
@user-ur7fw5bf1s
@user-ur7fw5bf1s 8 ай бұрын
सनातन धर्म में साकार और निराकार दोनों प्रकार की पूजा का विधान है। ऋषि दयानंद भी निराकार पूजा के समर्थक थे।
@anukumari835
@anukumari835 3 ай бұрын
Sakar ka mtlb san jiv hai jinhe hum dekh rahe hai prakriti ki puja 🙏 🙏 🙏
@adityasrivastava7849
@adityasrivastava7849 4 ай бұрын
अंकित प्रभाकर जी आप की जानकारी बहुत साधारण भाषा है जो आसानी से समझा जा सकता है पर आपसे प्रार्थना है कि मंदिरों में बैठ कर पाखंड अन्धविश्वास दूर किये बिना ये सब बंद नहीं करवा सकते हैं अतः आप सभी खुले प्रांगण में मैदान में आयोजन किया जाना चाहिए ताकि लोगों इकट्टा कर ने के लिये जगह जगह हर वार्ड में आयोजन करना होगा दयानंद सरस्वती जी सब जगह जा कर पताका गाड़ कर शास्त्रार्थ करते थे तभी लोगों को इतना बडा आर्य लोगों को इकट्ठा करके समाज बनाया 🙏🙏
@pnmishra6048
@pnmishra6048 2 ай бұрын
य़ह प्रश्न तो राम कृष्ण परम हंस, धन्ना जाट,और भक्त प्रहलाद से पूछना चाहिए. भावना को तर्क से नही जाना जा सकता. स्वामी राम सुख दास जी ने मूर्ति पूजा का जवाब बहुत अच्छा दिया है
@reshusinha7838
@reshusinha7838 7 ай бұрын
Fantastic information,
@ShivKumar-ml8vo
@ShivKumar-ml8vo 9 ай бұрын
Aacharya ji Sadar pranam om shanti om
@SajalRoy-tm7vr
@SajalRoy-tm7vr 8 ай бұрын
जय हो
@SriRam-ye4ym
@SriRam-ye4ym 8 ай бұрын
आप बाकई में सत्य की खोज में लगे हुए हैं .
@user-zi4wm9gy3f
@user-zi4wm9gy3f 8 ай бұрын
Very fine sirji
@sunilmaitri8783
@sunilmaitri8783 8 ай бұрын
GoodNews
@durgeshkashyap6
@durgeshkashyap6 5 ай бұрын
अति उत्तम विचार sir
@avinashtiwari1787
@avinashtiwari1787 11 күн бұрын
Aise video aap banate raho roz ek video
@rajubawa4372
@rajubawa4372 9 ай бұрын
ओम्। नमस्ते अचार्य जीं जय आर्यावर्त
@pramodsharma5995
@pramodsharma5995 8 ай бұрын
जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन्ह तैसी।
@amritdasdewan3081
@amritdasdewan3081 8 ай бұрын
😊 बहुत अच्छा लगा
@ushamalik6229
@ushamalik6229 9 ай бұрын
सुप्रभातम् शुभकामनाएं ओ३म् 🙏🏼🚩 हार्दिक धन्यवाद कृण्वनतो ‌विश्वार्यम । जय आर्य जय आर्यव्रत । वन्देमातरम् वन्देमातरम् वन्देमातरम् ...... 🇮🇳
@pratapchandrasahoo-xd8zj
@pratapchandrasahoo-xd8zj 7 ай бұрын
Sir very good analaise
@SiyaRam-oi3qc
@SiyaRam-oi3qc 8 ай бұрын
बहुत अच्छा और तर्कपूर्ण ब्याख्यान
@surendrasinghkushwaha2630
@surendrasinghkushwaha2630 8 ай бұрын
धर्म का तात्पर्व, क्या जीव मात्र के लिए आवश्यक है। दुनिया में अलग अलग कबीले धर्म को परिभाषित क्यों किया जाता है🙏। धर्म के लिये क्यों झगड़े होते हैं। जबकि प्रकृति के अलावा कोई शक्ति शाली नहीं है। जब कि जो प्रकृति चाहती वही होता है।
@panditsatishattri306
