Narendra Modi काय म्हणाले आणि वास्तव काय? Watch 'Karan Rajkaran' With Sanjay Awate | Lokmat

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Күн бұрын

Narendra Modi काय म्हणाले आणि वास्तव काय? Watch 'Karan Rajkaran' With Sanjay Awate | Dr. Babasaheb Ambedkar | Lokmat
"Congress ended Dr. Babasaheb Ambedkar's politics" is it true? What lies? |
"डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरांचे राजकारण कॉंग्रेसने संपवले"
खरे काय? खोटे काय?
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Пікірлер: 549
@Lokmat24
@Lokmat24 5 ай бұрын
एनडीए की इंडिया? महायुती की मविआ? महाराष्ट्रातील सर्वात मोठा ओपिनियन पोल तुमचं मत नोंदविण्याकरिता खालील लिंकवर क्लिक करा www.lokmat.com/lokmat-loksabha-opinion-poll-2024/
@shrirangkatre8467
@shrirangkatre8467 5 ай бұрын
13:16 13:19 13:23 13:26 13:28
@ManoharGonnade
@ManoharGonnade 5 ай бұрын
44 8
@anandganvir9684
@anandganvir9684 4 ай бұрын
Apanyogyamahitidilityabadalapalehardikswagatjaishivraijaibheem
@rahulbansode1443
@rahulbansode1443 4 ай бұрын
एनडीए की इंडिया आणि महायुती की मविआ ह्यामध्ये तुम्हाला तिसरा कोणीच येऊ द्यायचा नाही.. किती हलकट आणि नीच्च प्रवृत्ती चे लोक आहात तुम्ही.
@santoshlokhande8055
@santoshlokhande8055 3 ай бұрын
हा प्रश्न चुकीचा आहे कारण आपण दलाली केलेली पत्रकारिता या प्रश्नांमध्ये आहे.
@vishwanathkamble5043
@vishwanathkamble5043 5 ай бұрын
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर भारतीय राज्यघटनेचे शिल्पकार झाले ते स्वतःच्या बौद्धिक क्षमतेमुळेच ! त्यामध्ये बाकी कुणाचेही योगदान नाहीये सर ... जय भीम
@anandganvir9684
@anandganvir9684 4 ай бұрын
@komaldasathawale9558
@komaldasathawale9558 4 ай бұрын
हीरा हा हीरा आहे पण त्यांची किंमत जोहरी ठरवतो, ही-याला हीरा असल्याची जानिव असते पण त्याच मोल हीरा ठरवत नाही
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 3 ай бұрын
आदरणीय महोदय संजय आवटे यांनी चांगल्या हेतूने सत्य सांगितले आहे, तरीही ते दीर्घकाळासाठी पुरेसे नाही. तरीही मी म्हणतो ते अर्धसत्य आहे. स्थिर, दीर्घकालीन किंवा कायमस्वरूपी सामाजिक आणि धार्मिक सौहार्दासाठी, आपल्या राष्ट्राला इतिहास, जात आणि धर्म व्यवस्था यावर देशव्यापी चर्चा आवश्यक आहे. या दिशेने केलेल्या माझ्या प्रयत्नांची मी थोडक्यात माहिती देत ​​आहे. हमारे देश में नैतिकता का अभाव है। हम सिर्फ़ उच्च मूल्यों की बात करते हैं और कभी उन पर अमल नहीं करते। मैं इसे अपने उदाहरण से व्यक्त कर रहा हूँ।2015 से यह बात और भी सच हो गई है। मैं अपने अनुभव का ब्यौरा साझा कर रहा हूँ। मेरी राय में, नैतिकता की कमी की यह समस्या हिंदू धर्म के विरोधाभास का कड़वा फल है। जब भी आप हमारे देश में किसी भी व्यक्ति से जाति और धर्म के बारे में कुछ सुनते हैं, चाहे वह बुद्धिजीवी हो या राजनीतिक नेता, हमेशा एक महत्वपूर्ण बात याद रखें। आपको कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो पूरी तरह से सच बोलता हो। आपको उसके राजनीतिक झुकाव के अनुसार आधा सच या झूठ मिलेगा। आधे सच या झूठ का प्रतिशत व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होगा। जितना बेशर्म व्यक्ति, उतना अधिक आधा सच और झूठ। यदि व्यक्ति अच्छा है, तो अच्छे इरादे या ज्ञान की कमी के कारण वह आधा-अधूरा सच बोलेगा। मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ जो वास्तव में गैर राजनीतिक हूँ और इसलिए केवल सच बोलने की स्थिति में हूँ। 26 जून 2024 तक का सत्य 30 जनवरी 1948 से भारत का सामाजिक और धार्मिक ताना-बाना कमज़ोर होता चला गया। 30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था? गोडसे ने गांधीजी की हत्या की। इस दुखद घटना ने जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में पक्षपात को बढ़ावा दिया। यह प्रक्रिया जारी रही और आज हम सबसे खराब स्थिति में पहुँच गए हैं। जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में हम दुनिया में नंबर एक बेवकूफ राष्ट्र हैं। इस प्रक्रिया ने हमारे इतिहास को खराब कर दिया है। इतिहास अब हमारे देश में हास्य बन गया है। एक सच्चे साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए हमें इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा करनी चाहिए। एक लंबे धागे की उलझन से हर कोई परिचित है। अगर आप इसे सुलझाना चाहते हैं, तो यह बहुत ही नाजुक काम है। और हमारे पास हज़ारों सालों की ऐसी उलझन है। और ऐसा समाधान खोजना जो सभी को संतुष्ट कर सके, बहुत ही खास काम है। इसके लिए खास उपकरण की ज़रूरत होगी। मेरे पास ऐसा उपकरण है। मैंने इस उद्देश्य के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने और सभी को संतुष्ट करने में सक्षम है। लेकिन इसके लिए सरकार का समर्थन ज़रूरी है। मई 2022 तक, मैंने सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ कीं। और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया। मैं सभी सच्चे देशभक्त नागरिकों से सरकार से ऐसा अनुरोध करने का विनम्र अनुरोध करता हूँ। कृपया सरकार से मुझे एक अवसर देने का अनुरोध करें। आइए हम अपने देश को एक सच्चा साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाएँ। अवधूत जोशी
@suvi0suvidha
@suvi0suvidha 5 ай бұрын
इतिहासाची मोडतोड करून सान्गणे...प्रपोगंडा करणे हा हिन्दू महासभा अर्थातच आजच्या आर एस् एस् चा पायंडा आहे .
@sukalalshinde4144
@sukalalshinde4144 5 ай бұрын
101 % सत्य
@VijayManjrekar-xs9fe
@VijayManjrekar-xs9fe 5 ай бұрын
आर एस एस असल्यामुळे भारतावर पाकिस्तान कब्जा करु शकत नाही. भारताला इस्लामीक मुलुख बनवायला आर एस एस चा विरोध आहे. पाकिस्तानचा सर्वात मोठा शत्रू आर एस एस.
@VijayManjrekar-xs9fe
@VijayManjrekar-xs9fe 5 ай бұрын
भारत में किसी मदरसे में या कोई मुस्लिम नेताने डॉ बाबासाहेब आंबेडकर की जयंती मनाई गयी है तो फोटो भेजना. दलीत-मुस्लीम एकता का संदेश भेजना है .
@LordNecks-se1ts
@LordNecks-se1ts 5 ай бұрын
@@VijayManjrekar-xs9fe rss ke karyalay ka bhi bhejana...
@vishalsonawane6056
@vishalsonawane6056 3 ай бұрын
​@@VijayManjrekar-xs9feR.S.S. ने भारतीय तिरंगा पैरों तले कुचला यह फोटो भेजना है पुढील मराठीत सांगतो अंधभक्त अजूनही गुर्मित वागत आहेत तिकडे PAPA मिली +जुली+सरकार तयार करत आहे किती सत्तेवर राहण्यासाठी धडपड की आपले सरकार पडले की १० वर्षे केलेले कारस्थान बाहेर पडू नये याची काळजी ? पुछता है भारत .
@rupayelve9853
@rupayelve9853 5 ай бұрын
नेहरूंचे समर्थन आम्ही करतो नेहरून मुळे बाबासाहेबांना अपेक्षित बरेच कार्य करता आले, कोंग्रेस मधे नेहरू एकटेच जे सुधारवादी विचारांचे होते. बाबासाहेब आंबेडकर आणि गांधी यांच्या मधे किती ही मत भेद असले तरी गोडसे भुमीकेच समर्थन ना आंबेडकर ना आंबेडकरवादी करतं.
