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। उडीक । Udeek । श्रृंगार । - कवि दामोदर दाधीच । Kavi Damodar Dadhich ।
शृंगार रस में वियोग की कविता है ।
जिसमें पत्नी अपने जुदाई के 12 महीनों का वर्णन करती है । वह पति को कहती है । हे मारा छैल भंवर चितचोर थे तो बेगा बेगा आइजो जी
आशा है आपको अच्छी लगेगी ।
पहले आप सभी का बहुत बहुत आभार . इन दिनों आपका भरपूर सहयोग व अपार स्नेह मिल रहा है . यही स्नेह व् आशीर्वाद सदेव बनाये रखना .
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आये दिन हम youtube पर पोल करवाते रहते है बहुत लोगो का response आता हैं आप भी उस में हिस्सा ले .
हमारा परिवार 3000 सदस्यों का हो चूका है .
हमारा टारगेट दिवाली तक 10,000 सदस्यों तक है . तो क्या कहते है कर दे /
special gift कवि दामोदर दाधीच youtuber t-shrits and other (pen , books and many more ).
तो जल्दी से 10,000 करते है फिर ....
महीने में एक बार हम लाइव स्ट्रीमिंग (youtube live streming) पर मन की बात ज़रूर करेंगे .
मस्ती , कविता और गिफ्ट (give away) सभी उस में सामिल है .
इसी के साथ डिस्क्रिप्शन को अंत तक देख ने के लिए आभार
फिर मिलेंगे आगली विडियो में
जय हिन्द जय भारत .