@panditsatishattri306 8 ай бұрын
धर्म के लिए नहीं मत मजहबों के लिए लड़ते हैं लोग।धर्म का मतलब मूल प्रकृति है।जिसे स्वभाव कहते हैं।जैसे अग्नि का स्वभाव उष्णता और प्रकाश है।वैसे ही मनुष्य का मूल स्वभाव दया,सत्य,धैर्य,विद्या आदि है।इसी को धर्म कहते हैं।इसके विपरीत अधर्म कहलाता है।
@jaikishan3728
@jaikishan3728 6 ай бұрын
Namo Nameh Guru Ji
@harigovindshastri967
@harigovindshastri967 8 ай бұрын
अति सुन्दर विवेचन, धन्यवाद।
@pahalvatipandram5473
@pahalvatipandram5473 8 ай бұрын
Very nice and like your aansar ( dindori vikrampur)
@sukantadas3889
@sukantadas3889 9 ай бұрын
Namaste
@sajidsajid5674
@sajidsajid5674 5 ай бұрын
You are right sir
@richagera4170
@richagera4170 9 ай бұрын
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
@shreegodfather0072
@shreegodfather0072 8 ай бұрын
सारी बात भावना की है " जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूर्त देखी तिन तैसी " बाकी सब अपनी अपनी मन मत है।
@anukumari835
@anukumari835 3 ай бұрын
😂😂😂😂
@user-zd9fy1ic2x
@user-zd9fy1ic2x 8 ай бұрын
सादर प्रणाम 🙏कुछ वीडियो ऐसी सामने आई प्राण प्रतिष्ठा के समय मूर्ति की आंखों से पट्टी हटाने से शीशा टूट जाता है कृपया मार्गदर्शन करे जी।
@madhurgeeth
@madhurgeeth 8 ай бұрын
शीशा अपने आप नहीं टूटता! प्राण-प्रतिष्ठा के समय बहुत कमजोर पतले शीशे का आइना पुजारी अपने दोनों हाथों से मूर्त्ति कू सामने लाता है और सूक्ष्म रूप से आइने के शीशे पर दोनों हाथों के मध्य में किञ्चित तिर्यक दबाव देता है जिसपर उपस्थित पुजारी और भक्तजन ध्यान नहीं देते। कभी भी पुजारी इस अनुष्ठान के समय एक हाथ से आइने को नहीं पकड़ता है!
@shyamjangid7171
@shyamjangid7171 7 ай бұрын
हमारे देश में सभी धार्मिक कहलाने वाले लोग एक ही सोच के हैं सभी को दान चाहिए बात चाहे कैसी ही करे
@LaxmiSharma-bx9ds
@LaxmiSharma-bx9ds 8 ай бұрын
मूर्ति का रहस्य आर्य समाज ने समझख ही नहीं रामकृष्णजी से मूर्ति (देवी स्वयं)आकर बाते करती थी मन्दिर वह स्थान है जहां जाकर हमरी आत्मा में यह भाव जगते है कि यह ईश्वर है सायकिल ,बस ,कार में हवा भरने के लिये उसी स्थान पर जाना पड़ता है जहां भरी जा सके वरना हवा तो सब जगह है ऐसे ही मन्दिर प्रभू को प्राप्त करने का भाव जगाता है
@rajendramishra7423
@rajendramishra7423 8 ай бұрын
सटीक उत्तर और सनातन मूर्ति पूजा में दृढ़ विश्वास के लिए धन्यवाद और यथोचित प्रणामाशीर्वाद|
@rajendramishra7423
@rajendramishra7423 8 ай бұрын
न तस्य प्रतिमा अस्ति ,पढ़ते हैं स एव जातः स जनिष्यमाणः भूल जाते है आर्यसमाजी|
@mithileshkumarjha4315
@mithileshkumarjha4315 7 ай бұрын
लाजवाब❤
@anukumari835
@anukumari835 3 ай бұрын
Agr aisa hota to har aadami or jiv oxygen ka bag lekar pith kr chlta hawa lene ke liye 😂😂😂