@VijayManjrekar-xs9fe
@VijayManjrekar-xs9fe 5 ай бұрын
एकदम बरोबर. डॉ बाबासाहेब आंबेडकर यांनी लिहिलेल्या लेटर्स ओफ डॉ आंबेडकर या पुस्तकात पृष्ठ क्रमांक १७९ वर लिहिले आहे की नथुराम गोडसे ने फारच छान काम केले आहे. डॉ बाबासाहेब आंबेडकर चांगल्या गोष्टीला चांगलेच म्हणणार.
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 3 ай бұрын
आदरणीय महोदय संजय आवटे यांनी चांगल्या हेतूने सत्य सांगितले आहे, तरीही ते दीर्घकाळासाठी पुरेसे नाही. तरीही मी म्हणतो ते अर्धसत्य आहे. स्थिर, दीर्घकालीन किंवा कायमस्वरूपी सामाजिक आणि धार्मिक सौहार्दासाठी, आपल्या राष्ट्राला इतिहास, जात आणि धर्म व्यवस्था यावर देशव्यापी चर्चा आवश्यक आहे. या दिशेने केलेल्या माझ्या प्रयत्नांची मी थोडक्यात माहिती देत ​​आहे. हमारे देश में नैतिकता का अभाव है। हम सिर्फ़ उच्च मूल्यों की बात करते हैं और कभी उन पर अमल नहीं करते। मैं इसे अपने उदाहरण से व्यक्त कर रहा हूँ।2015 से यह बात और भी सच हो गई है। मैं अपने अनुभव का ब्यौरा साझा कर रहा हूँ। मेरी राय में, नैतिकता की कमी की यह समस्या हिंदू धर्म के विरोधाभास का कड़वा फल है। जब भी आप हमारे देश में किसी भी व्यक्ति से जाति और धर्म के बारे में कुछ सुनते हैं, चाहे वह बुद्धिजीवी हो या राजनीतिक नेता, हमेशा एक महत्वपूर्ण बात याद रखें। आपको कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो पूरी तरह से सच बोलता हो। आपको उसके राजनीतिक झुकाव के अनुसार आधा सच या झूठ मिलेगा। आधे सच या झूठ का प्रतिशत व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होगा। जितना बेशर्म व्यक्ति, उतना अधिक आधा सच और झूठ। यदि व्यक्ति अच्छा है, तो अच्छे इरादे या ज्ञान की कमी के कारण वह आधा-अधूरा सच बोलेगा। मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ जो वास्तव में गैर राजनीतिक हूँ और इसलिए केवल सच बोलने की स्थिति में हूँ। 26 जून 2024 तक का सत्य 30 जनवरी 1948 से भारत का सामाजिक और धार्मिक ताना-बाना कमज़ोर होता चला गया। 30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था? गोडसे ने गांधीजी की हत्या की। इस दुखद घटना ने जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में पक्षपात को बढ़ावा दिया। यह प्रक्रिया जारी रही और आज हम सबसे खराब स्थिति में पहुँच गए हैं। जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में हम दुनिया में नंबर एक बेवकूफ राष्ट्र हैं। इस प्रक्रिया ने हमारे इतिहास को खराब कर दिया है। इतिहास अब हमारे देश में हास्य बन गया है। एक सच्चे साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए हमें इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा करनी चाहिए। एक लंबे धागे की उलझन से हर कोई परिचित है। अगर आप इसे सुलझाना चाहते हैं, तो यह बहुत ही नाजुक काम है। और हमारे पास हज़ारों सालों की ऐसी उलझन है। और ऐसा समाधान खोजना जो सभी को संतुष्ट कर सके, बहुत ही खास काम है। इसके लिए खास उपकरण की ज़रूरत होगी। मेरे पास ऐसा उपकरण है। मैंने इस उद्देश्य के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने और सभी को संतुष्ट करने में सक्षम है। लेकिन इसके लिए सरकार का समर्थन ज़रूरी है। मई 2022 तक, मैंने सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ कीं। और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया। मैं सभी सच्चे देशभक्त नागरिकों से सरकार से ऐसा अनुरोध करने का विनम्र अनुरोध करता हूँ। कृपया सरकार से मुझे एक अवसर देने का अनुरोध करें। आइए हम अपने देश को एक सच्चा साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाएँ। अवधूत जोशी
@dineshkamble4262
@dineshkamble4262 17 күн бұрын
अप्रतिम अभ्यासपूर्ण चिकित्सक विश्लेषण आणि सुरेख सोपी मांडणी. गांधी- आंबेडकर आणि नेहरू- आंबेडकर यांच्यातील तात्विक आणि राजकीय मतभेदाला विकृत पणे मांडून देशाची दिशाभूल करणाऱ्यांना चपराक दिली आपण. खूप धन्यवाद आणि आभार. डॉ दिनेश कांबळे
@MaheshkumarJadhav-b9u
@MaheshkumarJadhav-b9u 5 ай бұрын
अत्यंत अभ्यासपूर्ण विवेचन केले आहे. इतिहासाची मोडतोड करणे हाच जणू आजकालचा पायंडा पडत चालला आहे.
@abhijeetdhongade8689
@abhijeetdhongade8689 5 ай бұрын
आवटे साहेबांना एक विनंती आहे की कॉंग्रेस ने अकोल्यात आपला उमेदवार देऊन काय साधलं? यावर व्हिडिओ बनवावा..
@komaldasathawale9558
@komaldasathawale9558 4 ай бұрын
संविधान वाचवण्यासाठी प्रकाश आंबेडकर यांनी पूर्ण महाराष्ट्रात कॉंग्रेस विरोधात उमेदवार उभे केले त्याच काय? मुळात दोन्ही पक्ष वेगवेगळ्या भूमिका घेवून आहेत मात्र त्यांचा मतदार मात्र एकच आहे, कॉंग्रेस चे मतदार ओबीसी, दलित आदिवासी मुस्लिम आहेत तर वंचित बहुजन आघाडी चे मतदार सुध्दा हेच आहेत आता प्रश्न मतदारांचा आहे संविधान विरोधी आरएसएस बिजेेपी ला कोण सक्षमपणे पर्याय ठरू शकतो ते ठरवण्याचा अधिकार हा मतदारांचाच आहे
@JayJay-j6y5q
@JayJay-j6y5q 5 ай бұрын
आम्ही गरीब मराठे आता फक्त बाळासाहेब आंबेडकरांसोबत 💯💯💯
@ManikGajare
@ManikGajare 4 ай бұрын
😊
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 3 ай бұрын
आदरणीय महोदय संजय आवटे यांनी चांगल्या हेतूने सत्य सांगितले आहे, तरीही ते दीर्घकाळासाठी पुरेसे नाही. तरीही मी म्हणतो ते अर्धसत्य आहे. स्थिर, दीर्घकालीन किंवा कायमस्वरूपी सामाजिक आणि धार्मिक सौहार्दासाठी, आपल्या राष्ट्राला इतिहास, जात आणि धर्म व्यवस्था यावर देशव्यापी चर्चा आवश्यक आहे. या दिशेने केलेल्या माझ्या प्रयत्नांची मी थोडक्यात माहिती देत ​​आहे. हमारे देश में नैतिकता का अभाव है। हम सिर्फ़ उच्च मूल्यों की बात करते हैं और कभी उन पर अमल नहीं करते। मैं इसे अपने उदाहरण से व्यक्त कर रहा हूँ।2015 से यह बात और भी सच हो गई है। मैं अपने अनुभव का ब्यौरा साझा कर रहा हूँ। मेरी राय में, नैतिकता की कमी की यह समस्या हिंदू धर्म के विरोधाभास का कड़वा फल है। जब भी आप हमारे देश में किसी भी व्यक्ति से जाति और धर्म के बारे में कुछ सुनते हैं, चाहे वह बुद्धिजीवी हो या राजनीतिक नेता, हमेशा एक महत्वपूर्ण बात याद रखें। आपको कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो पूरी तरह से सच बोलता हो। आपको उसके राजनीतिक झुकाव के अनुसार आधा सच या झूठ मिलेगा। आधे सच या झूठ का प्रतिशत व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होगा। जितना बेशर्म व्यक्ति, उतना अधिक आधा सच और झूठ। यदि व्यक्ति अच्छा है, तो अच्छे इरादे या ज्ञान की कमी के कारण वह आधा-अधूरा सच बोलेगा। मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ जो वास्तव में गैर राजनीतिक हूँ और इसलिए केवल सच बोलने की स्थिति में हूँ। 26 जून 2024 तक का सत्य 30 जनवरी 1948 से भारत का सामाजिक और धार्मिक ताना-बाना कमज़ोर होता चला गया। 