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"गीत ऋषि" को शत शत नमन करता हूं।आप के नही होने पर तीज की गीत लहरी सूनी सूनी सी लग रही है।
राजस्थानी भाषा में ढुढाडी़ अंचल के हि नही आप पूरे भारत वर्ष के जहा जहा राजस्थानी भाषा बोली समझी जाती है वहा के सिरमौर कवियो में सै एक रहे है।
साजन सावन की सुरंगी आई बहार पपिहो बोले वाणी रस की.... यह चर्चित गीत श्रद्धेय भंवर जी भंवर का है इस गीत से उन्हें बहुत प्रसिद्धि मिली वैसे भंवर जी भंवर के सभी गीत प्रेरणादायक हैं वह सहज सरल और मधुरता लिए हुए हैं।यह एक ऋंगार परख गीत है परिवार के साथ बेठ कर सुनने वाले राजस्थानी भाषा के गीतो में से एक हो सकता है मुझे यह गीत बहुत प्यारा लगता है इस गीत के प्रत्येक बन्ध मे उपमाये मिलेगी जो सत्यता के साथ साथ आन्नदायी भी है यह गीत मुझे बहुत प्रिय लगता है इसलिए इस गीत को मैंने अपनी आवाज में गाया है।
हालांकि यह बात अलग है की जो कृति एक बार बनकर छप जाती है वह दोबारा उसी तरह की वास्तविकता लिए हुए नहीं बन सकती है .....जैसे कि रामानंद सागर जी ने रामायण बनाई वह रामायण वापस कभी भी वैसे नहीं बन पाएगी ।....ऐसे ही बी आर चोपड़ा साहब ने महाभारत बनाई वह भी वापस कभी नहीं बन पाएंगी.... फिल्म इंडस्ट्रीज के बाद करें तो भी जैसे शोले फिल्म राजन रमेश सिप्पी जी ने बनाई वैसी फिल्म वापस नहीं बनी है इसी प्रकार ....श्रद्धेय भंवर जी भंवर के गीत भी हम कितने ही गुनगुनाए लेकिन वह मधुरता लय ताल सुर देना संभव नहीं होगा ....यह गीत आप सुने आनंद लें अच्छा लगे कमेंट करें शेयर करें और अगर मेरे चैनल को अभी तक आपने सब्सक्राइब नहीं किया हो तो वह भी गए ताकि समय-समय पर आपके पास मेरी नई वीडियो के मैसेज प्राप्त होते रहे आप सभी का दिल से धन्यवाद।..... भंवर जी भंवर के पूरे परिवार को साधुवाद देता हूं कि उन्होंने इस धरोहर को आज तक सहेज कर रखा वह हमेशा इसके प्रति तत्पर रहते हैं।