@anukumari835
@anukumari835 3 ай бұрын
Ramkrishna ki kalpana tha B's daily ik chiz ki kalpana karte karte wo chiz samne hi dikhne lgta hai 🙏🙏🙏🙏
@DelightfulBakedBread-gy6mo
@DelightfulBakedBread-gy6mo 5 ай бұрын
गजब का का प्रश्न किया है अपने सुनकर बहुत बहुत ही जानकारी मिला आप का धन्यवाद यैसे ही ज्ञान वर्धक जानकारी इस मुर्ख समाज को देते रहिए सायद भांग का नशा उतर जाय लेकिन ये नशा बहुत ही घोट घोट कर पीला रखा है तो बहुत समय लगेगा लेकिन एक एक दिन उतरेगा जरूर क्यो की आज का पीढी शिक्छित हे
@mayankkhanduriu.k.107
@mayankkhanduriu.k.107 Ай бұрын
विनाश काले विपरीत बुद्धि Wait and watch
@SagarGupta-bt4xo
@SagarGupta-bt4xo Ай бұрын
विनाश काले सीधी बुद्धि 🤣🤣🤣🤣
@shashisingh2774
@shashisingh2774 8 ай бұрын
मूति मे आहवान करके ईश्वर को प्राण प्रतिष्ठित कर सकते है । जो बुलाता है ईश्वर भी उसी के लिये अन्य के लिये नही । जैसे आपके आंखो से देखेगे । दूसरे की आंखो से जैसे हम नही देख सकते । ईश्वर उर्जा का प्रतीक है । आपको मालूम है चूल्हा में विभिन्न तरह के पकवान बनते है ' लेकिन सिर्फ चूल्हा के सामने खडे होकर पकवान मांगने से नही मिलेगा । पहले आपको लकड़ी लाकर उर्जा बनानी पड़ेगी फिर आपको सामग्री लाकर हांडी में डालकर पकानी पड़ेगी । आप उसमें जो सामग्री डालेगे मन लगाकर जब बनायेगे । उसी अनुसार पकवान तैयार होगा । खट्टा मीठा नमकीन ।
@PkSingh-bs5vh
@PkSingh-bs5vh 8 ай бұрын
प्रणाम आपको बहुत र्ताकिक सुझाव दिया🙏🙏
@Rajivarya403
@Rajivarya403 8 ай бұрын
🙏
@gsrcreations108
@gsrcreations108 6 ай бұрын
ऋग्वेद के 10 वे मंडल में प्राण की देवी असुनीति के आवाहन से ही प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। बाद में अन्य मंत्रो और पौराणिक श्लोको का उच्चारण किया जाता है। और सत्यार्थ प्रकाश कोई सर्वमान्य ग्रन्थ नहीं है सिर्फ एक मायाधीन जीव की सिमित बुद्धि द्वारा लिखी टिका टिपण्णी की किताब है। 🎉🎉
@anukumari835
@anukumari835 3 ай бұрын
😂😂😂😂😂
@anukumari835
@anukumari835 3 ай бұрын
Murkh dwara dhandha bnaya gaya hai dharm ki
@motivational_411
@motivational_411 8 ай бұрын
Sahi Vichar
@gayaramtandon9298
@gayaramtandon9298 8 ай бұрын
आचार्य जी एक बार साइंस जर्नी से डिबेट कर लो।
@kaushalkumaragrawal2496
@kaushalkumaragrawal2496 8 ай бұрын
Yes
@ushagupta9103
@ushagupta9103 8 ай бұрын
very nice and very very right and useful topic for all.
@premkumarmerupo
@premkumarmerupo 8 ай бұрын
Logic Sahi hai
@punamuduli902
@punamuduli902 9 ай бұрын
Purnachandra Muduli Acharya namaste 🙏
@amarsinghsaini6688
@amarsinghsaini6688 5 ай бұрын
Guruji pranam Pran Partistha ke bad , kaya murti jivit ho jati h, ya fir man hi man kush hota h.