30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था? गोडसे ने गांधीजी की हत्या की। इस दुखद घटना ने जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में पक्षपात को बढ़ावा दिया। यह प्रक्रिया जारी रही और आज हम सबसे खराब स्थिति में पहुँच गए हैं। जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में हम दुनिया में नंबर एक बेवकूफ राष्ट्र हैं। इस प्रक्रिया ने हमारे इतिहास को खराब कर दिया है। इतिहास अब हमारे देश में हास्य बन गया है। एक सच्चे साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए हमें इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा करनी चाहिए। एक लंबे धागे की उलझन से हर कोई परिचित है। अगर आप इसे सुलझाना चाहते हैं, तो यह बहुत ही नाजुक काम है। और हमारे पास हज़ारों सालों की ऐसी उलझन है। और ऐसा समाधान खोजना जो सभी को संतुष्ट कर सके, बहुत ही खास काम है। इसके लिए खास उपकरण की ज़रूरत होगी। मेरे पास ऐसा उपकरण है। मैंने इस उद्देश्य के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने और सभी को संतुष्ट करने में सक्षम है। लेकिन इसके लिए सरकार का समर्थन ज़रूरी है। मई 2022 तक, मैंने सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ कीं। और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया। मैं सभी सच्चे देशभक्त नागरिकों से सरकार से ऐसा अनुरोध करने का विनम्र अनुरोध करता हूँ। कृपया सरकार से मुझे एक अवसर देने का अनुरोध करें। आइए हम अपने देश को एक सच्चा साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाएँ। अवधूत जोशी
@rahulshelke5332
@rahulshelke5332 2 ай бұрын
​@@avadhutjoshi796जोशी 😢😢😢भट
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 2 ай бұрын
@@rahulshelke5332 भट का क्या मतलब है? उन तीन मुस्कुराहटों का क्या मतलब है? सीखने का मौका मिलने के बाद भी, क्या आप अपने विचारों को सही तरीके से व्यक्त करने के लिए कुछ पंक्तियाँ नहीं लिख सकते? आप डॉ.बाबासाहेब अंबेडकरजी और उनके संविधान के नाम पर एक कलंक हैं। शर्म आनी चाहिए आपको।
@vinuvinu3375
@vinuvinu3375 5 ай бұрын
भाजपवाल्यांनी आणि आरएसएस वाल्यांनी आणि गोदी मीडिया आणि हे विश्लेषण जरूर पाहावे
@VijayManjrekar-xs9fe
@VijayManjrekar-xs9fe 5 ай бұрын
तिनों के लिए आदर है । तिनों के लिए अभिमान है । नथुराम गोडसे डॉ बाबासाहेब आंबेडकर सावरकर सभी अपनी अपनी जगह पर अफलातून हिरो हैं । जयभीम।
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 3 ай бұрын
आदरणीय महोदय संजय आवटे यांनी चांगल्या हेतूने सत्य सांगितले आहे, तरीही ते दीर्घकाळासाठी पुरेसे नाही. तरीही मी म्हणतो ते अर्धसत्य आहे. स्थिर, दीर्घकालीन किंवा कायमस्वरूपी सामाजिक आणि धार्मिक सौहार्दासाठी, आपल्या राष्ट्राला इतिहास, जात आणि धर्म व्यवस्था यावर देशव्यापी चर्चा आवश्यक आहे. या दिशेने केलेल्या माझ्या प्रयत्नांची मी थोडक्यात माहिती देत ​​आहे. हमारे देश में नैतिकता का अभाव है। हम सिर्फ़ उच्च मूल्यों की बात करते हैं और कभी उन पर अमल नहीं करते। मैं इसे अपने उदाहरण से व्यक्त कर रहा हूँ।2015 से यह बात और भी सच हो गई है। मैं अपने अनुभव का ब्यौरा साझा कर रहा हूँ। मेरी राय में, नैतिकता की कमी की यह समस्या हिंदू धर्म के विरोधाभास का कड़वा फल है। जब भी आप हमारे देश में किसी भी व्यक्ति से जाति और धर्म के बारे में कुछ सुनते हैं, चाहे वह बुद्धिजीवी हो या राजनीतिक नेता, हमेशा एक महत्वपूर्ण बात याद रखें। आपको कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो पूरी तरह से सच बोलता हो। आपको उसके राजनीतिक झुकाव के अनुसार आधा सच या झूठ मिलेगा। आधे सच या झूठ का प्रतिशत व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होगा। जितना बेशर्म व्यक्ति, उतना अधिक आधा सच और झूठ। यदि व्यक्ति अच्छा है, तो अच्छे इरादे या ज्ञान की कमी के कारण वह आधा-अधूरा सच बोलेगा। मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ जो वास्तव में गैर राजनीतिक हूँ और इसलिए केवल सच बोलने की स्थिति में हूँ। 26 जून 2024 तक का सत्य 30 जनवरी 1948 से भारत का सामाजिक और धार्मिक ताना-बाना कमज़ोर होता चला गया। 30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था? गोडसे ने गांधीजी की हत्या की। इस दुखद घटना ने जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में पक्षपात को बढ़ावा दिया। यह प्रक्रिया जारी रही और आज हम सबसे खराब स्थिति में पहुँच गए हैं। जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में हम दुनिया में नंबर एक बेवकूफ राष्ट्र हैं। इस प्रक्रिया ने हमारे इतिहास को खराब कर दिया है। इतिहास अब हमारे देश में हास्य बन गया है। एक सच्चे साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए हमें इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा करनी चाहिए। एक लंबे धागे की उलझन से हर कोई परिचित है। अगर आप इसे सुलझाना चाहते हैं, तो यह बहुत ही नाजुक काम है। और हमारे पास हज़ारों सालों की ऐसी उलझन है। और ऐसा समाधान खोजना जो सभी को संतुष्ट कर सके, बहुत ही खास काम है। इसके लिए खास उपकरण की ज़रूरत होगी। मेरे पास ऐसा उपकरण है। मैंने इस उद्देश्य के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने और सभी को संतुष्ट करने में सक्षम है। लेकिन इसके लिए सरकार का समर्थन ज़रूरी है। मई 2022 तक, मैंने सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ कीं। और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया। मैं सभी सच्चे देशभक्त नागरिकों से सरकार से ऐसा अनुरोध करने का विनम्र अनुरोध करता हूँ। कृपया सरकार से मुझे एक अवसर देने का अनुरोध करें। आइए हम अपने देश को एक सच्चा साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाएँ। अवधूत जोशी
@ExpelisBloating
@ExpelisBloating 5 ай бұрын
हमारा नितिन गडकरी से कोई बैर नहीं पर बीजेपी की अब खैर नहीं : वंचित बहुजन आघाडी
@AshrafKhan-lf6kq
@AshrafKhan-lf6kq 5 ай бұрын
Modi BJP hatao baba saheb ka sambhidhan bachao 🙏🙏🙏🙏
@sanjaygaikwad6420
@sanjaygaikwad6420 Ай бұрын
खुप छान मांडणी केलीत सर👌👌👍👍🙏🙏जय भिम
@sandeepsurve6868
@sandeepsurve6868 3 ай бұрын
अतिशय सुंदर विवेचन
@pushpalatavaidya1499
@pushpalatavaidya1499 5 ай бұрын
सर,तुमचं विवेचन अत्यंत परखड तर आहेच, अभ्यासपूर्ण आहे पण पटण्यासारखं आहे. असं चालू ठेवा. धन्यवाद!
@rajmahadekar4627
@rajmahadekar4627 2 ай бұрын
🎉 आमचा बाप एकटाच लढला म्हणून च फक्त जयभिम नमो बुद्धाय जय संविधान जय लोकशाही जय मूलनिवासी नायक 🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉
@sheshraojagtap
@sheshraojagtap 2 ай бұрын
Khup khup chha aavte sir hearty cóngratulations sir thanks jai hind
@SnehaJanrao
@SnehaJanrao Ай бұрын
धन्यवाद सर ही माहिती दिल्याबद्दल
@sushilvarma1939
@sushilvarma1939 5 ай бұрын
धन्यवाद आवटे सर... ❤
@chandrakantlakade5425
@chandrakantlakade5425 3 ай бұрын
धन्यवाद. Sar.
