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मेरे जीवन की सबसे सुंदर यात्रा इसमें मैने भगवान शंकर अनुभूति की।
मुनस्यारी एक खूबसूरत पर्वतीय स्थल है। यह नेपाल और तिब्बत की सीमाओं के समीप है। मुनस्यारी चारो ओर से पर्वतो से घिरा हुआ है। मुनस्यारी के सामने विशाल हिमालय पर्वत श्रंखला का विश्व प्रसिद्ध पंचचूली पर्वत (हिमालय की पांच चोटियां) जिसे किवदंतियो के अनुसार पांडवों के स्वर्गारोहण का प्रतीक माना जाता है, बाई तरफ नन्दा देवी और त्रिशूल पर्वत, दाई तरफ डानाधार जो एक खूबसूरत पिकनिक स्पॉट भी है और पीछे की ओर खलिया टॉप है। काठगोदाम, हल्द्वानी रेलवे स्टेशन से मुनस्यारी की दूरी लगभग 295 किलोमीटर है और नैनीताल से 265 किलोमीटर है। काठगोदाम से मुनस्यारी की यात्रा बस अथवा टैक्सी के माध्यम से की जा सकती है और रास्ते में कई खूबसूरत स्थल आते हैं। काठगोदाम से चलने पर भीमताल, जो कि नैनीताल से मात्र 10 किलोमीटर है, पड़ता है उसके बाद वर्ष भर ताजे फलों के लिए प्रसिद्ध भवाली है, अल्मोड़ा शहर और चितई मंदिर भी रास्ते में ही है। अल्मोड़ा से आगे प्रस्थान करने पर धौलछीना, सेराघाट, गणाई, बेरीनाग और चौकोड़ी है। बेरीनाग और चौकोड़ी अपनी खूबसूरती के लिए काफी प्रसिद्ध है। यहां से आगे चलने पर थल, नाचनी, टिमटिया, क्वीटी, डोर, गिरगॉव, रातापानी और कालामुनि आते हैं। कालामुनि पार करने के बाद आता है मुनस्यारी, जिसकी खूबसूरती अपने आप में निराली है।
मुनस्यारी में ठहरने के लिए काफी होटल, लॉज और गेस्ट हाउस है। गर्मी के सीजन में यहां के होटल खचाखच भरे रहते है इसलिए इस मौसम में वहां जाने से पहले ठहरने के लिए कमरे की बुकिंग जरूर करा लेना चाहिए क्योंकि इस समय में यहां पर देसी और विदेशी पर्यटकों की भीड़ बहुत अधिक बढ़ जाती है। विदेशी पर्यटक यहां खासकर ट्रैकिंग और माउंटेनियरिंग के लिए आते हैं। लोग पहाड़ी (स्थानीय बोली) बोलते है और हिन्दी भाषा का प्रयोग भी करते हैं। यहां के अधिकतर लोग कृषि कार्य में लगे हुए है।
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