@yagyabhushansharma1008
@yagyabhushansharma1008 7 ай бұрын
🙏🕉️
@kamlaupreti9567
@kamlaupreti9567 8 ай бұрын
🕉🕉🙏🙏
@stunterboy7293
@stunterboy7293 8 ай бұрын
पेहली तो बात कोई मंत्र में इतनी शक्ति ने कि वह प्राण प्रतिष्ठा कर दे दूसरी बात वेदों के ज्ञाता हजारों इकट्ठे हो जाए परंतु मरे हुए मानव को कोई प्राण प्रतिष्ठित नहीं कर सकता जहां फिर वेद पुराण झूठे हो गए मंत्र भी झूठे हो गए मरे हुए को कोई जीवित करके बताएं फिर माने की प्राण प्रतिष्ठा होती है
@dayaramrohit2247
@dayaramrohit2247 8 ай бұрын
अति सुन्दर तर्क है और यथार्थ भी है
@rajeshshrivastava242
@rajeshshrivastava242 8 ай бұрын
निराकार ब्रह्म की उपासना
@sandeepyadav5000
@sandeepyadav5000 8 ай бұрын
अध्याय 12 : भक्तियोग श्लोक 5 क्लेशोSधिकतरस्तेषामव्यक्ता सक्तचेतसाम् | अव्यक्ता हि गतिर्दु:खं देहवद्भिरवाप्यते || ५ || जिन लोगों के मन परमेश्र्वर के अव्यक्त, निराकार स्वरूप के प्रति आसक्त हैं, उनके लिए प्रगति कर पाना अत्यन्त कष्टप्रद है | देहधारियों के लिए उस क्षेत्र में प्रगति कर पाना सदैव दुष्कर होता है |
@qwerty.002
@qwerty.002 8 ай бұрын
Pehle Gyan fir bhakti 😊 Bina Gyan ki bhakti Andhvishwas ko badhawa deti hai 🙏
@khoobchandgupta8946
@khoobchandgupta8946 5 күн бұрын
एकलव्य ने मूर्ति बनाकर धनुर्विद्या सीखी
@jaybhavani8416
@jaybhavani8416 4 ай бұрын
' Praan tattwa ' - granth Swami Vishanu Tirth Narayan Kuti Sanyaas Ashram , Devas , M.P. * Ram Mandir Praan Pratishta Deh Mandir Praan Jagruti Nath Guru Parampara praan tattwa ke sahare se chalne wali Sadhan Padhati Kundalini yoga Ramlal ji Siyag siddhayoga . ❤
@shrikrishnayadav2130
@shrikrishnayadav2130 8 ай бұрын
उस ईश्वर का स्वरूप क्या है जिसने वेदों को बनाया है? 🙏
@user-fg5tu1ci8i
@user-fg5tu1ci8i 8 ай бұрын
Ram
@PralaahChandra-eb2xm
@PralaahChandra-eb2xm 8 ай бұрын
कण कण में है पर स्वामी जी को शायद ही मिला हो
@abhimanyupatel9403
@abhimanyupatel9403 5 ай бұрын
आप राष्ट्र के जीवंत पुरोहित हो सकते हैं परंतु हम राष्ट्र को जागृत और जीवंत बनाए रखने वाले पुरोहित हैं
@avinashtiwari1787
@avinashtiwari1787 11 күн бұрын
Bhaiya jabhi to hamre sath mazak chal raha hai
@jagatramsharma6764
@jagatramsharma6764 8 ай бұрын
But about sarkar a nd nirakar.Ramayana last chapter .want to know your views
@sunilaggarwal3363
@sunilaggarwal3363 9 ай бұрын
आचार्य जी ओम मैं आपके पास एक वीडियो लिंकउसके बारे में अपनी राय दीजिए
@jaybhavani8416
@jaybhavani8416 8 ай бұрын
Aadya Shankaracharya ke literature me For ex. Vivekchudamani Aprokshanubhuti Aatmabodh jo avastaye sadhak ko prapta hoti hai , aisi avastaye kisi Arya Samaji sadhak ko prapta huvi hai kya ?