@amolbagade6030
@amolbagade6030 5 ай бұрын
आंबेडकर ला कांग्रेस ने पाडले हे खर आहे कांग्रेस ने सतत आंबेडकर ला त्रास खुप दिला आहे इतिहास गवाह आहे हे नकारू नाही शकत
@SachinDeshpande-pd9qc
@SachinDeshpande-pd9qc 3 ай бұрын
मग भाजपा जनसंघ आर एस एस वाले काय सोन्याचे ताट देत होते काय❓ त्यांचे वर्तन तर त्या काळात इंग्रजांसारखेच होते खास करुन दलित अस्पृश्य समाज फक्त वापरुन फेका नेहरु एकटे काय करू शकत होते त्या काळातल्या परिस्थिती नुसार नेहरु बरेच आधुनिक विचारसरणी चे होते
@sugrivgaikwad6225
@sugrivgaikwad6225 5 ай бұрын
संजय औटे आपली भाषा ही बाबासाहेब आंबेडकर यांना थोडं कमी दाखविण्याची धूर्त चलाख चालबाजी लपून रहात नाही.
@tanajikumbhar1555
@tanajikumbhar1555 5 ай бұрын
Not at all.Shri Auati proved the greatness of Dr Babasaheb Ambedkar.All are three great and worked for nation .
@komaldasathawale9558
@komaldasathawale9558 4 ай бұрын
बाबासाहेब १९५१ नंतर संसदेत नव्हते तरीही चार वर्षांत हिंदू कोड बिल नेहरूंनी मंजूर करून घेतले, ते आंबेडकर विरोधी होते म्हणून काय
@vishalshinde4128
@vishalshinde4128 2 ай бұрын
सर छान माहिती दिली त्या बद्दल आपले मनःपूर्वक धन्यवाद.इतिहास वाचणे गरजेचे आहे या मधून तुम्ही जनतेला संदेश दिला खूप भारी.
@bbgajbhare4018
@bbgajbhare4018 5 ай бұрын
आवटेजी.... बाबासाहेबांच्या घटनासमितीमधिल प्रवेशा बाबत ...आपण अर्धवट माहिती देवून ....आपण बेमालूमपणे कांग्रेस व म गांधी यांच्यामुळे बाबासाहेबांना घटनासमितीत प्रवेश मिळाला हे अर्धे सत्य सांगून अर्धेसत्य दडवून ठेवणे कितपत योग्य आहे.... बाबासाहेब प बंगालमधून स्वतंत्रपणे निवडणूक जिंकून घटनासमितीत गेले त्याचे श्रेय बॅ जोगेंद्रनाथ मंडल यांना आहे.....कांग्रेस , सरदार पटेल हे बाबासाहेब घटनासमित येणार नाहीत याची परिपूर्ण रणनीती तयार केली होती...
@narendramahajan8356
@narendramahajan8356 5 ай бұрын
बंगाल मधुन बाबासाहेब निवडून आले परंतू तो मतदार पाकिस्तान मध्ये गेल्याने बाबा साहेबाला कॉग्रेसने मुंबईमधुन निवडुण आणले ।
@Fashion_world1182
@Fashion_world1182 5 ай бұрын
Arey tumhi itihas vacha Ani समजून घ्या ... सावरकर गोळवकर यांनी बाबासाहेबाना वाईट बोलले शिव्या दिल्या ते चालतंय आणि ज्यांनी संविधान निर्माण करताना बाबासाहेबाना त्याच्या buddhimatenusar प्राधान्य दिलं त्याच्या विरोधात बोलता .. मोती आज संविधान समवण्याचा प्रयत्न करत आहे ते चालत का
@milindgaikwad8427
@milindgaikwad8427 5 ай бұрын
स्वतंत्र मतदारसंघ नाकारून पुणे कराराप्रमाणे राखीव जागा स्विकारण्यात आल्या मात्र काँग्रेसने त्या जागांवर त्यांचेच चमचे निवडून आणलें व अस्पृश्यांच्या ख-या प्रतिनिधींना गारद केले. अशाप्रकारे काँग्रेसने डॉक्टर आंबेडकरांचे राजकारण संपविले. तेच धोरण आजतागायत चालू आहे.
@NandaKawale-l8t
@NandaKawale-l8t 5 ай бұрын
Knowledge full speech
@narendramahajan8356
@narendramahajan8356 5 ай бұрын
गांधींमुळे च बाबा साहेबाना संविधान सभेत केवळ प्रवेशच मिळाला नाही तर सरळ मसुदा समितीचे अध्यक्ष बनले याबद्दलं बाबा साहेबांनी गांधीचे आभार मानले आहेत । जेष्ठ आंबेडकर वादी रावसाहेब कसबे वाचा म्हणजे डोळ्या वरचे झापडं उघडतील । गांधी समजणे सोपे नाहीं । रावसाहेब कसबे यांना गांधी समजून घेण्या करी ता पंधरा वर्षे लागली । गांधी होते म्हणूनच बाबासाहेब घटनेचे शिल्पकार बनुं शकले ।
@BanduKhade-d3u
@BanduKhade-d3u 5 ай бұрын
जेव्हा गरज वाटली त्या वेळेस बाबासाहेब
@tularammeshram2170
@tularammeshram2170 5 ай бұрын
भलेही आंबेडकरी मतांसाठी का असेना मात्र मा.प्रधानमंत्री मोदीजी डॉ आंबेडकर आणि काँग्रेस याबाबतीत जे म्हणाले ते अगदी बरोबर आहे. काँग्रेसनेच आंबेडकरी चळवळीला कमकुवत केले हे ही तेवढेच खरे आहे.
@VijayManjrekar-xs9fe
@VijayManjrekar-xs9fe 5 ай бұрын
नरेंद्र मोदी लबाड आहे. नाव घेतो गांधींचे आणि गुपचूप काम करतोय डॉ बाबासाहेब आंबेडकर यांच्या विचारांचे. सगळ्या महत्त्वाच्या ठिकाणी गुपचूप दलीत, ओबिसी, वाल्मिकी अशी भरती केलेली आहे.
@kamalchahande8081
@kamalchahande8081 17 күн бұрын
Brahaman Ani 2500 varshapasun atyachar kele n aajanhi karat aahet
@jaywantraokharat4418
@jaywantraokharat4418 5 ай бұрын
आवटे तुम्ही एकांगी माहिती सांगितली आहे स्वातंत्र्यापूर्वीच राज्यघटना निर्मितीचे कार्य चालू झाले होते व बाबासाहेब आंबेडकरांची तेंव्हाच घटना परिषदेत नियुक्ती झाली होती स्वातंत्र्यानंतर बाबासाहेब आंबेडकरांचा मतदारसंघ मुस्लिम बहुल नसूनही मुद्दामहून काँग्रेसने पाकिस्तानला देवून टाकला होता जेणेकरून घटना परिषदेतून बाबासाहेब बाहेर राहतील सत्य हे आहे की काँग्रेस जेंव्हा युरोपियन विचारवंताकडे मसुदा समितीचे काम करावे अशी विनंती घेऊन गेली तेंव्हा युरोपियन विचारवंतांनी त्यांना सांगितले की भारतात केवळ डॉ बाबासाहेब आंबेडकर हेच या कार्याकरिता योग्य तज्ञ व्यक्ती असतांना तुम्ही आमच्याकडे कशाला आलात तेव्हा काँग्रेस पक्षाचे डोळे उघडले. १९५२ व नंतरच्या लोकसभा पोटनिवडणुकीत बाबासाहेब आंबेडकरांचा अतिशय साधारण उमेदवाराकडून काँग्रेसनं बाबासाहेब आंबेडकरांचा मुद्दामहून पराभव केला हे आपण सांगितले नाही यावरून आपण काँग्रेस पक्षाची बाजू घेत आहात हे सिध्द होते
@sunitajagtap2177
@sunitajagtap2177 5 ай бұрын
Absolutely right,now people know very well old history 😊
@kishorushir1333
@kishorushir1333 5 ай бұрын
100% right
@yashdhande5118
@yashdhande5118 5 ай бұрын
इतिहासाचा संदर्भ जर पाहिला तर या देशात इतिहास याची मोडतोड फार फार मोठ्या प्रमाणात याच लोकांनी केल्याची आपल्याला पाहायला मिळते अगदी पुराणग्रंथ सुद्धा याचे साक्षीदार आहेत कारण की अनेक संशोधकांनी याचा खुलासा केल्याचा आपल्याला पाहायला मिळते म्हणून या लोकांवर किती विश्वास ठेवायचा आहे हे देखील संशयात येत आहे त्यांच्या मांडणीला पुरावे वगैरे काही नसतात थातुरमातुर पुरावे इकडून तिकडून गोळा करायचे आणि इतिहासाचा विपर्यास करायचा हेच त्यांचे उद्दिष्ट स्वतःचा स्वार्थ पूर्ण करणे स्वतःचा स्वार्थ पूर्ण करणे एवढाच त्यांचा ध्येय असतो
@rajshrikharat9769
@rajshrikharat9769 3 ай бұрын
@@sunitajagtap2177 सुनीता ताई सप्रेम जयभीम कृपया आपल्या कार्याबद्दल कळवावे ही विनंती
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 3 ай бұрын
आदरणीय महोदय संजय आवटे यांनी चांगल्या हेतूने सत्य सांगितले आहे, तरीही ते दीर्घकाळासाठी पुरेसे नाही. तरीही मी म्हणतो ते अर्धसत्य आहे. स्थिर, दीर्घकालीन किंवा कायमस्वरूपी सामाजिक आणि धार्मिक सौहार्दासाठी, आपल्या राष्ट्राला इतिहास, जात आणि धर्म व्यवस्था यावर देशव्यापी चर्चा आवश्यक आहे. या दिशेने केलेल्या माझ्या प्रयत्नांची मी थोडक्यात माहिती देत ​​आहे. हमारे देश में नैतिकता का अभाव है। हम सिर्फ़ उच्च मूल्यों की बात करते हैं और कभी उन पर अमल नहीं करते। मैं इसे अपने उदाहरण से व्यक्त कर रहा हूँ।2015 से यह बात और भी सच हो गई है। मैं अपने अनुभव का ब्यौरा साझा कर रहा हूँ। मेरी राय में, नैतिकता की कमी की यह समस्या हिंदू धर्म के विरोधाभास का कड़वा फल है। जब भी आप हमारे देश में किसी भी व्यक्ति से जाति और धर्म के बारे में कुछ सुनते हैं, चाहे वह बुद्धिजीवी हो या राजनीतिक नेता, हमेशा एक महत्वपूर्ण बात याद रखें। आपको कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो पूरी तरह से सच बोलता हो। आपको उसके राजनीतिक झुकाव के अनुसार आधा सच या झूठ मिलेगा। आधे सच या झूठ का प्रतिशत व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होगा। जितना बेशर्म व्यक्ति, उतना अधिक आधा सच और झूठ। यदि व्यक्ति अच्छा है, तो अच्छे इरादे या ज्ञान की कमी के कारण वह आधा-अधूरा सच बोलेगा। मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ जो वास्तव में गैर राजनीतिक हूँ और इसलिए केवल सच बोलने की स्थिति में हूँ। 26 जून 2024 तक का सत्य 30 जनवरी 1948 से भारत का सामाजिक और धार्मिक ताना-बाना कमज़ोर होता चला गया। 30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था? गोडसे ने गांधीजी की हत्या की। इस दुखद घटना ने जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में पक्षपात को बढ़ावा दिया। यह प्रक्रिया जारी रही और आज हम सबसे खराब स्थिति में पहुँच गए हैं। जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में हम दुनिया में नंबर एक बेवकूफ राष्ट्र हैं। इस प्रक्रिया ने हमारे इतिहास को खराब कर दिया है। इतिहास अब हमारे देश में हास्य बन गया है। एक सच्चे साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए हमें इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा करनी चाहिए। एक लंबे धागे की उलझन से हर कोई परिचित है। अगर आप इसे सुलझाना चाहते हैं, तो यह बहुत ही नाजुक काम है। और हमारे पास हज़ारों सालों की ऐसी उलझन है। और ऐसा समाधान खोजना जो सभी को संतुष्ट कर सके, बहुत ही खास काम है। इसके लिए खास उपकरण की ज़रूरत होगी। मेरे पास ऐसा उपकरण है। मैंने इस उद्देश्य के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने और सभी को संतुष्ट करने में सक्षम है। लेकिन इसके लिए सरकार का समर्थन ज़रूरी है। मई 2022 तक, मैंने सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ कीं। और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया। मैं सभी सच्चे देशभक्त नागरिकों से सरकार से ऐसा अनुरोध करने का विनम्र अनुरोध करता हूँ। कृपया सरकार से मुझे एक अवसर देने का अनुरोध करें। आइए हम अपने देश को एक सच्चा साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाएँ। अवधूत जोशी
@balajisuryatale3023
@balajisuryatale3023 5 ай бұрын
1927 ला महाडच्या संग्रामाच्या वेळी गांधी चा फोटो कुठे ठेवला होता याचे उदाहरण द्याल का ? संदर्भ हं एव्हढे मात्र खरे की ' जयभवानी जयशिवाजी अशा घोषना मात्र दिल्या गेल्या आहेत . सत्यागृह करून बाबासाहेब शिवरायांच्या किल्यावर आराम करणेसाठी गेले त्या वेळी विरोध झाला होता .
@kingkayoshin1732
@kingkayoshin1732 5 ай бұрын
खोट बोलुन गांधीची गेलेली इमेज वाढवण्यासाठी प्रयत्न करत आहेत हि लोक
@ReshmaKhandare-p3q
@ReshmaKhandare-p3q 5 ай бұрын
Gandinl tar babasahebancha vlrdh kela babasahebancha kamgirsobat Gandhi jodu nka khar tr Gandhi mulech baba saheb ana adhik tras sahn karava lgla
@p.k.9743
@p.k.9743 5 ай бұрын
अतिशय सुंदर मांडणी
@manikshinde5597
@manikshinde5597 5 ай бұрын
खुपच छान विश्लेषण आवटे सर!
@truptibhale8393
@truptibhale8393 5 ай бұрын
संघ व भाजपचे नेते आणि त्यांची विचार सरणी म्हणजे वैचरिक कँसर आहे।
@rahulyetale9494
@rahulyetale9494 3 ай бұрын
Thanks sir Chan mahit dilit🙏
@sukalalshinde4144
@sukalalshinde4144 5 ай бұрын
अत्यंत महत्वाची माहिती सांगितल्याबद्दल आपले खूप खूप आभार
@VijayManjrekar-xs9fe
@VijayManjrekar-xs9fe 5 ай бұрын
तिनों के लिए आदर है । तिनों के लिए अभिमान है । नथुराम गोडसे डॉ बाबासाहेब आंबेडकर सावरकर सभी अपनी अपनी जगह पर अफलातून हिरो हैं । जयभीम।
@BhagwanPachpinde-rd2un
@BhagwanPachpinde-rd2un 3 ай бұрын
खूप छान मांडणी केली आहे
@anilgamare841
@anilgamare841 5 ай бұрын
Jai bhim ❤❤❤
@VijayManjrekar-xs9fe
@VijayManjrekar-xs9fe 5 ай бұрын
एकदम बरोबर. डॉ बाबासाहेब आंबेडकर हे नेहमीच गांधीना एक मामुली इसम असं म्हणायचे. डॉ बाबासाहेब आंबेडकर यांनी लिहिलेली पुस्तके लेटर्स ओफ डॉ बाबासाहेब आंबेडकर आणि पाकिस्तान आणि पार्टीशन हे वाचा. डॉ बाबासाहेब आंबेडकर यांनी नथुराम गोडसे आणि सावरकर यांची स्तुती केलेली आहे. जयभीम.
@vijayguraurav6964
@vijayguraurav6964 3 ай бұрын
फारच छान ज्ञान सांगितले सर तुम्ही..
@savitajade9824
@savitajade9824 5 ай бұрын
पंतप्रधान नेहरूंनी स्वतःच्या स्वतःला भारतरत्न घेतला. इंदिरा गांधींनी भारतरत्न घेतला. राजीव गांधींनी भारतरत्न घेतला. .... संविधान निर्मात्या डॉ बाबासाहेब आंबेडकरांना मात्र तुमची कांग्रेस सपशेल विसरली. नेमकं कसं समर्थन करणार आता तुम्ही तुमच्या कांग्रेसचं ?
@SachinDeshpande-pd9qc
@SachinDeshpande-pd9qc 3 ай бұрын
त्यांच्या हयातीत घेतला? काय बोलताय भान आहे का ❓जरा विचारधारा बघा कोणाची चांगली आहे आजच्या सारख नाही संसद भवन बनवल आणी सेंगोल ला पाया पडले स्वतः च्या नावाच स्टेडियम बनवल मोटेरा स्टेडीयम नाव बदलून फोटो सगळीकडे आपलेच कसे लागतील याची काळजी घेतली
@avanindramadhavi2529
@avanindramadhavi2529 Ай бұрын
​@@SachinDeshpande-pd9qcदेशातले अर्धे प्रकल्प ना गांधी घराण्याची नाव आहेत
@sunandakedare3316
@sunandakedare3316 5 ай бұрын
अत्यंत अभ्यास पूर्व विश्लेषण सर जयभीम🙏🙏
@CHANDRAKANTBACHHAV-x6p
@CHANDRAKANTBACHHAV-x6p Ай бұрын
Excellent and very educative.