@jaybhavani8416
@jaybhavani8416 8 ай бұрын
Aatmanubhuti pabhe
@kenp8050
@kenp8050 7 ай бұрын
Through Praan Pratishtaa and Murati pooja lots of karmkaandi Brahmins earn livelihood without being Bhikshuk and working hard in the fields.
@mahendrabehera7822
@mahendrabehera7822 7 ай бұрын
Alekha mahima bromha saranam
@kapilsaini3436
@kapilsaini3436 8 ай бұрын
Refence de diya kro kuch ved mantar cot krke
@TejpalSingh-bv8ff
@TejpalSingh-bv8ff 8 ай бұрын
सूकशम शरीर और कारण शरीर होता है क्या? बिना साधना के सूकशम शरीर के दर्शन कराया जाता है क्या?
@dolmayaneopane8519
@dolmayaneopane8519 7 ай бұрын
गुरुजी को धन्यवाद ,ईसिलिए बुध्दने मुर्ति बनानेको रोकाथा?
@babulalmeena9601
@babulalmeena9601 2 ай бұрын
Sanyog Rashi ka kya karoge Guruji
@ramachalsingh7536
@ramachalsingh7536 2 ай бұрын
मूर्ति पूजा का भी अपना विज्ञान है जिसे आप नहीं समझ सकते क्योंकि आप मूर्ति पूजा के विरोध में हैं और विरोध करने वाले को शिवाय विरोध के अलावा कुछ नजर नहीं आता बाकी जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी जय श्री राम
@ushadevi5489
@ushadevi5489 8 ай бұрын
Are Maharshi ji niyog ke bare mein bhi kuchh bataen satyarth Prakash say
@user-rr5qy2hh5h
@user-rr5qy2hh5h 8 ай бұрын
Docter har jate haen.lekin ekbar pran nikal jae to laota nahi pate phir patthar me pran kaese ? Joy hind.
@ramkrishandhakad1033
@ramkrishandhakad1033 9 ай бұрын
यदि मूर्ति में प्राण स्थापित किये जा सकते हैं तो मरे ब्यक्ति में पुनः प्राण क्यों नहीं डाले जाते।
@harishankarpathak9673
@harishankarpathak9673 8 ай бұрын
Ram krishna ji aap k nam k mutabik aap ka saval gambhir nahi hai
@rajendramishra7423
@rajendramishra7423 8 ай бұрын
मैने तो आज तक परमाणु,इलेक्ट्रॉन,प्रोटान भी नही देखा| आपने नहीं देखा लेकिन किसी ने देखा समझा उपकरण कार्य कर रहे हैं प्रत्यक्ष है| जो प्रत्यक्ष का विषय है प्रत्यक्ष होगा जो अनुभव का विषय है अनुभव होगा | मन की गति किमी/घंटा में मापने का प्रयास कैसा रहेगा?