@rajendrakamble7279
@rajendrakamble7279 5 ай бұрын
घटना समिती वर डाॅ बाबासाहेब आंबेडकर यांची निवड व्हावी म्हणून ब्रिटिश गव्हर्नर यांनी नेहरु वर दबाव टाकला त्या नंतर डाॅ आंबेडकर यांना काँग्रेस नी मुंबई प्रांतातून निवडून आणाले असे काही बुद्धीवादी लोकांचे मनोगत असल्याचे समझते .या संदर्भात आपले काय मत आहे
@babasahebmore9154
@babasahebmore9154 5 ай бұрын
फार छान माहिती मुद्या सह समझळी
@sairajambekar9149
@sairajambekar9149 5 ай бұрын
हा बाताडा पण मोजकेच सांगायला...आबे कांग्रेस म्हणजे नेहरूची...आणि गांधी हे चातुर्वर्ण्य मानत असत हे सांग की...आणि एवढा सन्मान होता कांग्रेसला बाबासाहेबांचा तर भारतरत्न का नाही दिला हे सांग..
@कॉमनमॅन
@कॉमनमॅन 5 ай бұрын
कॉग्रेसच्या काळात भारतरत्न प्रदान केले
@sairajambekar9149
@sairajambekar9149 5 ай бұрын
@@कॉमनमॅन V.P. singh chya govt ni jyala bjp support hota tyan dila bharatratna
@rajankhataokar4408
@rajankhataokar4408 5 ай бұрын
​@@कॉमनमॅनचुकीचं बोलत आहात तुम्ही. जेव्हा pm VP Singh नी दिले
@jagdishrajguru3827
@jagdishrajguru3827 5 ай бұрын
अस्पृश्यतेला म.गांधींचा विरोध जगजाहिर आहे त्यासाठी त्यांनी केलेले प्रयत्न जाणून घेतले पाहिजेत.
@narendramahajan8356
@narendramahajan8356 5 ай бұрын
गाधी आबेडकर यांना भारत रत्नांची आवश्यकता नाही । ते भारत रत्नाच्या वरचे आहे । त्यांना भारत रत्न देणे म्हणजे भारत रत्नाचा सन्मान आहे ।
@vinuvinu3375
@vinuvinu3375 5 ай бұрын
खूप छान विश्लेषण सर
@ramesh.shivarkar.4892
@ramesh.shivarkar.4892 3 ай бұрын
❤ se pranam sir...🐘🐘🐘🐘🐘🐘🙏🙏🙏🙏🙏
@Sanketarts4758
@Sanketarts4758 3 ай бұрын
Very good morning sir Jay Bheem Jay savidhaan
@mogleprakashN
@mogleprakashN 2 ай бұрын
खूप महत्वाचं
@rajuchandanshive3441
@rajuchandanshive3441 5 ай бұрын
Very Very information
@milindmulik1393
@milindmulik1393 5 ай бұрын
आप्रतीम विश्लेषण
@Zolostays-f8l
@Zolostays-f8l 5 ай бұрын
नारायण सदोबा काजरोळकर यांना बाबासाहेबांच्या विरोधात काँग्रेस ने उमेदवारी देऊन निवडून आणले व डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर यांना पराभूत करण्याचे महापाप काँग्रेस ने केले
@vikaskharat2033
@vikaskharat2033 5 ай бұрын
आवटे साहेब बाबासाहेबांचा संविधान सभेत प्रवेश कसा झाला याचे विश्लेषण करावे, संविधान सभेत निवडून येऊ नये यासाठी काँग्रेस ने कसे प्रयत्न केले याविषयी सविस्तर माहिती दयावी.
@ujwalapawar5061
@ujwalapawar5061 4 ай бұрын
आताही तेच करतायत त्यांच्या नातवाला कुठं पुढे येऊ देतात?या कॉग्रेस राष्ट्रवादी भाजपसेना हे सर्व आहेत
@bharatbhushangolatkar2285
@bharatbhushangolatkar2285 5 ай бұрын
खूप छान माहिती दिलीत
@devidasrathod517
@devidasrathod517 5 ай бұрын
खुपच छान विश्लेषण आवटे सर
@SharadWagh-to1qj
@SharadWagh-to1qj 3 ай бұрын
Satya lokanchi Puri Aliya baddal Hardik shubhechha Jay Bheem Jay
@BhaskarSardar-e3f
@BhaskarSardar-e3f 3 ай бұрын
छान सर माहिती दिली
@pushpapatil7896
@pushpapatil7896 5 ай бұрын
बरोबर
@subhashmanwar5323
@subhashmanwar5323 5 ай бұрын
Thanks sir ji, I learnt so much from your video
@YogeshKove-nh1vf
@YogeshKove-nh1vf 2 ай бұрын
खुप छान
@totalFilmy108
@totalFilmy108 5 ай бұрын
आवटे साहेब,आता हे इंटरनेट चे युग आहे,लोकांना सहज माहिती उपलब्ध होते,तुम्ही सांगितलं तेच खरं तो जमाना आता नाही राहिला
@SachinDeshpande-pd9qc
@SachinDeshpande-pd9qc 3 ай бұрын
ती माहीती मॅन्युपुलेट केली असते जुन्या काळातील संदर्भ दाखले हेच प्रमाण असतात हे इंटरनेट युग अति प्रमाणात भारताच्या काहीच कामाच नाही अति औद्योगिकीकरण भारतासारख्या देशात बिन कामी ठरले हे नेहरु जाणुन होते त्यामुळे भोगवादी व्यवस्था वाढेल जी भारतासारख्या कृषीप्रधान व्यवस्थेला पोषक असणार नाही चंगळवाद परवडणारा नाही हे जाणून होते आज तेच घडतय
@mukundsonawane9600
@mukundsonawane9600 3 ай бұрын
सविस्तर मांडणी केली धन्यवाद
@PrakashPatil-uu2pv
@PrakashPatil-uu2pv 2 ай бұрын
आभारी आहोत धन्यवाद आहे थोर व्यक्ती च माहिती सांगितली त्याचे समघ कसे होते स्व भिमाने सांगितले बघल आभारी आहोत
@BhagwatAiwale-ly2wk
@BhagwatAiwale-ly2wk 3 ай бұрын
खरी माहिती सांगितली सर आपण आणि हे सर्व पटलं
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 3 ай бұрын
आदरणीय महोदय संजय आवटे यांनी चांगल्या हेतूने सत्य सांगितले आहे, तरीही ते दीर्घकाळासाठी पुरेसे नाही. तरीही मी म्हणतो ते अर्धसत्य आहे. स्थिर, दीर्घकालीन किंवा कायमस्वरूपी सामाजिक आणि धार्मिक सौहार्दासाठी, आपल्या राष्ट्राला इतिहास, जात आणि धर्म व्यवस्था यावर देशव्यापी चर्चा आवश्यक आहे. या दिशेने केलेल्या माझ्या प्रयत्नांची मी थोडक्यात माहिती देत ​​आहे. हमारे देश में नैतिकता का अभाव है। हम सिर्फ़ उच्च मूल्यों की बात करते हैं और कभी उन पर अमल नहीं करते। मैं इसे अपने उदाहरण से व्यक्त कर रहा हूँ।2015 से यह बात और भी सच हो गई है। मैं अपने अनुभव का ब्यौरा साझा कर रहा हूँ। मेरी राय में, नैतिकता की कमी की यह समस्या हिंदू धर्म के विरोधाभास का कड़वा फल है। जब भी आप हमारे देश में किसी भी व्यक्ति से जाति और धर्म के बारे में कुछ सुनते हैं, चाहे वह बुद्धिजीवी हो या राजनीतिक नेता, हमेशा एक महत्वपूर्ण बात याद रखें। आपको कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो पूरी तरह से सच बोलता हो। आपको उसके राजनीतिक झुकाव के अनुसार आधा सच या झूठ मिलेगा। आधे सच या झूठ का प्रतिशत व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होगा। जितना बेशर्म व्यक्ति, उतना अधिक आधा सच और झूठ। यदि व्यक्ति अच्छा है, तो अच्छे इरादे या ज्ञान की कमी के कारण वह आधा-अधूरा सच बोलेगा। मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ जो वास्तव में गैर राजनीतिक हूँ और इसलिए केवल सच बोलने की स्थिति में हूँ। 26 जून 2024 तक का सत्य 30 जनवरी 1948 से भारत का सामाजिक और धार्मिक ताना-बाना कमज़ोर होता चला गया। 30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था? गोडसे ने गांधीजी की हत्या की। इस दुखद घटना ने जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में पक्षपात को बढ़ावा दिया। यह प्रक्रिया जारी रही और आज हम सबसे खराब स्थिति में पहुँच गए हैं। जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में हम दुनिया में नंबर एक बेवकूफ राष्ट्र हैं। इस प्रक्रिया ने हमारे इतिहास को खराब कर दिया है। इतिहास अब हमारे देश में हास्य बन गया है। एक सच्चे साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए हमें इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा करनी चाहिए। एक लंबे धागे की उलझन से हर कोई परिचित है। अगर आप इसे सुलझाना चाहते हैं, तो यह बहुत ही नाजुक काम है। और हमारे पास हज़ारों सालों की ऐसी उलझन है। और ऐसा समाधान खोजना जो सभी को संतुष्ट कर सके, बहुत ही खास काम है। इसके लिए खास उपकरण की ज़रूरत होगी। मेरे पास ऐसा उपकरण है। मैंने इस उद्देश्य के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने और सभी को संतुष्ट करने में सक्षम है। लेकिन इसके लिए सरकार का समर्थन ज़रूरी है। मई 2022 तक, मैंने सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ कीं। और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया। मैं सभी सच्चे देशभक्त नागरिकों से सरकार से ऐसा अनुरोध करने का विनम्र अनुरोध करता हूँ। कृपया सरकार से मुझे एक अवसर देने का अनुरोध करें। आइए हम अपने देश को एक सच्चा साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाएँ। अवधूत जोशी
@mattdemon007
@mattdemon007 5 ай бұрын
Congress हे जळत घर आहे -dr br Ambedkar हे पण विसरून चालणार
@rajenharshe1494
@rajenharshe1494 5 ай бұрын
Wonderful. Very well said.
@YTSKATTUSATYLIVENEWS
@YTSKATTUSATYLIVENEWS 5 ай бұрын
राजकारणच नाही तर डाॅ बाबासाहेबांना पण संपवलं
@rajendragaikwad1572
@rajendragaikwad1572 5 ай бұрын
अत्यंत छान माहिती दिली तुम्ही आम्ही उगाचच काँग्रेस ला दोषी मानत होतो. मुळात काँग्रेस आणि बाबासाहेब यांची नैतिक मुल्ले समानच होती असे यावरून दिसतेय मग ते राजकार्नात विरोधी का असेनात. Thanks to congress party. Jai bhim 🙏
@AjayIngle-g7j
@AjayIngle-g7j 5 ай бұрын
पण काँग्रेस ने आंबेडकरांना १९५२ व १९५४ ल लोकसभेत का पाडलं?
@AshrafKhan-lf6kq
@AshrafKhan-lf6kq 5 ай бұрын
1952 aur 1954 me RSS aur sangh ne baba saheb ka sath Diya tha kaya😅?
@avadhutjoshi796
@avadhutjoshi796 3 ай бұрын
आदरणीय महोदय संजय आवटे यांनी चांगल्या हेतूने सत्य सांगितले आहे, तरीही ते दीर्घकाळासाठी पुरेसे नाही. तरीही मी म्हणतो ते अर्धसत्य आहे. स्थिर, दीर्घकालीन किंवा कायमस्वरूपी सामाजिक आणि धार्मिक सौहार्दासाठी, आपल्या राष्ट्राला इतिहास, जात आणि धर्म व्यवस्था यावर देशव्यापी चर्चा आवश्यक आहे. या दिशेने केलेल्या माझ्या प्रयत्नांची मी थोडक्यात माहिती देत ​​आहे. हमारे देश में नैतिकता का अभाव है। हम सिर्फ़ उच्च मूल्यों की बात करते हैं और कभी उन पर अमल नहीं करते। मैं इसे अपने उदाहरण से व्यक्त कर रहा हूँ।2015 से यह बात और भी सच हो गई है। मैं अपने अनुभव का ब्यौरा साझा कर रहा हूँ। मेरी राय में, नैतिकता की कमी की यह समस्या हिंदू धर्म के विरोधाभास का कड़वा फल है। जब भी आप हमारे देश में किसी भी व्यक्ति से जाति और धर्म के बारे में कुछ सुनते हैं, चाहे वह बुद्धिजीवी हो या राजनीतिक नेता, हमेशा एक महत्वपूर्ण बात याद रखें। आपको कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो पूरी तरह से सच बोलता हो। आपको उसके राजनीतिक झुकाव के अनुसार आधा सच या झूठ मिलेगा। आधे सच या झूठ का प्रतिशत व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होगा। जितना बेशर्म व्यक्ति, उतना अधिक आधा सच और झूठ। यदि व्यक्ति अच्छा है, तो अच्छे इरादे या ज्ञान की कमी के कारण वह आधा-अधूरा सच बोलेगा। मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ जो वास्तव में गैर राजनीतिक हूँ और इसलिए केवल सच बोलने की स्थिति में हूँ। 26 जून 2024 तक का सत्य 30 जनवरी 1948 से भारत का सामाजिक और धार्मिक ताना-बाना कमज़ोर होता चला गया। 30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था? गोडसे ने गांधीजी की हत्या की। इस दुखद घटना ने जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में पक्षपात को बढ़ावा दिया। यह प्रक्रिया जारी रही और आज हम सबसे खराब स्थिति में पहुँच गए हैं। जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में हम दुनिया में नंबर एक बेवकूफ राष्ट्र हैं। इस प्रक्रिया ने हमारे इतिहास को खराब कर दिया है। इतिहास अब हमारे देश में हास्य बन गया है। एक सच्चे साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए हमें इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा करनी चाहिए। एक लंबे धागे की उलझन से हर कोई परिचित है। अगर आप इसे सुलझाना चाहते हैं, तो यह बहुत ही नाजुक काम है। और हमारे पास हज़ारों सालों की ऐसी उलझन है। और ऐसा समाधान खोजना जो सभी को संतुष्ट कर सके, बहुत ही खास काम है। इसके लिए खास उपकरण की ज़रूरत होगी। मेरे पास ऐसा उपकरण है। मैंने इस उद्देश्य के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने और सभी को संतुष्ट करने में सक्षम है। लेकिन इसके लिए सरकार का समर्थन ज़रूरी है। मई 2022 तक, मैंने सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ कीं। और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया। मैं सभी सच्चे देशभक्त नागरिकों से सरकार से ऐसा अनुरोध करने का विनम्र अनुरोध करता हूँ। कृपया सरकार से मुझे एक अवसर देने का अनुरोध करें। आइए हम अपने देश को एक सच्चा साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाएँ। अवधूत जोशी
@arvindparab2159
@arvindparab2159 5 ай бұрын
अभ्यास पुर्ण विवेचन केले आहे; धन्यवाद!
@schandpatil3875
@schandpatil3875 5 ай бұрын
Khup Chan sir
@baburaoingle6007
@baburaoingle6007 3 ай бұрын
सर जी आपन दिलेली प्रतिक्रिया दिली असून माझे आपणास जयभीम जय सवीधान❤❤❤❤❤❤❤😂
@milind1771
@milind1771 3 ай бұрын
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर यांनी राजीनामा देत असताना त्यांना आपलं म्हणणं मांडण्याच नाकारलं हे फार दु:खद आहे
@pradeepshinde8566
@pradeepshinde8566 5 ай бұрын
निशब्द,अतिशय वस्तुनिष्ट विश्लेषण.
@pushpapatil7896
@pushpapatil7896 5 ай бұрын
चुकीचे विश्लेषण
@dewanandlaxttiwar2575
@dewanandlaxttiwar2575 5 ай бұрын
💯tru
@babanrankhambe2407
@babanrankhambe2407 5 ай бұрын
खुपच छान मांडणी संदर्भासह त्यामुळे ज्ञानात भर पडलीय सर.
@anildethe5911
@anildethe5911 5 ай бұрын
अतिशय अभ्यासपूर्ण विश्लेषण केल सरजी....राहिला मोदींचा प्रश्न तर यांना इतिहासाशी काही घेण देण नाही..सवंग प्रसिध्दी व बेजबाबदार विधान करून सत्तेसाठी हपापलेल कर्तव्यशुन्य व्यक्तिमत्व अशीच मोदीची इतिहासात नोंद होणार
@VijayManjrekar-xs9fe
@VijayManjrekar-xs9fe 5 ай бұрын
तिनों के लिए आदर है । तिनों के लिए अभिमान है । नथुराम गोडसे डॉ बाबासाहेब आंबेडकर सावरकर सभी अपनी अपनी जगह पर अफलातून हिरो हैं । जयभीम।
@PreranaNavsagare-fd8pi
@PreranaNavsagare-fd8pi 5 ай бұрын
बाबासाहेब की तुलना किसी से होती नहीं सक्ती है बाबासाहब प्रज्ञासूर्य है और सूरज कु कम्पेअर किसी से हो ही नहीं सक्ती है यह घोडसेवाली बात वो तो देश में हत्या , मर्डर का सत्र तभी से सुरू हुआ था @@VijayManjrekar-xs9fe
@pundlikdhurat8478
@pundlikdhurat8478 5 ай бұрын
मतभेद जरूर असावे पण वैयक्तिक मतभेद नसावे!