@rajendramishra7423
@rajendramishra7423 8 ай бұрын
परमहंस रामकृष्ण मूर्ति से बात करते थे भोजन कराते थे| रसखान,बिन्दु ,बैजू कितना नाम गिनाएं|
@rajendramishra7423
@rajendramishra7423 8 ай бұрын
योगी कथामृत (योगानंद जी) पुस्तक पढ़ें सब उत्तर मिल जायेगा | महीनों तक शव (बिना किसी भौतिक लेप आदि के)से जरा भी दुर्गन्ध नहीं आया| दो तीन बार दिल से पुरा पढ़ें| योगी कथामृत|
@anukumari835
@anukumari835 3 ай бұрын
​@@rajendramishra7423😂😂😂😂
@avadheshsinghchauhan3031
@avadheshsinghchauhan3031 8 ай бұрын
Satyamev
@MaheshGupta-dt8hu
@MaheshGupta-dt8hu 8 ай бұрын
ईसाई और इस्लाम धर्म पर कृपया प्रकाश डालें
@qwerty.002
@qwerty.002 8 ай бұрын
Satyarth prakash ka 13th and 14th chapter muslims aur christians ki pol kholta hai 😊 Kripya ek baar satyarth prakash awashya padhiye aur buddhi ke tark se Satya aur asatya me antar kijiye 🙏 Aum 🙏
@yagyarajgyawali9853
@yagyarajgyawali9853 8 ай бұрын
भगवान तो अदृष्य है । मुझे उनसे कुछ लेना है अर्थात कुछ प्राप्त करना है इसिलिए मैने उनको प्रसन्न करना चाहता हुँ । इसिलिए उनको प्रसन्न करनेके लिए उनके संझनाके लिए शास्त्रमे बतए गए आकारके अनुसार मुर्ती कुदाक्र स्थापित करके उस्मे मन्त्रोके शक्तिके अनुसार उनको उस मुर्तिमे बिराजमा होनेके लिए आमन्त्रण करते है तब उस स्थुल शरीर पर हम अपना विधि अनुसार उनको पूजा आरधना करते है । इसपर आँप क्या कहसक्ते है ।
@anukumari835
@anukumari835 3 ай бұрын
Bhai man me kalpana karna hai n ki pathar ki murti bna le a hai
@yagyarajgyawali9853
@yagyarajgyawali9853 3 ай бұрын
@@anukumari835 तबतो पूजाभि मन्मेही किजिए !
@anukumari835
@anukumari835 3 ай бұрын
@@yagyarajgyawali9853bhagwan ka dhyan andar hi hota n ki bahar dikhawa karo
@anukumari835
@anukumari835 3 ай бұрын
@@yagyarajgyawali9853 aapne aap ko jaan loge to bhagwan ka anubhav ho jayega
@ShamsherSingh-fb6kn
@ShamsherSingh-fb6kn 9 ай бұрын
Aacharya ji gorakhnath machhandar nath per Prakash, dale
@janaknimavat2988
@janaknimavat2988 9 ай бұрын
हमारी आखे इतनी दिव्य नहीं है की हम कंन कंन मे भगवान् को देख सके संजय और अर्जुन जैसे भगवान् दिव्य चखसु दे तो हम देख शकते है हमारा अज्ञात मन चित्र और साकार वस्तु पकड़ शकता है इसलिए ऋषि मुनि ओ ने मूर्ति की अनमोल भेट दी है दयानंद सरस्वती ज्ञानी और समाज सुधारक थे लेकिन भक्त नहीं पत्थर मे भगवान् देखने के लिए भक्त हृदय चाहिए श्री कृष्ण भगवन ने भी गोवर्धन पूजा की थी तो क्या वो गलत थे? हा चोक्कस कुछ पंडा ओके कारण पाखंड आ गया था राम ने रामेश्वर शिव लिंग् की स्थापना की क्या वह गलत है हमारी दयानंद सरस्वती जी जैसी साधना नही है की हम निराकार की उपासना कर शके सभी जीव k G मे अभ्यास कर रहे है जब p H D banege तब मूर्ति पूजा छोड देगे
@nareshpalaya1170
@nareshpalaya1170 9 ай бұрын
सही कहा है.तर्क से शक्ति अनुभव नही मिलता है.
@VIRENDRAKUMAR-ym4xg
@VIRENDRAKUMAR-ym4xg 8 ай бұрын
Bhai Aastha aur tark hi to do paar hain jissae sadhak tatav ka shakshat kartae hain. Aap log Aastha to rakhtae ho tark ki avaelhna kartae ho is karan parmatma ki prapti sae door hon. OM TAT SAT.
@nirmalasiwach4118
@nirmalasiwach4118 8 ай бұрын
बहुत सुन्दर लिखा भाई ने धन्यवाद
@h.l.diwakar4845
@h.l.diwakar4845 8 ай бұрын
मूर्ति में कभी प्राण नहीं आ सकते हैं
@omchauhan1821
@omchauhan1821 7 ай бұрын
Sahi kha aap ne ye apne aap bahot bade 😅gyaani samaj ke dusro ko nicha bata ke apne gyaan ka pardsan kar rahe hai😅
Sigma Girl Past #funny #sigma #viral
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Он сильно об этом пожалел...
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