@someshkamblepune3172
@someshkamblepune3172 4 ай бұрын
छान सांगितलं सर
@GangadharSonkamble-r9n
@GangadharSonkamble-r9n 2 ай бұрын
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर साहेबा ना कोनीही संपउ सकत नाही समूदाद
@niranjanmeshram8591
@niranjanmeshram8591 5 ай бұрын
सर आपण ऊचित मार्गदर्शन केल.तुमच हे विश्लेषण मला आवडल.गांधी,नेहरु,आंबेडकर हे फक्त प्रकृतीन अलग अलग होते.विचारानही ते काही ठीकाणी भिन्न भासलेत.पण त्या तिघांच्याही मनात एकमेकाबद्दल द्वेश नंव्हता असे जानवले.बाकी आपण केलेल्या अभ्यासपुर्ण विवेचनासाठी मी आपले आभार व्यक्त करतो.
@umakantkamble5639
@umakantkamble5639 5 ай бұрын
Really nice analysis done thank you so much for providing such facts
@navchaitanyashiroli3108
@navchaitanyashiroli3108 5 ай бұрын
sundar mahiti sir ji ani abhyasat bhar padali aplya mule
@jayantmane3475
@jayantmane3475 3 ай бұрын
Good anylised by.Awate sir
@ashokgarud4470
@ashokgarud4470 4 ай бұрын
फार सुंदर विश्लेषण, उत्कृष्ट लोकशिक्षण आणि इतिहासाला उजाळा मिळाला. परत उत्कृष्ट आणि आभार ऊत्तम कार्यक्रमा साठी.
@ramdasraut4000
@ramdasraut4000 5 ай бұрын
अतिशय उत्तम विश्लेषण केले साहेब आजच्या पिढीला प्रेरणा मिळते व सत्य अधोरेखित होते
@pintudethe1815
@pintudethe1815 5 ай бұрын
आवटे सर , आपणास सखोल अभ्यासाची गरज आहे कारण डॉ बाबासाहेब आंबेडकर यांची तुलना म, गांधी आणि पं, नेहरू बरोबर होऊ शकत नाही . अर्धवट माहिती चे विश्लेषण
@ckamble4831
@ckamble4831 5 ай бұрын
बाबासाहेब व गांधीजी यांच्यातला आंतरविरोध काहीजरी असला तरी काळाची गरज पाहून सांप्रतकाळी त्याच्याकडे कानाडोळा करून आज सर्व भारतीयांनी भारतीय संविधानाचे जे कोणी शत्रू आहेत त्यांना संपवणे हे अत्यंत आवश्यक व गरजेचे आहे.
@antonkadam2033
@antonkadam2033 5 ай бұрын
विश्लेषण चांगले आहे झालेल्या घटना का व कश्या झाल्या यावर मत एैक्य होणार नाहीत तथ्य ते तथ्य असते. अलिकडे खोट्या इतिहासाचे पर्व सुरु आहे त्यापेैकी हे वाटत नाही
@mangalmeshram5010
@mangalmeshram5010 2 ай бұрын
डॉ बाबासाहेब आंबेडकरांचे राजकारण काँग्रेसने संपवले हेच खरे आहे. कोणीही तोडून मोडून सांगण्याची गरज नाही
@AnilGhaste-p2r
@AnilGhaste-p2r 3 ай бұрын
Nice analysis .sir
@SujalDhotre-k7v
@SujalDhotre-k7v 5 ай бұрын
VBA jai bhim
@ashokmore7918
@ashokmore7918 5 ай бұрын
अभ्यासपूर्ण माहिती दिलीत त्याबद्दल आपले आभार.🙏👍👌
@govindsonkamble9286
@govindsonkamble9286 5 ай бұрын
फारच छान मांडणी केली आहे आपण, तेही तथ्यासहीत....धन्यवाद.
@ramkrishnaraut816
@ramkrishnaraut816 5 ай бұрын
अगदी अचुक ऐतिहासिक सत्य आपण सांगितले.आता तरी काही लोकांनी गांधींचा व कांग्रेस चा टोकाचा विरोध करने सोडून द्यावे.फार छान वीडियो.
@VijayManjrekar-xs9fe
@VijayManjrekar-xs9fe 5 ай бұрын
गांधी आणि नेहरूंनी अत्यंत इमानदारीने इंग्रजांसाठी मेहनत घेतली आणि वेळोवेळी जमेल तसे स्वातंत्र्य चळवळीत खोडा घातला. स्वातंत्र्यानंतर दोघांनीही अत्यंत इमानदारीने पाकिस्तान आणि इस्लामची सेवा केली. इमानदारी महत्वाची असते.
@pramodpatange5663
@pramodpatange5663 3 ай бұрын
Very nice👍
@prashantbhagare12
@prashantbhagare12 5 ай бұрын
अप्रतिम मांडणी केली सर सत्य
@DeepakSawant-b2m
@DeepakSawant-b2m 2 ай бұрын
Yes
@pundlikdhurat8478
@pundlikdhurat8478 5 ай бұрын
गांधी नेहरू विरोधी आंबेडकर ही भूमिका पण चुकिची आहे! हे तिघेही आपापल्या ठिकाणी महान होते!
@VijayManjrekar-xs9fe
@VijayManjrekar-xs9fe 5 ай бұрын
एकदम बरोबर. डॉ बाबासाहेब आंबेडकर हे नेहमीच गांधीना एक मामुली इसम असं म्हणायचे. डॉ बाबासाहेब आंबेडकर यांनी लिहिलेली पुस्तके लेटर्स ओफ डॉ बाबासाहेब आंबेडकर आणि पाकिस्तान आणि पार्टीशन हे वाचा. डॉ बाबासाहेब आंबेडकर यांनी नथुराम गोडसे आणि सावरकर यांची स्तुती केलेली आहे. जयभीम.
@vijaymohite7250
@vijaymohite7250 5 ай бұрын
आवटे साहेब,बाबासाहेबांच्या महानिर्वाण नंतर दादासाहेब गायकवाड यांच्या सोबत काँग्रेस ने युती केली .आंबेडकरी जनतेने काँग्रेसला मते दिली.पण बहुजन समाजाने दादा साहेब गायकवाड यांच्या उमेदवारांना मतदान केले नाही.असाच आंबेडकर समाजाला काँग्रेसने नष्ट केले.आर पी आय पक्ष पूर्ण उध्वस्त केला. आवटे साहेब आपण अभ्यास करा.
@gaikwadsiddhartha29
@gaikwadsiddhartha29 3 ай бұрын
आतिशय सुंदर विस्लेश्ंंन केले आहे, धन्यवाद
@ravindrakulkarni9606
@ravindrakulkarni9606 5 ай бұрын
विषय खूप मुद्देसूद मांडलाय.
@Lavnya-js5cs
@Lavnya-js5cs 5 ай бұрын
एवढे बाबासाहेब बदल काँग्रेस चांगले होते तर त्यांनी का जातीचा नायनाट केला नाही? आज ही सर्व समाजात ब्राह्मण च्य natar buddhist samaj sushikshit asla तरी त्याला मुद्दाम हिणवले जाते मग का आंबेडकरांना अंतर्राष्ट्रीय कीर्ती असुनही गावंढळ लोकं माहिती नसताना जातीभेद करतात त्यांचे इतके विद्वान नेहरू गांधी पण नव्हते
@yogeshsalve9521
@yogeshsalve9521 5 ай бұрын
छान समजून सांगितलं , Thanks
@कृष्णकमळ
@कृष्णकमळ 4 ай бұрын
गांधी नेहरू होते म्हणून डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जगाला माहिती झाले.. संविधान लिहिल्या मुळे...
@vinodmeshram2673
@vinodmeshram2673 5 ай бұрын
गांधी ने हे म्हटले होते बाबासाहेब यांना संविधान सभेत येउदेवू नका संविधान सभेच्या दार आणि खिडक्या सुद्धा बंद करा नाहीतर तो आंबेडकर अंदर घुसेल जय vba
Minecraft Creeper Family is back! #minecraft #funny #memes
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Help Me Celebrate! 😍🙏
00:35
Alan Chikin Chow
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सावरकर आणि प्रबोधनकार I अभिव्यक्ती I Abhivyakti
17:55
अभिव्यक्ती Abhivyakti
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